बीकानेर। बीकानेर की कला, साहित्य, संस्कृति, इतिहास, विज्ञान व तकनीकी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर हिंदी विश्वभारती अनुसंधान परिषद् की ओर से व्याख्यान माला ‘युग युगीन बीकानेर‘ की श्रृंखला के उद्घाटन रविवार को महाराजा नरेन्द्र सिंह ऑडिटोरियम में हुआ।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता संवित् सोमगिरी महाराज, अधिष्ठाता श्री लालेश्वर महादेव मंदिर मठ, शिवबाड़ी ने कहा कि ‘बीकानेर के लोगों में संघर्ष की चेतना है। हमारी संस्कृति की चेतना वेद है और वेद का प्रवाह अनन्त है। बीकानेर की चेतना में हमें संस्कृति का दर्शन मिलता है। युग युगीन एक ऐसी जिज्ञासा है जो मानवीय सभ्यता एवं संस्कृति को स्थापित करती है।‘ उन्होंने कहा कि ‘जगत के प्रति बीकानेर की दृष्टि क्या है, इस प्रश्न पर विचार करना चाहिए। हमें यहां के धोरों की प्यास को समझना होगा। साहित्य कला संगीत हमें तलाशना होगा कि युग युगीन बीकानेर क्या है।’
व्याख्यान माला में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रखर चिंतक एवं विचारक डॉ. घनश्याम आत्रेय ने कहा कि ‘हमें विषय की गंभीरता को समझते हुए उस की गहराई तक जाना चाहिए और उस पर चिंतन मनन करना चाहिए।’
अध्यक्षता करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. भादाणी ने कहा कि ‘यहां के विकास में विभिन्न भौतिक विकास यात्रा रही है, इसके पीछे कौन कौन सी ताकतें रहीं है। उस समय और आज के समय में इसका तुलनात्मक अध्यचन किया जाना आवश्यक है।’
इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए हिंदी विश्वभारती अनुसंधान परिषद् के सचिव डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा ने इस व्याख्यानमाला का परिचय दिया। इसके उपरान्त चैतन्य शर्मा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर समन्वयक डॉ. मो.फारूक चौहान, अमर सिंह खंगारोत, डॉ. एस.एन.हर्ष, डॉ. बसंती हर्ष, रमेश महर्षि, हिमानी शर्मा, डॉ. प्रभा भागर्व, श्रीमती प्रमिला गंगल, रितेश, अमित गोस्वामी, सुरेन्द्र राजपुरोहित, महेन्द्र जैन एडवोकेट, जुगल पुरोहित सहित गणमान्यजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार संजय पुरोहित ने किया।
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