जयपुर। राज्य (Rajasthan) की गहलोत सरकार (Gehlot Government) द्वारा अलोकतांत्रिक तरीके से जयपुर ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Nigam) की महापौर (Mayor) व तीन अन्य पार्षदों को निलम्बित करने, बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था, लम्बित भर्तियों, सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी सहित विभिन्न जनहित के मुद्दों को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां के आहृान पर जयपुर से लेकर पूरे प्रदेशभर के सभी मण्डलों पर कोविड गाइडलाइन की पालना करते हुए काली पट्टी बांधकर धरने-प्रदर्शन किये गये और अशोक गहलोत सरकार की तानाशाही के खिलाफ नारेबाजी की गई।
भाजपा प्रदेश कार्यालय परिसर के बाहर धरना-प्रदर्शन
डाॅ. पूनियां के नेतृत्व एवं आहृान पर भाजपा प्रदेश कार्यालय (BJP Rajasthan Office) परिसर के बाहर धरना-प्रदर्शन किया गया।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि प्रदेशभर के एक हजार से अधिक मण्डलों पर कोविड प्रोटोकाॅल (Covid Ptotocol) का पालन करते हुए गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) की तानाशाही व असंवैधानिक फैसले के खिलाफ धरने-प्रदर्शन किये गये। भविष्य में भी जनहित के मुद्दों को लेकर जब-जब जरूरत पड़ेगी भाजपा सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ने को तैयार है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री (CM) अशोक गहलोत बात-बात पर नैतिकता और लोकतंत्र की दुहाई देते हैं, लेकिन ‘‘हाथी के दाँत खाने के और-दिखाने के और हैं’’, उनकी कथनी और करनी में इतना फर्क है कि जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर व तीन अन्य पार्षदों को निलम्बित किया जाना ये अपने आप में प्रतिशोध एवं विद्वेष को साबित करता है। नगरपालिका अधिनियम की धारा 39 का दुरूपयोग यह प्रदेश में पहली बार हुआ है। यह साफ तौर पर कांग्रेस की खीज और बौखलाहट है।
जयपुर शहर में भाजपा (BJP) को बड़ा जनादेश मिला, कांग्रेस को मुँह की खानी पड़ी, उसी समय से मुख्यमंत्री के मन में ये बौखलाहट है। अफसर व जनप्रतिनिधियों के सामान्य वाद-विवाद को उन्होंने आपराधिक मुकदमों में तब्दील किया, ये दुर्भाग्यपूर्ण, शर्मनाक एवं अलोकतांत्रिक है।
भारतीय जनता पार्टी,(BJP Rajasthan) राजस्थान की ओर से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां की अगुवाई में राज्य में कांग्रेस सरकार द्वारा कानून का दुरूपयोग कर जयपुर नगर निगम गे्टर की निर्वाचित भारतीय जनता पार्टी की महापौर डाॅ. सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) व निर्वाचित भारतीय जनता पार्टी के पार्षद अजयसिंह चैहान, शंकर शर्मा व पारस जैन को असंवैधानिक रूप से आदेष के विरूद्ध महामहिम राज्यपाल महोदय को ज्ञापन सौंपा गया।
इस दौरान प्रतिनिधिमण्डल में डाॅ. पूनियां के साथ नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. अरूण चतुर्वेदी, जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा, करौली-धौलपुर सांसद मनोज राजौरिया, जयपुर शहर अध्यक्ष राघव शर्मा, विधायक नरपत सिंह राजवी, महापौर डाॅ. सौम्या गुर्जर, उपमहापौर पुनीत कर्णावट मौजूद रहे।
महामहिम राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन के महत्वपूर्ण बिन्दु निम्न प्रकार हैंः-
1. जयपुर महानगर (Jaipur City) में नगर पालिका अधिनियम 2009 के अन्तर्गत अक्टूबर 2020 में नगर निगम गे्रटर जयपुर महानगर के पार्षदगणों का चुनाव सम्पन्न हुआ था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी की डाॅ. सौम्या गुर्जर महापौर चुनी गई।
