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गुरुओं के चरणों में समर्पण का महासंगम
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मुख्यमंत्री भजनलाल बोले-“मैं आज मुख्यमंत्री हूँ तो यह मेरे गुरु का ही आशीर्वाद है”
जयपुर। जयपुर के जेईसीसी परिसर में शनिवार को गुरु पूर्णिमा पर्व एक भव्य आध्यात्मिक आयोजन में तब्दील हो गया। 20 हजार से अधिक श्रद्धालु पूज्य संत कमलेश जी महाराज के दर्शन को पहुंचे,और ‘गुरु देवो भव:’ की गूंज से पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा।
संत परंपरा,श्रद्धा और राष्ट्र चेतना का अद्वितीय संगम
गुरु पूर्णिमा महोत्सव केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं रहा, यह बना श्रद्धा, सेवा और सामाजिक समरसता का विराट मंच। पूज्य कमलेश जी महाराज ने अपने उद्बोधन में भावुक होते हुए कहा-“यह भक्तों का प्रेम ही मेरी शक्ति है। यही मार्गदर्शन है,यही मेरा संबल।”
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा “गुरु के बिना जीवन में कोई दिशा नहीं होती। मैं आज जो भी हूं,वह मेरे गुरु का ही आशीर्वाद है। मेरी विधानसभा क्षेत्र में महाराज जी का आश्रम होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।”
राजनीति, समाज और सेवा सभी हुए गुरु चरणों में नतमस्तक,महोत्सव में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सांसद मंजू शर्मा,विधायक गोपाल शर्मा,कैलाश वर्मा,प्रदेश महामंत्री श्रवण सिंह बागड़ी,जिला अध्यक्ष अमित गोयल,नगर निगम ग्रेटर उपमहापौर पुनीत कर्णावत सहित कई जनप्रतिनिधियों ने संतों का वंदन कर समाज को गुरु भक्ति का संदेश दिया।

मदन राठौड़ बोले “गुरु चाहे जीवन का हो या राजनीति का,वह हर दिशा में सफलता का आधार है। पूज्य महाराज के दर्शन मेरे लिए सौभाग्य का क्षण हैं।”
जिला अध्यक्ष अमित गोयल ने कहा- “जिस पर रामजी की कृपा हो, उस पर फिर सबकी कृपा होती है। और राम कृपा का सबसे श्रेष्ठ मार्ग है संतों के चरणों में शीश नवाना। यह आयोजन समाज को आध्यात्मिक दिशा देता है।”
‘गायत्री भवन परिवार’ बना जन आस्था का केन्द्र
गुरु पूर्णिमा के इस महा आयोजन में गायत्री भवन परिवार की सेवा, समर्पण और संस्कार की भावना ने आयोजन को नई ऊंचाई दी। पिछले 25 वर्षों से समाज सेवा,साधना और संस्कार के कार्य कर रहे इस परिवार ने हजारों श्रद्धालुओं के भावनात्मक जुड़ाव को मूर्त रूप दिया।

पूज्य कमलेश जी महाराज का सम्मान रहा मुख्य आकर्षण
गुरु वंदन के दौरान जैसे ही महाराज श्री मंच पर पधारे,श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। ‘गुरु देवो भवः’ के सामूहिक घोष ने आयोजन को आध्यात्मिक चरम पर पहुँचा दिया।
“संतों का सम्मान, समाज का उत्थान”बना आयोजन का मूल मंत्र
पूज्य कमलेश जी महाराज ने कहा- “धर्म और कर्म, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। समाज को जोड़ने के लिए प्रेम और विचारों की सहमति ज़रूरी है।” यही संदेश आयोजन की आत्मा बन गया।
भविष्य का संकल्प-सेवा,श्रद्धा और सामाजिक जागरण
गुरुपूर्णिमा महोत्सव के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट हुआ कि आध्यात्मिक गुरु समाज निर्माण में मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। यह आयोजन न केवल भक्ति का पर्व था,बल्कि सामाजिक चेतना,सद्भाव और नवचेतना का नया अध्याय भी।