जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot)ने कहा कि कोविड-19 महामारी (covid patients)के इस विकट दौर में जीवन रक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसे देखते हुए निजी अस्पताल(Private hospitals) भी कोविड रोगियों के लिए बैड की संख्या बढ़ाएं और राज्य सरकार की ओर से निर्धारित दरों पर ही इलाज उपलब्ध कराएं। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रशासनिक अधिकारियों एवं चिकित्सा विभाग की टीम यह सुनिश्चित करे कि लोगों को निजी अस्पतालों में उपचार को लेकर कोई असुविधा नहीं हो।
श्री गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर कोविड-19 समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि त्यौहारी सीजन, शादियाें, प्रदूषण एवं सर्दी के कारण आगामी समय में संक्रमण तेजी से बढ़ सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए राजकीय एवं निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन एवं आईसीयू बैड सहित अन्य चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार जरूरी है।
मेडिकल प्रोटोकॉल में बदलाव के लिए अध्ययन कराएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि मरीजों में कोरोना वायरस के प्रभाव में भिन्नता देखी जा रही है। कई रोगियों में यह बेहद खतरनाक रूप में सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि परिस्थितियों के अनुरूप अगर मेडिकल प्रोटोकॉल में बदलाव की आवश्यकता है, तो इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित कर मेडिकल प्रोटोकॉल पर अध्ययन करवाया जाए ताकि हम कोविड रोगियों को और बेहतर इलाज उपलब्ध करवा सकें।
आशा सहयोगिनियों को भी दिए जाएंगे पल्स ऑक्सीमीटर
श्री गहलोत ने कहा कि कई मामलों में सामने आया है कि ऑक्सीजन का स्तर अचानक नीचे जाने से लोगों की मृत्यु हो जाती है। इससे बचाव के लिए नियमित रूप से ऑक्सीजन लेवल जांचना जरूरी है। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रदेशभर के एएनएम स्तर तक के चिकित्साकर्मियोंको पहले से ही पल्स ऑक्सीमीटर उपलब्ध करवाए हैं। अब सभी आशा सहयोगिनियों को भी पल्स ऑक्सीमीटर दिए जाएंगे ताकि लोग आसानी से अपना ऑक्सीजन लेवल जांच सकें।
गांवों में भी हो रही मौतें, कोविड को हल्के में ना लें ग्रामीणजन
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई बीमारी गांव-शहर देखकर नहीं आती है। गांवों में भी कोविड-19 से अब तक 573 मौत हो चुकी हैं जो कुल मौतों का 27 प्रतिशत है, इसलिए ग्रामीणजन इस बीमारी को हल्के में ना लें। वे मास्क लगाएं और अन्य हैल्थ प्रोटोकॉल की पूरी तरह पालना करें। साथ ही, सर्दी, जुकाम, खांसी जैसे लक्षण नजर आने पर तुरन्त प्रभाव से जांच कराएं और इलाज लेने में देरी ना करें। उन्होंने अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में भी टेस्टिंग बढ़ाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड रोगियों के लिए अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बैड उपलब्ध हैं। अगर किसी रोगी को बैड उपलब्ध नहीं होने सहित कोई भी समस्या है तो वह केन्द्रीकृत हैल्पलाइन नम्बर 181 पर सम्पर्क कर सकता है।
श्री गहलोत ने कहा कि राजस्थान और तमिलनाडु ही ऎसे राज्य हैं, जहां कोरोना की शत-प्रतिशत जांच सर्वाधिक विश्वसनीय पद्धति आरटीपीसीआर से की जा रही हैं, जिसकी भारत सरकार ने भी सराहना की है। उन्होंने कहा कि राज्य में कोविड से सम्बन्धित आंकड़ों में पूरी पारदर्शिता रखी जा रही है। अगर किसी स्तर पर इसमें गड़बड़ी सामने आएगी तो सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।
शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री सिद्धार्थ महाजन ने कोविड-19 को लेकर राजस्थान के वर्तमान परिदृश्य पर प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि प्रदेश में कोरोना से मृत्युदर 0.91 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि अब तक प्रदेश में कोविड से 2089 मृत्यु हुई है, जिनमें 1468 पुरूष और 621 महिलाएं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 573 एवं शहरी क्षेत्रों में 1516 लोगों की मृत्यु हुई है। इनमें 60 वर्ष से अधिक के 1264 व्यक्ति शामिल हैं। अन्य बीमारियों से ग्रसित (को-मोरबिड) 1221 लोगों की कोविड के कारण मौत हुई है। अस्पताल में उपचार के दौरान 1940 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि 149 लोग मृत अवस्था में अस्पताल लाए गए।
शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा वैभव गालरिया ने बताया कि आरयूएचएस अस्पताल में वर्तमान में कोविड रोगियों के लिए पर्याप्त संख्या में बैड उपलब्ध हैं। अगले चार-पांच दिन में यहां बैड क्षमता 1200 तक पहुंच जाएगी।
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार ने कहा कि पिछले दिनों में त्यौहारी सीजन के कारण सोशल डिस्टेसिंग की प्रभावी पालना नहीं होने से पॉजिटिव केसेेज की संख्या बढ़ रही है, लेकिन लोगों में मास्क लगाने की आदत बन रही है।
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भण्डारी ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से समाज में कोरोना को लेकर जागरूकता बढ़ी है। लोग लक्षण नजर आने पर स्वयं आगे आकर जांच करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्दी के मौसम में धुंध के कारण वायरस के हवा में आने की आंशका हो सकती है।
प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. अशोक पनगड़िया ने कहा कि कोरोना की आगामी आशंकाओं को देखते हुए निजी अस्पतालों के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में भी सुविधाओं में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के बदलते प्रभाव को देखते हुए मेडिकल प्रोटोकॉल में भी आवश्यकता के अनुरूप बदलाव हो।
चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी नहीं होने से प्रदूषण का स्तर विगत दिनों के मुकाबले काफी कम रहा। इससे कोरोना से बचाव में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिन अस्पतालों में कोविड रोगी अधिक आ रहे हैं, उनमें सुविधाओं का अधिक विस्तार किया जाना चाहिए।
बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य, पुलिस महानिदेशक एम.एल. लाठर, प्रमुख वित्त सचिवअखिल अरोरा, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।