सत्यम श्रीवास्तव और राजीव गर्ग की किताब नीलकंठ की लॉन्चिंग पर मीडिया से बात करते हुए राजकुमार ने कहा, मेरे पास बस यही एक टैलेंट था कि मुझे अपनी कला से प्यार हो गया था। बचपन से ही मुझे एक्टिंग भाने लगा था। मैं कभी पैसे या शोहरत के पीछे नहीं भागा। मैं खुद में सोचा कि यही एक चीज है जिससे मुझे वाकई में लगाव है और जिंदगी भर इसे ही करना चाहता हूं मैं। मैंने दिल्ली में थिएटर करना शुरू कर दिया और बाद में पुणे के फिल्म इंस्टीट्यूट में शामिल हो गया, क्योंकि मैं इस शहर में बिना किसी तैयारी के नहीं आना चाहता था।
उन्होंने आगे कहा, मैं पहले खुद को प्रशिक्षित करना चाहता था। मैं नवोदित कलाकारों को अकसर यही कहता हूं – सिर्फ इसलिए कि आपके दोस्तों ने आपसे कहा कि आप अच्छी मिमिक्री कर लेते हैं या आप अच्छे दिखते हैं, तो अब आपको मुंबई चले जाना चाहिए, ऐसा न करें। बिना तैयारी के मुंबई में न आएं। खासकर अब, जब सिनेमा बदल रहा है। हमें प्रतिभाओं की जरूरत है, इसलिए खुद को पहले प्रशिक्षित करें और फिर मुंबई आएं, क्योंकि यहां कई सारे बेहतरीन मौके हैं।
–आईएएनएस
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