Pradosh Vrat 2023 : प्रदोष व्रत पर शिवजी की पूजा-अर्चना से खुलेगा सुख-समृद्धि का द्वार

Pradosh Vrat 2023 : Pradosh Vrat Date Lord Shiv Puja Muhurat Vidhi

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Pradosh Vrat 2023 : Pradosh Vrat Date Lord Shiv Puja Muhurat Vidhi

-ज्योर्तिवद् विमल जैन
Pradosh Vrat 2023 : प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव जी की पूजा -अर्चना से सुख-समृद्वि के द्वार खुलेंगे। सनातन धर्म में भगवान आशुतोष की विशेष महिमा है। भगवान शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है, जिसमें प्रदोष व्रत अत्यन्त चमत्कारी माना गया है। प्रदोष व्रत से दु:ख-दारिद्र्य दूर होता है। जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली का सुयोग बनता है। सूर्यास्त और रात्रि के सन्धिकाल को प्रदोषकाल माना जाता है।

Pradosh Vrat 2023 Time : प्रदोष व्रत का समय

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि प्रदोष बेला होने पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोषकाल का समय सूर्यास्त से 48 मिनट या 72 मिनट तक माना गया है, इसी अवधि में भगवान् शिव की पूजा प्रारम्भ हो जानी चाहिए। इस बार यह व्रत 27 सितम्बर, बुधवार को रखा जाएगा।

भाद्रपद शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 सितम्बर, मंगलवार को अद्र्धरात्रि के पश्चात् 01 बजकर 46 मिनट पर लगेगी जो कि 27 सितम्बर, बुधवार को रात्रि 10 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। प्रदोष बेला में त्रयोदशी तिथि का मान 27 सितम्बर, बुधवार को होने के फलस्वरूप प्रदोष व्रत इसी दिन रखा जाएगा। व्रत के दिन शिव मन्दिर में दर्शन-पूजन अवश्य करना चाहिए। यह प्रदोष व्रत समस्त जनों के लिए समान रूप से फलदायी माना गया है।

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दिन के अनुसार प्रदोष व्रत का फल

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अलग-अलग प्रभाव है। वारों (दिनों) के अनुसार सात प्रदोष व्रत माने गए हैं, जैसे-रवि प्रदोष-आयु, आरोग्य, सुख-समृद्धि, सोम प्रदोष-शान्ति एवं रक्षा तथा आरोग्य व सौभाग्य में वृद्धि, भौम प्रदोष-कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष-मनोकामना की पूर्ति, गुरु प्रदोष-विजय व लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष-आरोग्य, सौभाग्य एवं मनोकामना की पूर्ति, शनि प्रदोष-पुत्र सुख की प्राप्ति।

अभीष्ट-मनोकामना की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी तिथियों का व्रत अथवा मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने का विधान है।

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प्रदोष व्रत का विधान

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुन: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके प्रदोषकाल में भगवान शिव की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

भगवान शिवजी का अभिषेक कर शृंगार करने के पश्चात् उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। परम्परा के अनुसार कहीं-कहीं पर जगतजननी पार्वती की भी पूजा-अर्चना की जाती है। यथासम्भव स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही पूजा करनी चाहिए।

शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलदायी होती है। भगवान् शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोषव्रत कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए। व्रत से सम्बन्धित कथाएँ सुननी चाहिए जिससे मनोरथ की पूर्ति का सुयोग बनता है। व्रतकर्ता को दिन के समय शयन नहीं करना चाहिए। व्रत के दिन अपने परिवार के अतिरिक्त कहीं कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

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शिवजी की महिमा में रखे जाने वाला प्रदोष व्रत जीवन के समस्त दोषों का शमन करके सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। व्रत के दिन सामथ्र्य के अनुसार ब्राह्मणों को दक्षिणा के साथ उपयोगी वस्तुओं दान करना चाहिए, साथ ही गरीबों व असहायों की सेवा व सहायता अवश्य करनी चाहिए। शिवभक्तों का प्रदोष व्रत से निरन्तर कल्याण होता रहता है।

Pradosh Vrat : प्रदोष व्रत पर विशेष

जिन्हें शनिग्रह अढ़ैया या साढ़ेसाती का प्रभाव हो या जिनकी जन्मकुण्डली में शनिग्रह प्रतिकूल हों, उन्हें देवाधिदेव महादेव शिवजी की कृपा प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। जिससे शनिजनित दोषों का शमन हो सके। अपनी सामथ्र्य के अनुसार ब्राह्मण एवं असहायों की सेवा व सहायता करते रहना चाहिए। प्रदोष व्रत से जीवन के समस्त दोषों का शमन होता है, साथ ही सुख-समृद्धि मिलती है।

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(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी) 
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