सावन का पहला सोमवार सौभाग्य योग का अनुपम संयोग, यहां जानिए पूजा मुहूर्त और विधि

Sawan 2025: Sawan First Somwar Date Puja Vidhi Mantra Shubh Muhurat Aarti

Sawan Somwar Date First Monday of Shravan kab hai, Sawan pehla somwar kab hai 2025 , Sawan First Somwar 2025, Sawan 2025, ,Sawan ka Somwar 2025 Pooja Muhurat,Sawan Somwar Date,Sawan Somwar,Sawan Ka Somwar,Sawan 2025,Sawan,Savan,First Monday of Shravan,kab hai Sawan ka Somwar,Somwar Pooja Muhurat,Somwar Muhurat,kab hai Sawan Somwar,सावन का पहला सोमवार कब है, जानें डेट,पूजन मुहूर्त व विधि,कब है सावन सोमवार,सावन का सोमवार

Sawan 2025: Sawan First Somwar Date Puja Vidhi Mantra Shubh Muhurat Aarti

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिवजी देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैं। भगवान शिवजी की विशेष कृपा-प्राप्ति के लिए शिव पुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है,जिसमें श्रावण मास के सोमवार का व्रत प्रमुख हैं। श्रावण माह के सभी सोमवार को व्रत रखा जाता है।

वैसे तो हिन्दू धार्मिक परम्परा के मुताबिक भगवान शिवजी की आराधना किसी भी दिन की जा सकती है,लेकिन सोमवार के दिन की विशेष महिमा है।

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार श्रावण मास का प्रथम सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है। इस दिन आयुष्मान व सौभाग्य योग का अनुपम संयोग रहेगा। सोमवार शिवजी का प्रिय दिन है,जिससे श्रावण मास का सोमवार व्रत के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। पार्थिव शिवलिंग स्वच्छ मिट्टी, गंगालजल से निर्माण करके विधि-विधानपूर्वक पूजा किया जाता है। श्रावण मास में शिवभक्त काँवड़ यात्रा करके उन्हें जलापूर्ति करते हैं।

Sawan Somwar Date First Monday of Shravan kab hai,Sawan pehla somwar kab hai 2025 , Sawan First Somwar 2025, Sawan 2025, ,Sawan ka Somwar 2025 Pooja Muhurat,Sawan Somwar Date,Sawan Somwar,Sawan Ka Somwar,Sawan 2025,Sawan,Savan,First Monday of Shravan,kab hai Sawan ka Somwar,Somwar Pooja Muhurat,Somwar Muhurat,kab hai Sawan Somwar,सावन का पहला सोमवार कब है, जानें डेट,पूजन मुहूर्त व विधि,कब है सावन सोमवार,सावन का सोमवार
सावन

व्रत का विधान

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त हो स्नानकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। तत्पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुन:स्नान कर स्वच्छ व धारण करके पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर भगवान शिवजी की विधि-विधानपूर्वक पूजा की जाती है।

भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र,यज्ञोपवीत, आभूषण,सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र,कनेर,धतूरा,मदार,ऋतुपुष्प,नैवेद्य आदि जो भी सुलभ हो,अर्पित करके शृंगार करना चाहिए। तत्पश्चात् धूप-दीप प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए। पंचोपचार,दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

धार्मिक परम्परा के अनुसार जगत जननी माता पार्वती जी की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती है।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि भगवान् शिव की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए सोमवार व्रत कथा, श्री शिव चालीसा एवं भगवान शिवजी से सम्बन्धित मन्त्रों का जप एवं पाठ करना चाहिए साथ ही व्रत से सम्बन्धित कथाएँ भी सुननी चाहिए। व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। अपनी दिनचर्या को नियमित संयमित रखते हुए व्रत को विधि-विधानपूर्वक करना लाभकारी रहता है।

अपनी श्रृद्वा के अनुसार ब्राह्मणों को उपयोगी वस्तुओं का दान करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। साथ ही गरीबों व असहायों की सेवा व सहायता करने से जीवन में सुख-शांति एवं आरोग्य के साथ ही सुख-समृद्धि, खुशहाली की भी प्राप्ति होती है।

सौभाग्य में अभिवृद्धि के लिए रात्रि के चारों प्रहर में पूजा विशेष फलदायी

प्रथम प्रहर-भगवान शिव जी का दूध से अभिषेक करें एवं ॐ हृीं ईशान्य नम:-मन्त्र का जप करें।
द्वितीय प्रहर-भगवान शिव जी का दही से अभिषेक करें तथा ॐ हृीं अघोराय नम:-मन्त्र का जप करें।
तृतीय प्रहर-भगवान शिव जी का शुद्ध देशी घी से अभिषेक करें साथ ही ॐ हृीं वामदेवाय नम:-मन्त्र का जप करें।
चतुर्थ प्रहर-भगवान शिव जी का शहद से अभिषेक करें एवं ॐ हृीं सध्योजाताय नम:-मन्त्र का जाप करें।
कौन सा करें पाठ-भगवान् शिवजी की महिमा में शिव चालीसा,शिव-स्तुति,शिव-सहस्रनाम,शिव महिम्नस्तोत्र,शिवताण्डव स्तोत्र,रुद्राष्टक, शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए तथा शिवजी के प्रिय पंचाक्षर मन्त्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का मानसिक जप करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार ‘ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नम: ॐ’ इस मन्त्र के जप से सर्वविध कल्याण होता है।
Exit mobile version