राजस्थान में कृषि विज्ञान केन्द्र की तर्ज पर राज्य में होंगे ”पशु विज्ञान केन्द्र”

बीकानेर। जिलों में पशुपालकों को वैज्ञानिक व उन्नत पशुपालन की विशेषज्ञ सेवाएं देने वाले वेटरनरी यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च सेन्टर (वीयूटीआरसी) (Veterinary Training And Research Centers) अब पशु विज्ञान केन्द्र (Animal Science Center) के नाम से जाने जायेंगे। वेटरनरी विश्वविद्यालय की पहल पर राज्य सरकार द्वारा इसकी प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।

कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया ने बताया कि राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (राजुवास), बीकानेर के अन्तर्गत वैज्ञानिक पशुपालन प्रशिक्षण के लिए राज्य में बाकलिया (नागौर), सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर), कुम्हेर (भरतपुर), डूंगरपुर, टोंक, चूरू, बौजुन्दा (चित्तौड़गढ़), कोटा, सिरोही, धौलपुर, लूनकरणसर (बीकानेर), जोधपुर, झुंझुनूं, जालौर एवं झालावाड़ में वीयूटीआरसी केन्द्र स्वीकृत हैं। इन केन्द्रों का मुख्य उद्देश्य जिला स्तर पर वैज्ञानिक प्रशिक्षण, सलाहकारी सेवाएं, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और पशु रोग निदान परामर्श सेवाएं प्रदान करना है। श्री कटारिया ने बताया कि वीयूटीआरसी नाम बोलचाल में थोड़ा कठिन होने से आम किसानों एवं पशुपालकों की जुबान पर सिरे नहीं चढ़ पाया है। इसलिए इसका संक्षिप्त व सरल नामकरण करने की आवश्यकता महसूस हो रही थी। इसी को दृष्टिगत रखते हुए इनका नामकरण कृषि विज्ञान केन्द्र की तर्ज पर ”पशु विज्ञान केन्द्र” किया गया है। यह अत्यंत व्यावहारिक और आमजन में बोलचाल की भाषा में सरल एवं प्रभावी रहेगा क्योंकि यह उन्नत और वैज्ञानिक पशुपालन की स्वप्रेरणा देने वाला है, इससे केन्द्र के व्यापक उद्देश्यों का अहसास होता है।

वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने बताया संक्षिप्त व सरल नामकरण ”पशु विज्ञान केन्द्र” किए जाने से विभिन्न जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और पशुपालकों को इसकी उपयोगिता और कार्यो की जानकारी में आसानी हो गई हैं। कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने बताया कि इन केन्द्रों द्वारा पशुपालन के क्षेत्र में स्थानीय समस्याओं पर अनुसंधान एवं उनका समाधान भी जिले में ही संभव हो ऐसे प्रयास किये जा रहे है। इन केंद्रों की स्थापना से जिला स्तर पर नवीन और उपयोगी तकनीक का तेजी से प्रसार कर अंतिम छोर तक बैठे किसानों व पशुपालकों तक पहुंच को सुनिश्चित किया गया है। राज्य में पशुधन उत्पादकता बढ़ाने और पशुपालकों की आजीविका उन्नयन के लिए आधुनिकतम तकनीकों तथा प्रसार सेवाओं के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन इन केंद्रों द्वारा किया जाता है।

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