नवीन शिक्षा नीति में अंग्रेजी अध्यापन का महत्व बढ़ा

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बीकानेर।राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में अंग्रेजी अध्ययन के विलोपन का प्रावद्यान नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृ भाषा उन्नयन का प्रावद्यान है यह सार्वभौमिक सत्य है कि अगर बालक को प्रारम्भिक शिक्षा मातृभाषा में प्रदान की जाती है तो वह सुगमतापूर्वक तथ्यों को सीख पाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भारत में अंग्रेजी अध्ययन अध्यापन के महत्व को और बढ़ा दिया है।“
 महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा आई.क्यू.ए.सी. के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय “राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवम् भारत में अंगे्रजी अध्ययन का भविष्य“ विषयक आॅनलाइन कांफ्रेस में इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ एडवान्ड स्टडीज के अध्यक्ष प्रो. कपिल कपूर ने मुख्यवक्ता के रूप में बोलते  हुए व्यक्त किये। राजस्थान विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. एन.के. पांडे ने कहा कि यद्यपि पढ़ाई के माध्यम के रूप में मातृभाषा का चुनाव सकारात्मक परिणाम देते हैं तथापि वर्तमान परिदृष्य में शिक्षा में प्रवीणता लाने के लिए अंग्रेजी की भी उतनी ही उपादेयता है व नवीन शिक्षा नीति इसी बात को इंगित करती है।
आॅनलाइन कांफ्रेस के प्रथम सत्र् में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य प्रो. एस.पी. शुक्ला ने कहा कि नई शिक्षा नीति में अंग्रेजी को वह स्थान दिया गया है जो स्वातं़़त्र्योत्तर भारत के विगत 70 वर्षो में भी इसे नहीं मिल पाया। हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, महेन्द्रगढ़ के प्रो. संजीव कुमार एवम् नवीन शिक्षा नीति की प्रारूप समिति के सदस्य ने इस बात पर जोर दिया कि तथाकथित अंग्रेजी सर्मथकों द्वारा यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि नवीन शिक्षा नीति ने अंग्रेजी को दर किनार कर दिया है जबकि वास्तविकता यह है कि अंग्रेजी को नवीन शिक्षा नीति में एक व्यावहारिक भाषा के रूप में और अधिक महत्व मिला है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, अजमेर के प्रो. सरयुग यादव ने विचार व्यक्त् करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति त्रिभाषा फाँॅर्मूला में आमूल चूल परिवर्तन की परिचायक है।
चैधरी देवीलाल विश्वविद्यालय की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. अन्नू शुक्ला, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो0 कल्पना पुरोहित, डूंगर महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डाॅ. कृष्णा राठौड़ ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नवीन शिक्षा नीति अंग्रेजी को मात्र अंग्रेजी साहित्य की भाषा तक सीमित नहीं रखकर इसे भारतीय व्यवहार की भाषा में परिणित करने का प्रयास है।
उद्घाटन सत्र् की अध्यक्षता करते हुए महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वी.के. सिंह ने कहा कि नवीन शिक्षा नीति अंग्रेजी के शिक्षण में आमूल चूल परिवर्तन का घोषणा पत्र है; “अंग्रेजी अब अंग्रेजीयत के लिये नहीं अपितु भारतीयता के लिये पढ़ाई जानी चाहियेे“ इस की घोषणा नवीन शिक्षा नीति करती प्रतीत होती है। आॅनलाइन कांफ्रेस एवम् आई.क्यू.ए.सी. के निदेशक प्रो. एस.के. अग्रवाल ने आॅनलाइन कांफ्रेस का विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि कतिपय विद्वानों द्वारा यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि अंग्रेजी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। वास्तविकता यह है कि नवीन शिक्षा नीति अंग्रेजी शिक्षण-दीक्षण के औपनिवेशीकरण को समाप्त करने का प्रयास है। स्वतंत्र भारत में हमें अपनी अंग्रेजी को स्वीकार करने की आवश्यकता है। अलवर के जिलाधीश एन.एम. पहाड़िया ने इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भाषा का भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान होता है, इसी रूप में सभी भाषाओं का महत्व है, 2020 भी अंग्रेजी के साथ-साथ सभी भाषाओं को महत्व प्रदान करती है। उद्घाटन सत्र् का संचालन अंग्रेजी विभाग में कार्यरत सहायक आचार्य डाॅ. प्रगति सोबती ने किया। कालान्तर में हुए दो तकनीकी सत्रों का क्रमशः संचालन अंग्रेजी विभाग में सहायक आचार्य डाॅ. सीमा शर्मा एवम् श्रीमती संतोष कंवर शेखावत ने किया। आॅनलाइन कांफ्रेस में 200 से भी ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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