जयपुर। प्रदेश में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों में नेतृत्व क्षमता एवं सहभागी कार्य पद्धति विकसित करने के उद्देश्य से प्रबन्धन परिषद का गठन किया गया है।
जनजाति क्षेत्रीय विकास राज्यमंत्रीअर्जुन सिंह बामनिया ने बताया कि जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों और छात्रावासों में शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों की सहभागिता सुनिश्चित करने, विद्यार्थियों के सवार्ंगीण विकास, शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद संबंधी गतिविधियों के नियमित आयोजन, संस्थान परिसर में प्रकृति तथा पर्यावरण के संरक्षण एवं विकास तथा विद्यार्थियों में समूह भावना, नेतृत्व क्षमता एवं सहभागी कार्य पद्धति विकसित करने के उद्देश्य से विद्यालय प्रबन्धन परिषद एवं छात्रावास प्रबन्धन परिषद का गठन किया गया है।
उन्होने बताया कि विद्यालय प्रबन्धन परिषद में स्कूल गार्जियन के रूप में मनोनीत जिला प्रशासन के अधिकारी को संरक्षक, स्थानीय सरपंच, नगरीय निकाय सदस्य को उपसंरक्षक, संस्था प्रधान को संयोजक, संस्था प्रधान द्वारा मनोनीत अभिभावक प्रतिनिधि को उपसंयोजक, संस्था प्रधान द्वारा मनोनीत शिक्षक प्रतिनिधि को उपसंयोजक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष सदस्य, शारीरिक शिक्षक, कोच सदस्य व हॉस्टल वार्डन को सदस्य बनाया गया है।
श्री बामनिया ने बताया कि संस्था प्रधान द्वारा मनोनीत छात्र, छात्रा पदाधिकारी को साहित्यिक सचिव, उप साहित्यिक सचिव, सांस्कृतिक सचिव, उप सांस्कृतिक सचिव, क्रीड़ा सचिव, उप क्रीड़ा सचिव, परिसर सचिव, उप परिसर सचिव, भोजनालय सचिव व उप भोजनालय सचिव बनाया गया है।
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश्वर सिंह ने बताया कि साहित्यिक सचिव, कविता, कहानी, निबन्ध, आशुभाषण, वादविवाद प्रतियोगिता, सांस्कृतिक सचिव, गीत, नृत्य, नाटक, चित्रकला प्रतियोगिता, क्रीड़ा सचिव, खेलकूद संबंधी आयोजन, परिसर सचिव, स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण एवं सुपोषण वाटिका तथा भोजनालय सचिव, भोजन एवं आवासीय सुविधा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु परिषद को सहयोग प्रदान करेंगे। प्रत्येक सचिव स्वयं को आवंटित कार्य हेतु जिम्मेदार होंगे व अन्य सचिवगण को भी उनके आवंटित कार्यों के निर्वहन में आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे। इस प्रकार परिषद के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी सामूहिक होगी। परिषद की बैठक माह में एक बार या आवश्यकतानुसार होगी तथा इसमें अन्य शिक्षकों एवं छात्रों को आवश्यकतानुसार विशेष आमंत्रित के रूप में बुलवाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि छात्र, छात्रा पदाधिकारियों के मनोनयन में वरिष्ठता, शैक्षणिक उपलब्धि, अभिरूचि, उत्साह, सक्रियता एवं सामाजिकता इत्यादि का पूर्ण ध्यान रखा जाएगा। प्रबन्धन परिषद का नाम पट्ट एवं नोटिस बोर्ड विद्यालय, छात्रावास परिसर में किसी प्रमुख स्थान पर स्थापित किया जाएगा। प्रबन्धन परिषद का कार्यकाल शैक्षणिक सत्रारम्भ से सत्र समाप्ति तक रहेगा और कार्यकाल की समाप्ति पर छात्र, छात्रा पदाधिकारियों को संस्था प्रधान, हॉस्टल वार्डन के हस्ताक्षर से प्रमाण-पत्र भी प्रदान किया जाएगा।
श्री सिंह ने बताया कि विद्यालय प्रबन्धन परिषद, छात्रावास प्रबन्धन परिषद के कर्तव्य व दायित्व निर्धारित किये गये है। जिसमें विद्यालय, छात्रावास में अध्ययन एवं निवासरत छात्र, छात्राओं का शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद सम्बन्धी विकास सुनिश्चित करना तथा इस हेतु विभिन्न कार्यक्रम, गतिविधियाँ नियमित रूप से आयोजित करना है। इसी प्रकार परिसर में कोर्स, कैरियर गाइडेन्स हेतु विशिष्ट व्यक्तियों का व्याख्यान व विद्यार्थियों से संवाद आयोजित करना, विश्व आदिवासी दिवस, स्वतन्त्रता दिवस, महात्मा गाँधी जयन्ती, बाल दिवस, गणतन्त्र दिवस इत्यादि के अवसर पर कविता, कहानी निबन्ध प्रतियोगिता, आशुभाषण, वाद विवाद प्रतियोगिता, चित्रकला, नृत्य, गीत प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम व खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन करना, परिसर में स्वच्छता, वृक्षारोपण एवं सुपोषण वाटिका हेतु विशेष अभियान संचालित करना होगा। उन्होंने बताया कि आवासीय सुविधा एवं भोजन व्यवस्था की गुणवत्ता सुनिश्चित करना, परिसर की समस्याओं के सम्बन्ध में आयुक्त, उपायुक्त, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग अथवा सम्बन्धित अधिकारियों को अवगत कराना जरूरी होगा।