राजस्थान के स्कूलों में संयुक्त अभिभावक संघ के पदाधिकारी कराएंगे गाइडलाइन की पालना

जयपुर। राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने 18 जनवरी से कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोलने के निर्देश प्रॉपर गाइडलाइन (corona guidelines) की एडवाइजरी जारी के साथ जारी कर दिए है।

किंतु राज्य सरकार ने अभी तक यह सूचना सार्वजिनक नही की है कि 1 लाख से अधिक स्कूलों, 25 लाख से अधिक शिक्षकों और करोड़ो बच्चों की मॉनिटरिंग वह कैसे संभव करेगी, अभी तक कितने शिक्षकों और बच्चों की जांच हो चुकी है, क्या अगले 2 दिनों वह सभी की जांच करने में सक्षम है।

प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि पिछले 10 महीनों में फीस को लेकर जिस प्रकार निजी स्कूलों ने अपनी हठधर्मिता का परिचय दिया उससे साफ जाहिर होता है कि राज्य सरकार ने निजी स्कूल खोलने के आदेश देकर ख़ानापूर्ति कर अपनी ज़िम्मेदारियों से इतिश्री कर ली है।

राज्य सरकार ने अभी तक स्कूल एवं शिक्षण संस्थानों की कोविड सुरक्षा पालना के निर्धारित मापदंडों को जांचने की प्रक्रिया तक सुनिश्चित नही की है। ना ही शिक्षकों द्वारा जाँच करवाए जाने के सम्बंध में कोई दिशानिर्देश ही जारी किए है।

ऐसी स्थिति में अभिभावक असमंजस में है की बच्चों को स्कूल भेजा जाए या नहीं। सरकार और शिक्षा विभाग ने स्कूलों संचालकों के दबाव में जल्दबाजी में निर्देश तो जारी कर दिए किन्तु अगर किसी भी प्रकार की अनहोनी होती है तो इसके दुष्प्रभाव बच्चों के मार्फ़त अभिभावक एवं घर के बुजुर्गों पर पड़ेगा जिसके परिणाम गम्भीर हो सकते है।

संयुक्त अभिभावक संघ की टास्क फ़ोर्स रखेगी स्कूलों पर निगरानी

संयुक्त अभिभावक संघ अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि संघ के पदाधिकारी युवराज हसीजा, मनोज जसवानी, मनीष विजयवर्गीय, श्रीमती अमृता सक्सेना एवं श्रीमती दौलत शर्मा की निगरानी में पाँच अलग अलग टास्क फ़ोर्स गठित की है जो सोमवार से स्कूलों के खुलने पर कोविड से सुरक्षा के लिए स्कूलों द्वारा किए जाने वाले प्रबंधों के बारे में अभिभावकों को सूचना प्रदान करेंगे। एवं लापरवाही पाए जाने पर स्कूल प्रबंधन एवं शिक्षकों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 269 एवं 270 के तहत जान जोखिम में डालने के लिए मुक़दमे दर्ज करवाएँगे।

क्या है भा. द. स. की धारा 269 एवं 270

लीगल सेल अध्यक्ष एडवोकेट अमित छंगाणी ने जानकारी देते हुए बताया कि किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया लापरवाही भरा काम जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है को भदस की धारा 269 के तहत दंडनीय अपराध बनाया गया है जिसमें छः माह की सजा का प्रावधान है।

वहीं धारा 270 के तहत किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या नुकसानदेह काम जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है के लिए दो साल तक की सजा का प्रावधान है।

Read Hindi News, Like Facebook Page : Follow On Twitter:

Exit mobile version