नगर निगम जयपुर गे्टर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की महापौर व बोर्ड बनने के बाद से ही राज्य की कांग्रेस सरकार में नगर निगम जयपुर गे्टर की महापौर व बोर्ड के कार्यों में बाधा पहुँचाना प्रारम्भ कर दिया, बोर्ड के चैयरमेन के निर्वाचन के मामले में भी राज्य सरकार ने अड़चन की, तब माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही विभिन्न समितियों के चैयरमेन अपना पद ग्रहण कर पाये।
इस प्रकार राज्य की कांग्रेस सरकार का प्रारम्भ से ही भारतीय जनता पार्टी के बोर्ड को कानून की गलत व्याख्या कर अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है।
2. वर्तमान में जयपुर नगर निगम गे्टर (Jaipur Nagar Nigam) के क्षेत्र में सफाई व्यवस्था जिस कम्पनी को दी गई थी। उस बी.वी.जी. कम्पनी द्वारा सफाई कार्य ठीक से सम्पादित नहीं किया जा रहा था तथा हड़ताल कर दी गई थी, जिससे शहर में सफाई व्यवस्था चरमरा गई तथा गन्दगी के ढेर होने लगे।
कोविड महामारी के दौरान गन्दगी से महामारी फैलने के अंदेषे से जनता में भय व्याप्त था, जनता के भय व षिकायत को देखते हुये महापौर डाॅ. सौम्या गुर्जर ने दिनांक 04.06.2020 को अपने कक्ष में सफाई व्यवस्था हेतु वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए एक बैठक रखी, जिसमें नगर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह व अन्य अधिकारियों को बुलाया।
राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 के अनुसार नगर निगम के सभी अधिकारी महापौर के अधीन होते है। यज्ञमित्र सिंह आयुक्त ने महापौर द्वारा बुलाई गई अहम बैठक को बीच में ही छोड़कर बगैर महापौर से अनुमति लिये उठकर जाने पर महापौर व उपस्थित अन्य पार्षदगणों द्वारा आपति किये जाने पर आयुक्त यज्ञमित्र सिंह आवेष में आ गये तथा महापौर को धमकी दी की कम्पनी के बिलों का भुगतान पहले करना पड़ेगा, अन्यथा मैं जा रहा हूँ।
महापौर (Mayor) का कथन था कि कम्पनी के बिलों की जाँच करवाकर ही भुगतान किया जायेगा। लेकिन शहर में सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था अत्यावष्यक है, लेकिन आयुक्त अपनी बात पर अडे रहे तथा महापौर के निर्देष को मानने से स्पष्ट इंकार कर बैठक को बिना महापौर की अनुमति के छोड़कर चले गये। इस प्रकार श्री यज्ञमित्र सिंह आयुक्त का कृत्य गम्भीर दुराचरण की परिभाषा में आता है।
बैठक के बाद आयुक्त ने सोची-समझी साजिष के तहत राज्य सरकार के इषारे पर पुलिस में एक झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई तथा स्वायत शासन विभाग में झूठी षिकायत की, जिस पर राज्य सरकार ने पूर्व से निर्धारित साजिष के तहत कनिष्ठ अधिकारी रेणु खण्डेलवाल को घटना की जाँच सौंप दी।
रेणु खण्डेलवाल ने महापौर व अन्य पार्षदगण को जाँच में सुनवाई का अवसर ही नही दिया, जबकि महापौर व अन्य पार्षदगणों द्वारा जवाब हेतु व साक्ष्य हेतु उचित समय माँगने का प्रार्थना-पत्र, मय माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत जो AIR 1972 सुप्रीम कोर्ट पेज 25 38 पर दिया गया था, प्रस्तुत किया।
लेकिन जाँच अधिकारी ने बचाव सुनवाई का अवसर ही प्रदान नहीं किया तथा मात्र 48 घण्टे की अवधि में दिनांक 6.06.2021 को एक तथ्यहीन भ्रामक व विधि विरूद्ध जाँच रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंप दी। उक्त रिपोर्ट को पढने मात्र से ही स्पष्ट है कि उक्त रिपोर्ट सरकार के दबाव में राजनैतिक षडयन्त्र के तहत भारतीय जनता पार्टी की निर्वाचित महापौर व पार्षदगणों को हटाने के कपटपूर्ण आषय से तैयार की गई है।
