जयपुर। भारतीय जनता पार्टी प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उनका सम्बोधन सुनकर अफसोस और सहानुभूति हुई, मुख्यमंत्री (CM Ashok Gehlot) की बयानबाजी से यह साबित हो गया कि वह (Rajasthan Government)सरकार चलाने में पूरी तरह विफल साबित हो गये हैं।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि गहलोत ने भाजपा के देशभर में कार्यालय निर्माण पर सवाल खड़े किए, उनको इस बात की बौखलाहट है कि 50 साल तक कांग्रेस के सत्ता में रहने के बाद भी कांग्रेस के दफ्तर क्यों नहीं बने, क्योंकि उनके नेता देश को लूटकर अपने घर भरने में लगे हुए थे। कांग्रेस एक वंश एवं एक परिवार के पीछे चलती है, भाजपा संघर्षों से एवं आंदोलन से खड़ी हुई है, अनुशासित एवं व्यवस्थित तरीके से चलने वाली पार्टी है, इसलिए कार्यालय निर्माण पार्टी की प्रक्रिया का हिस्सा है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि कांग्रेस के यहाँ आॅडिट नहीं होती होगी, भाजपा में आॅडिट की पारदर्शी व्यवस्था है, इसलिए उनको भाजपा के इस मसले पर अंगुली उठाने का कोई अधिकार नहीं है, बल्कि गहलोत सरकार ने तो ईष्र्या एवं द्वेष से भाजपा के प्रदेश में बनने वाले कार्यालयों के निर्माण में प्रशासनिक और कानूनी अड़चन पैदा की। उन्होंने कहा कि बिहार और बिहार के बाद में हैदराबाद ग्रेटर नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस पार्टी फिसड्डी रही, आज कांग्रेस दोयम दर्जे की पार्टी बन गई है और ऐसा ही हाल राजस्थान में कांग्रेस का होने वाला है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि देश के राजनीतिक नक्शे पर कांग्रेस धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है और यह हताशा गहलोत को है। मुझे इस बात पर भी बेहद आपत्ति है कि उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह व केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का नाम लेकर उनके बारे में जो अमर्यादित कहा, बिना प्रमाण एवं तर्क के ओछी भाषा का इस्तेमाल किया है वह राजनीतिक तौर पर मर्यादा की परिधि में नहीं आता है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि गहलोत ने यह कहते हैं कि भाजपा सरकार गिराने के षड्यंत्र में शामिल थी, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की अपनी समस्या थी और आज भी बरकरार है। कंाग्रेस सरकार अपने कर्मों एवं आलाकमान की कमजोरी से गिर जायेगी।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि कांग्रेस के भीतर असंतोष का लावा है, गहलोत एवं कांग्रेस नेतृत्व उसको काबू करने में असफल रहे हैं और तोहमत भाजपा के माथे पर लगाते हैं, मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री गहलोत अपना घर सम्भाल लेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा। उन्होंने ‘पीएम केयर्स फण्ड’ पर प्रश्न उठाया है, पूरी दुनिया को पता किस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने कोरोना से मुकाबला किया और आज देश उस दरवाजे पर दस्तक दे रहा है जहाँ वैक्सीन तैयार होकर वितरण की स्थिति में है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि गहलोत बतायें कि आपातकाल किसके शासनकाल में लगा, अनुच्छेद 356 का अधिकतम दुरुपयोग किसके शासनकाल में हुआ, सैकड़ों सरकारें बर्खास्त कर दी गई, क्या वह भूल जाते हैं कांग्रेस के इतिहास को कि क्या कांग्रेस शासनकाल के दौरान सिखों के साथ हुए कत्लेआम को भुलाने की कोशिश करते हैं, देश में कांग्रेस के राज में लूट और झूठ का खेल हुआ।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि तानाशाही के रूप में कांग्रेस के एक परिवार वंश ने पूरे देश में देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त करने की कोशिश की और देश की जनता को आजादी के बाद आपातकाल के खिलाफ दूसरा बड़ा संघर्ष करना पड़ा। मुख्यमंत्री किसानों के हितैषी बनने की बात करते हैं लेकिन ”हाथी के दाँत खाने के और-दिखाने के और हैं” और उनको यह याद रखना चाहिए कि कांग्रेस को 50 साल किसानों के कल्याण के लिए मिले थे, लेकिन उन्होंने किसानों की समस्याओं का समाधान क्यों नहीं किया?
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पीएम सम्मान निधि, साॅयल हेल्थ कार्ड, नीम कोटेड यूरिया, किसानों के लिए पेंशन और तीन कृषि विधेयकों के जरिए किसानों के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं। गहलोत राजस्थान के लोगों को यह बता दें कि उनके अन्तर्राष्ट्रीय नेता राहुल गाँधी ने 10 दिन में कर्जामाफी की बात की थी, उसका क्या हुआ?
डाॅ. पूनियां ने कहा कि गहलोत थोड़े बहुत भी ईमानदार हैं तो सार्वजनिक मंच पर सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी और बिजली के बिलों में रियायतों के बारे में अपना स्पष्टीकरण पेश करें। वह अपने आपको हरिशचन्द्र साबित करने के लिए भाजपा पर झूठे आरोप लगाते हैं।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि गहलोत को आदिवासी नेता महेन्द्रजीत सिंह मालवीया के उस वीडियो को चश्मा लगाकर देख लेना चाहिए एवं ईयरफोन लगाकर ठीक से सुन लें कि जो आरोप लगाए हैं कांग्रेस के किसी नेता ने उनका खण्डन नहीं किया है सिर्फ लीपापोती की है, इससे प्रमाणित होता है कि बाड़ेबंदी के दौरान भ्रष्टाचार के पैसे से सरकार को किस तरीके से मैनेज करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि जुमलेबाजी एवं कांग्रेस का युग चला गया, कई बार ऐसा लगता है कि खिलाड़ी खुद ही मैदान छोड़ देता है मुझे लगता है कि अशोक गहलोत इस हताशा में कहीं खुद ही हिट विकेट नहीं हो जाएं, मैदान नहीं छोड़ दें।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के 2 साल का शासन इतिहास में काले सालों एवं काला दिवस के रूप में गिने जाएंगे। प्रदेश में गहलोत शासन चलाने में विफल हो चुके हैं। भ्रष्टाचार, अराजकता, अकर्मण्यता, ध्वस्त कानून व्यवस्था, किसानों एवं बेरोजगारों से वादाखिलाफी सरकार के कामकाज की बानगी है। नोटबंदी की सबसे बड़ी मार कांग्रेस पार्टी को पड़ी है, देश एवं विदेशों में सबसे ज्यादा खाते कांग्रेस नेताओं के हैं। नोटबंदी से कांग्रेस पार्टी के कालेधन की कमर टूटी है, जिसके कारण बार-बार राहुल गाँधी, अशोक गहलोत नोटबंदी का जिक्र करते हैं।