जयपुर। जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला (Dr.B.D.Kalla) ने प्रदेश में भू-जल की कमी और गांवों तक गुणवत्ता युक्त पानी पहुंचाने की चुनौती को देखते हुए केन्द्र सरकार से ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया है। उन्होंने इंदिरा गांधी कैनाल, माही बांध, कड़ाना बैक वाटर, सोम कमला अम्बा बांध तथा जाखम बांध जैसे सतही जल के स्रोतों को नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना के तहत शामिल करने की भी आवश्यकता जताई।
डॉ. कल्ला मंगलवार को शासन सचिवालय स्थित एनआईसी सेंटर से केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में राज्यों के जलदाय मंत्रियों की वर्चुअल कांफ्रेस को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भू-जल की कमी के कारण 24 जिलों की 168 पंचायत समितियों के करीब 1740 गांवों को सतही जल स्रोतों से पेयजल उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। वर्चुअल कांफ्रेस में जलदाय विभाग के शासन सचिव श्री नवीन महाजन, मुख्य अभियंता (शहरी एवं एनआरडब्ल्यू) श्री सीएम चौहान, मुख्य अभियंता (ग्रामीण) श्री आरके मीना, मुख्य अभियंता (तकनीकी) श्री दिनेश गोयल के अलावा अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
सतही जल स्त्रोतों से पेयजल ही स्थाई समाधान
डॉ. कल्ला ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में अधिक से अधिक ग्रामीण परिवारों को 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के आधार पर घरेलू जल सम्बन्धों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति के प्रयास किये जा रहे है, परन्तु विषम भौगोलिक परिस्थितियों, रेगिस्तानी भू-भाग, गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों की अधिकता के साथ ही राजस्थान के अधिकतर क्षेत्र में स्थायी भू-जल स्रोतों की उपलब्धता नहीं होने के कारण पेयजल सतही जल स्त्रोतों के माध्यम से ही उपलब्ध कराया जाना ही दीर्घकालीन एवं स्थाई समाधान है। उन्होंने कहा कि पेयजल योजनाओं के लिए आधारभूत ढांचे का तो निर्माण किया जा सकता है परन्तु 55 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन पेयजल आपूर्ति के लिए बाह्य सतही जल स्रोतों से जल की व्यवस्था करना चुनौती पूर्ण कार्य है।
जल योजनाओ के लिए मिले 90 प्रतिशत सहायता
जलदाय मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से आग्रह किया कि जल प्रदाय योजनाओं के लिए वर्ष 2013 से पूर्व की तरह राजस्थान को मिल रही 90 प्रतिशत हिस्सा राशि को फिर से बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों को वर्तमान में 90 प्रतिशत सहायता दी जा रही है, पहाड़ों पर पानी की कमी नहीं है, मगर राजस्थान जहां इन क्षेत्रों के मुकाबले सतही जल बहुत कम मात्रा में उपलब्ध है और भू-जल का स्तर भी बहुत नीचे है, वहां मात्र 50 प्रतिशत सहायता दी जा रही है। उन्होंने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से आग्रह किया कि राज्य सरकार द्वारा इस बारे में बार-बार ध्यान आकर्षित किए जा रहा है, इस पर गौर किया जाए।
जल जीवन मिशन में प्रगति की दी जानकारी
जलदाय मंत्री ने वर्चुअल कांफ्रेस में जानकारी दी कि राजस्थान में एक करोड़ एक लाख ग्रामीण परिवार है। इनमें से 12 लाख 76 हजार परिवारों को 31 मार्च 2020 तक घर-घर जल कनेक्शन के माध्यम से जोड़ा जा चुका है। शेष लगभग 88 लाख परिवारों को वर्ष 2024 तक घरेलू जल कनेक्शन दिए जाने है। इसके लिए वर्ष 2020-21 में 21 लाख परिवारों को लाभांवित करने के लक्ष्य के तहत कोविड-19 की परिस्थितियों के बावजूद अब तक लगभग 3 लाख परिवारों को घर-घर नल कनेक्शन दिए जा चुके है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्य को गति देने एवं 2020-21 के लक्ष्य को हासिल करने के लिये विभिन्न ग्रामीण पेयजल योजनाओं के 5 लाख 45 हजार नल कनेक्शन के लिये निविदायें आमंत्रित की गई है, इसमें से 2 लाख 34 हजार कनेक्शन के लिए आदेश दिये जा चुके है। साथ ही 7230 करोड़ रुपये की निविदाएं रेट कान्ट्रेट करने के लिये आमंत्रित की जा चुकी है, जिससे लगभग 21 लाख एक हजार कनेक्शन उपलब्ध कराये जाएंगे। इसके अलावा राज्य में 13 वृृहद् पेयजल परियोजनाओं (मेजर प्रोजेक्ट) की 1300 करोड़ रुपये की निविदाएं शीघ्र आमंत्रित की जाएगी, जिनके तहत 4 लाख 32 हजार कनेक्शन उपलब्ध होगें। इस प्रकार राज्य में लगभग 31 लाख 50 हजार नल कनेक्शन की योजना बना ली गई है।
वित्त विभाग से मिली मैचिंग शेयर की मंजूरी
डॉ. कल्ला ने बताया कि इस वर्ष भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई एवं कराई जाने वाली राशि 3517 करोड़ रुपये का स्टेट मेचिंग शेयर उपलब्ध कराने कि लिए राज्य के वित्त विभाग ने सैद्वान्तिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में फ्लोराईड प्रभावित हैबीटेशन्स को शुद्व पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। राज्य में एक अप्रेल 2020 को शेष रहे 3746 फ्लोराईड प्रभावित हैबीटेशंस (एनडब्ल्यूक्यूएसएम:नेशनल वाटर क्वालिटी सब मिशन की 1852 तथा नॉन एनडब्ल्यूक्यूएसएम 1894) में से 2250 हैबीटेशंस को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा चुका है। फ्लोराईड प्रभावित शेष 1500 हैबीटेशन्स को दिसम्बर 2020 तक कवर कर दिया जाएगा।
गुणवत्ता जांच और कौशल विकास पर फोकस
जलदाय मंत्री ने बताया कि प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत पेयजल गुणवत्ता जांच एवं निगरानी के लिए 33 जिलों में कार्यरत विभागीय प्रयोगशालाओं और 20 सचल प्रयोगशालाओं के माध्यम से विशेष फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा आईसी के माध्यम से जन जागरूकता कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे है। कौशल विकास के तहत जल स्वच्छता एवं सहयोग संगठन तथा राजस्थान राज्य आजीविका विकास कॉरपोरेशन के मध्य एक समझौता किया गया है, जिसके तहत 45 हजार व्यक्तियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
डॉ. कल्ला ने केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जन्म दिन 2 अक्टूबर 2020 से आरम्भ 100 दिन के राष्ट्रव्यापी अभियान के लक्ष्यों के तहत प्रदेश के विद्यालयों, आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के लिये नल से जल उपलब्ध कराया जाने के लिए राज्य सरकार पूरा प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य के कुल 63 हजार 569 विद्यालयों में से 24 हजार 389 विद्यालयों में नल से जल उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि 36 हजार 764 विद्यालयों में हैण्डपम्प एवं अन्य प्रकार से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी प्रकार राज्य में कुल 61 हजार 593 आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 48 हजार 949 में पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।