जाँच रिपोर्ट में जाँच अधिकारी पैरा 13 लगायत 20 में महापौर व अन्य पार्षदों के बयान का कथन किया है, जबकि स्पष्ट है कि महापौर ने कोई बयान व जवाब प्रस्तुत ही नहीं किया मात्र जवाब व साक्ष्य हेतु समय माँगा था। इसी प्रकार जाँच में नगर निगम वरिष्ट अधिकारी बृजेष चांदोलिया अतिरिक्त आयुक्त के बयान दर्ज है जिसमें उन्होंने किसी भी प्रकार से आयुक्त के साथ मारपीट होना नहीं कथित किया है। जाँच अधिकारी द्वारा जो निष्कर्ष दिया गया है वह आधारहीन तथा राज्य सरकार के निर्देष पर विधि विरूद्ध दिया गया है।
3. महापौर (Mayor) द्वारा राज्य कार्य हेतु ही बैठक निगम मुख्यालय में बुलाई गई थी, ऐसे में आयुक्त का बगैर महापौर की अनुमति के जाना राज्य कार्य में बाधा डालना स्पष्ट होता है। लेकिन जाँच अधिकारी ने इन तथ्यों पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया।
इस प्रकार स्पष्ट रूप से राज्य सरकार ने कानून का दुरूपयोग किया है। यह इससे भी स्पष्ट है कि राजस्थान के अलवर शहर में कांगे्रस समर्थित नगर पालिका व सभापति है जिनके विरूद्ध कोतवाली अलवर में प्रथम सूचना रिपोर्ट नं. 471/2020 इस आषय की दर्ज कराई गई थी कि उन्होंने अपने कक्ष में बुलाकर अधिकारी के चाटा मार दिया।
उक्त घटना की जाँच कराकर राज्य सरकार ने राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 के तहत जाँच रिपोर्ट के आधार पर अग्रिम कार्यवाही हेतु पत्रावलि जिला एवं सत्र न्यायाधीष कैडर के अधिकारी को सौंप दी लेकिन वहाँ सभापति को आज तक निलम्बित नहीं किया गया।
इससे राज्य सरकार (Rajasthan Government) की दुर्भावना व कानून का दुरूपयोग स्पष्ट है। इसके अतिरिक्त जयपुर की जाँच रिपोर्ट के अध्ययन मात्र से ही यह स्पष्ट है कि यदि इस जाँच रिपोर्ट को समग्र रूप से पढा जाऐं तो सिर्फ धक्का-मुक्की होने का कथन ही सामने आता है। फिर भी निलंबन की कार्यवाही राज्य सरकार की स्पष्ट दुर्भावना दर्शाता है।
माननीय के समक्ष सभी तथ्यों को प्रस्तुत करते हुये निवेदन है कि अविलम्ब प्रकरण की जाँच कर राज्य सरकार द्वारा पारित आदेष 6.06.2021 को अपास्त किया जाकर महापौर डाॅ. सौम्या गुर्जर व पार्षद अजय सिंह चैहान, पारस जैन व शंकर शर्मा का निलम्बन बहाल किया जावे व दोषी अधिकारियों व राज्य सरकार के विरूद्ध कानून के तहत कार्यवाही की जावें।
ये रहे उपस्थित
जिसमें प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. अरूण चतुर्वेदी, जयपुर शहर रामचरण बोहरा, करौली-धौलपुर सांसद मनोज राजौरिया, विधायक एवं पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी, नरपत सिंह राजवी, प्रदेश उपाध्यक्ष सरदार अजयपाल सिंह, मुकेश दाधीच, माधोराम चैधरी, प्रदेश मंत्री श्रवण सिंह बगड़ी, बिजेन्द्र पूनिया, अशोक सैनी, महापौर डाॅ. सौम्या गुर्जर, उपमहापौर पुनीत कर्णावट, प्रदेश मीडिया प्रभारी विमल कटियार, अजमेर नगर निगम उपमहापौर नीरज जैन, महिला मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष अल्का मूंदड़ा, युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष हिमांशु शर्मा, अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष एम. सादिक खान, अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एच. खान, सोशल मीडिया प्रदेश प्रभारी हिरेन्द्र कौशिक सहित पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं पार्षद मौजूद रहे।