जयपुर। राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष (Rajasthan Legislative Assembly)राजेन्द्र राठौड़ (Rajendra Rathore)ने वक्तव्य जारी कर मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट मीटिंग में केन्द्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन ऐतिहासिक कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर माह में राजस्थान विधानसभा में विशेष सत्र आहूत कर प्रस्ताव पारित करने के निर्णय को संघीय ढांचे को कमजोर करने और संविधान की आत्मा पर चोट पहुंचाने वाला बताते हुए कहा कि भाजपा इसका कड़ा विरोध करेगी।
राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के हित में संसद में पारित किए गए तीन ऐतिहासिक कृषि विधेयक जो अब कानून का स्वरूप ले चुके है। कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 एवं आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020श् के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने से पहले राज्य सरकार विधिसम्मत लाये गए कृषि कानूनों की विषय सामग्री और अन्तर्वस्तु का गहराई से अध्ययन करें तो बेहतर होगा।
उन्होने ने कहा कि कांग्रेस की सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस शासित प्रदेशों में केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक लाये जाने के निर्देश के बाद प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर दिल्ली में बैठे अपने आकाओं के समक्ष नंबर बढ़ाने की कोशिश करने का प्रयास रहे हैं जबकि सार्वभौमिक सत्य है कि बिना अध्ययन किये जल्दबाजी में लिया गया हर फैसला आत्मघाती ही साबित होता है।
राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस शासित पंजाब सरकार की ओर से कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक पास किए जाने के बाद अब राजस्थान में राज्य सरकार संघवाद के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करना चाह रही है जिसका भारतीय जनता पार्टी राजस्थान विधानसभा में कड़ा विरोध करेगी।
राठौड़ ने कहा कि दशकों से किसानों का शोषण करने और उन्हें अंधकार में रखकर वोट लेने वाली कांग्रेस सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कृषकों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है जबकि इन नए कृषि कानूनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना-देना नहीं है। स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा सार्वजनिक रूप से यह कहा जा रहा है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जा रहा है और भविष्य में भी दिया जाता रहेगा।
राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा रबी की 6 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने का निर्णय इसका प्रमाण है कि केन्द्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को बंद नहीं कर रही है। यदि नये प्रस्ताव के माध्यम से राज्य सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की नीयत है तो सरकार भुगतान राशि के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार राशि के मध्य की अंतर की राशि देने की घोषणा करें।
राठौड़ ने कहा कि मोदी सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा में विशेष सत्र के माध्यम से नया प्रस्ताव लाने वाले कांग्रेस के ये लोग किसानों की खुशहाली और उनकी उपज के सही मूल्य के विरोधी हैं। यह लोग नहीं चाहते कि देश का पेट भरने वाला अन्नदाता कभी उनके समान समृद्ध और सशक्त हो पाए। केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कानूनों में ऐतिहासिक सुधार का ऐसा क्रांतिकारी कदम उठाया है जिसे पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने कभी किसान हित में ऐसा कदम उठाने की हिम्मत तक नहीं की।
राठौड़ ने कहा कि वास्तविक रूप से वैकल्पिक व्यापार चौनल उपलब्ध होने से किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेंगे और अंतरराज्यीय व राज्य में व्यापार सरल होगा।