ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट की नजदीकियां किसी से छुपी नहीं है। सिंधिया जब कांग्रेस में हुआ करते थे, तब इन दोनों को राहुल गांधी कैंप का सदस्य माना जाता था। जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और उसके बाद सचिन पायलट नें भी बागी तेवर अपनाए थे, तब यही माना जा रहा था कि पायलट भी सिंधिया की राह पर चल सकते हैं, मगर ऐसा हुआ नहीं।
कांग्रेस ने पायलट को ग्वालियर-चंबल इलाके में प्रचार के लिए खास रणनीति के तहत भेजा है। यह क्षेत्र सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है और कांग्रेस लगातार सिंधिया पर हमले बोले जा रही है, इसलिए पार्टी के नेता इस बात की उम्मीद कर रहे थे कि पायलट भी सिंधिया पर हमला बोलेंगे, मगर मंगलवार को तीन सभाओं में पायलट ने अपने पुराने दोस्त सिंधिया का जिक्र तक नहीं किया।
पायलट ने शिवपुरी जिले के पोहरी और करैरा में जनसभा की, तो वहीं मुरैना के जौरा विधानसभा में भी वह कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में जनसभा करने पहुंचे, मगर इन तीनों ही जनसभाओं में पायलट ने भाजपा पर पिछले दरवाजे से प्रदेश में सरकार बनाने का आरोप लगाया, साथ ही भाजपा को सबक सिखाने की अपील भी की।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के भीतर कई लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि सिंधिया और पायलट के बीच दूरी बढ़ जाए, मगर पायलट उन नेताओं के मंसूबे पूरे नहीं होने देना चाहते। लिहाजा, उन्होंने सिंधिया का जिक्र तक नहीं किया। सिंधिया और पायलट भले ही अलग-अलग दलों मंे हों, मगर वे अपनी देास्ती में किसी भी तरह की दरार नहीं आने देना चाहते। पायलट ने यह संदेश अपने दौरे के पहले दिन दे ही दिया।(आईएएनएस)
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