नई दिल्ली। उद्योगपति अडानी समूह को देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई के केंद्र में स्थित अत्यंत मूल्यवान ( Dharavi redevpopment project ) धारावी स्लम विकास परियोजना का काम नियम बदलकर उसकी मदद करने का आरोप (Congress) कांग्रेस ने लगाया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पीएम (PM) नरेंद्र मोदी (Modi) के नेतृत्व वाली सरकार ने नियमों में बदलाव कर अडाणी को यह जिम्मा सौंपा है।
मुंबई में धारावी स्लम विकास परियोजना
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने यहां जारी एक बयान में कहा “प्रधानमंत्री के आदेश के पालन की प्रक्रिया के तहत मुंबई में धारावी स्लम विकास परियोजना को अपने सबसे पसंदीदा व्यवसायी को सौंपने के बाद महाराष्ट्र सरकार के पास अपने बेतुके निर्णय का बचाव करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।”
उन्होंने कहा “धारावी स्लम विकास परियोजना की मूल निविदा दुबई की एम फर्म ने 7,200 करोड़ रुपये की बोली लगाकर हासिल की थी लेकिन रेलवे भूमि के हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों के कारण 2020 में इसे रद्द कर दिया गया लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने 2022 में नये टेंडर निकाले जिसमें ऐसी शर्तें शामिल की गई कि इस निविदा को लेने में अडानी की मदद की जा सके और मूल निवदा के खुलासे में दूसरे स्थान पर आने वाले अडानी समूह को बाहर का रासता दिखाया जा सके।
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इसमें शर्त जोड़ी गई जिसके तहत बोलीदाताओं की कुल संपत्ति को दोगुना कर 20,000 करोड़ रुपये किया गया और विजेता को एकमुश्त भुगतान के बजाय किस्तों में भुगतान करने की अनुमति दी गई, जिससे नकदी संकट से जूझ रहे अडानी समूह को 5,069 करोड़ रुपये की बोली जीतने में मदद मिली। यह बोली समूह ने मूल विजेता की जीती बोली की तुलना में 2,131 करोड़ रुपये कम में लगाई गई।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि इसमें अडानी समूह को सहूलियत देने के लिए अन्य कदम भी उठाए गये। उनका कहना था “इतना ही नहीं, कम से कम एक हजार करोड़ रुपये की रेलवे की जमीन को सरकार द्वारा अधिग्रहीत कर उसे थाली में सजाकर अडानी को सौंपा जा रहा है। इसके अलावा यह भी शर्त लगाई गई कि रेलवे कर्मचारियों और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के पुनर्वास की लागत भी सरकार द्वारा वहन की जाएगी। प्रधानमंत्री के सबसे करीबी दोस्त को दी गई ये असाधारण रियायतें ‘मोदी है तो मुमकिन है’ का एक ज्वलंत उदाहरण है।”
गौरतलब है कि आवास मंत्री के तौर पर अपने आखिरी दिन ही देवेन्द्र फड़णवीस ने धारावी को अडानी को सौंप दिया था। यह अलग बात है कि ‘सीएम-इन-वेटिंग’ को इस उपकार के बदले में अब तक कुछ नहीं मिला।
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