अलवर में स्वच्छ जल तक पहुंच में सुधार लाने में एबी इनबेव की आरबीएल ब्रेवरी ने लेट्सएंडोर्स की पहल

अलवर। दुनिया के अग्रणी ब्रेवर, एंयूशर बुश इनबेव (एबी इनबेव) (AB InBev’sRBL brewery)ने राजस्थान के अलवर जिले में वाटरशेड रीप्लेनिसमेंट सुविधाओं को विकसित करने के लिए लेट्सएंडोर्स और अर्पण सेवा संस्थान के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की। यह एसोसिएशन उच्च संकट वाले क्षेत्रों में औसत रूप से बेहतर जल उपलब्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अपने 2025 के ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एबी इनबेव की प्रतिबद्धता को मजबूती प्रदान करता है।

2019 में लॉन्च किए गए ‘प्रोजेक्ट सिंचन की प्रगति के साथ चलते हुए, लेट्सएंडोर्स के साथ साझेदारी में शुरू की गई यह पहल नीमराना तहसील के सात गांवों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।

गौरतलब है कि लेट्सएंडोर्स सामाजिक बदलाव के लिए पब्लिक और प्राइवेट स्टेकहोलडर्स को सक्रिय करने वाला एक सामूदायिक मंच है और अर्पण सेवा संस्थान एक गैर-लाभकारी संगठन है जो ग्रामीण समाज के लिए एक उपयुक्त तंत्र विकसित करने के प्रति समर्पित है। ये गाँव अलवर जिले में कंपनी के आरबीएल ब्रेवरी के आसपास स्थित हैं। इस पहल के सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक इस वर्ष की शुरुआत में 4.9 लाख केएल के वाटर रिचार्ज करने के साथ हासिल किया गया था और इसके लिए 17 वाटरशेड रीप्लेनिसमेंट सुविधाएं स्थापित की गई थीं, जिनमें एनीकट, मिनी परकोलेशन टैंक, गाँव के तालाब, रिचार्ज हाफ्ट, चेक डैम और गैबियन संरचनाएं शामिल रहीं। 2020 के अंत तक 1.0 लाख केएल से अधिक के अतिरिक्त वाटर रिचार्ज के लिए पांच अतिरिक्त सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा।

गगनदीप सेठी, वीपी, सप्लाई एंड लॉजिस्टिक्स – दक्षिण एशिया, एबी इनबेव ने कहा कि “जहाँ हम रहते हैं और काम करते हैं, वहां के समुदायों से हम गहराई से जुड़े हैं। हम मानते हैं कि पानी की उपलब्धता लोगों के लिए महत्वपूर्ण है और राजस्थान के कई इलाकों में पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जहां उपयोग में लाये जाने वाले उपलब्ध सतह और भूमिगत जल की हिस्सेदारी रिचार्ज किए गए जल से अधिक है।

उन्होने कहा कि हमें खुशी है कि हमने अपने संसाधनों को जुटाने और इन समुदायों में उपलब्ध जल में सुधार करने के लिए लेट्सएंडोर्स और अर्पण सेवा संस्थान जैसे समान सोच वाले संगठनों के साथ साझेदारी की है। हम इन जल चुनौतियों के संकट को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हासिल की गई प्रगति हमारे ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।”

वाटरशेड को लागू करने के अलावा, यह सहयोग जल संरक्षण को लेकर समुदायों को सशक्त बनाने पर ध्यान देता है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, ‘रिज टू वैली’दृष्टिकोण को अपनाया जा रहा है, जो सतह के जल के रन-ऑफ वॉल्यूम और वेग को कम करते हुए, रिज से शुरू करके पानी की प्रत्येक बूंद के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है।

लेट्सएंडोर्स के सह-संस्थापक वरुण कश्यप ने कहा कि “समुदायों में मौजूद सामाजिक चुनौतियों को हल करने के लिए सोशन इनोवेशन को जुटाना पेचीदा मामला है। समुदाय के भूगोल, जनसांख्यिकी, आदत, संस्कृति और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए, सही समाधान को परिभाषित और कार्यान्वित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एबीइनबेव के साथ की गई साझेदारी से हमें विशेष सीख देगी, जिसे पूरे भारत में लागू किया जा सकता है।”

साक्ष्य-आधारित शिक्षाओं को हासिल करने के लिए, दो गांवों में मौजूदा बोरवेल में लागू दो पीजोमीटर उपकरण एक अवधि में भूजल तालिका प्रोफाइल को प्रभावी ढंग से मॉनिटर करने में मदद करेंगे। समय-समय पर एकत्रित आंकड़ों से तैयार किए गए वॉटर टेबल प्रोफाइल के व्यवहार से निर्मित वाटर रिचार्ज संरचना की प्रभावकारिता निधारित करने में मदद मिलेगी।

एबी इनबेव जल के मामले में नेतृत्व देने में सबसे आगे रहा है, और पूरे देश भर में कई सुरक्षा पहलों को लागू किया है। इसमें कठोर जल प्रबंधन कार्यक्रम और इलेक्ट्रो डायलिसिस रिवर्सल, मल्टी इफेक्ट इवेपोरेटर्स और वेस्टवाटर रिकवरी प्लांट जैसे जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाकर ब्रेवरीज में पानी की दक्षता में सुधार करना शामिल है। पोर्टेबल मानकों पर अपशिष्ट जल को रिसाइकल करके और कंपनी के वैश्विक जल उपयोग मानकों के अनुसार गैर-उत्पादन उद्देश्यों जैसे कूलिंग टॉवरों में, फर्श की सफाई और बागवानी के लिएइसका फिर से उपयोग करके, आरबीएल ब्रेवरी ने पिछले कुछ वर्षों में पानी की खपत को 30ः तक कम कर दिया है।

एबी इनबेव ने अपने स्मार्ट बारली प्रोग्राम के माध्यम से राजस्थान, हरियाणा और तेलंगाना में अपनी सुविधाओं में, जौ उत्पादक किसानों के साथ जल संचयन और प्रबंधन गतिविधियों के साथ-साथ वाटरशेड मैनेजमेंट भी लागू किया है। कंपनी ने बेंगलुरु में वाटर हेल्थ सेंटर स्थापित किए हैं, जिनसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में 100,000 से अधिक लोगों तक पानी पहुंचाने में मदद मिली है।

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