Devshayani Ekadashi 2023 : हरिशयनी एकादशी : 29 जून: समस्त मांगलिक कार्यों पर विराम
भारतीय संस्कृति के हिन्दू धर्मशास्त्रों में प्रत्येक माह की तिथियों का अपना खास महत्व है। भारतीय सनातन धर्म के अनुसार हिन्दू पंचांग में एकादशी तिथि अपने आप में अनूठी मानी गई है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में हर माह की एकादशी तिथि भगवान श्रीविष्णु हरि को समर्पित है। आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि (Devshayani Ekadashi) देवशयनी, हरिशयनी (Ekadashi) या पद्मा एकादशी तिथि के रूप में मनाने की धार्मिक परम्परा है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवता सो जाते हैं, जिससे देवशयनी एकादशी कहा जाता है। आज के दिन से भगवान् श्रीहरि विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में प्रस्थान कर शेषनाग की शय्या पर योगनिद्रा में लीन हो विश्राम करते हैं। इसके साथ ही समस्त मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। इस तिथि को व्रत उपवास रखकर भगवान् श्रीविष्णु की पूजा-अर्चना करने की विशेष महिमा है। आज के दिन घर में तुलसी का पौधा लगाने से यमदूत का भय खत्म हो जाता है।
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Devshayani Ekadashi : हरिशयनी या देवशयनी एकादशी तिथि, समय व पूजा नियम
Devshayani Ekadashi Puja Vidhi : पूजा का विधान और दान पुण्य
हरिशयनी एकादशी पर व्रत व उपवास रखकर भगवान् श्रीहरि विष्णु की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा-अर्चना करके भगवान श्रीविष्ण की कृपा प्राप्त करनी चाहिए। पूजा-अर्चना के उपरान्त अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करना चाहिए। जिसके अन्तर्गत स्वर्ण, रजत, नूतन वस्त्र, ऋतु फल, मेवा-मिष्ठान्न व नगद द्रव्य आदि सुपात्र ब्राह्मण को दान देना अत्यन्त शुभ फलदायी माना गया है।
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Devshayani Ekadashi 2023 : हरिशयनी या देवशयनी एकादशी पर करें जागरण
श्रीविष्णु उपासकों के लिए विशेष
श्रीविष्णु उपासक साधु, सन्त व साधक को आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि देवशयनी एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि तक अपने परिवार के अतिरिक्त अन्यत्र कुछ भी ग्रहण करने से बचना चाहिए।
Devshayani Ekadashi- इनका नही करें सेवन
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(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी)
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