दुनिया के नक्शे पर गंगा को अहम् स्थान दिलाने के लिए शुरु की रॉयल क्रूज सेवा : राजसिंह

बीकानेर। गंगा को साफ रखना बड़ा और धार्मिक महान कार्य है। हमारे बड़े-बुजुर्गों ने गंगा की पवित्रता की रक्षा की थी लेकिन आज दु:ख होता है कि गंगा को साफ रखने में जितनी श्रद्धा रखनी चाहिए उस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। यह बात शुक्रवार को इग्जॉटिक हैरिटेज ग्रुप के चेयरपर्सन और राजस्थान में भरतपुर राजघराने के सदस्य प्रवासी राजस्थानी उद्योगपति राजसिंह ने एक विशेष बातचीत में ऑनलाइन वर्चुअल में कही।

उन्होंने कहा कि गंगा को साफ रखने के लिए आत्मिक शुद्धि का होना जरुरी है, अपने मन को शुद्ध करके ही गंगा को साफ किया जा सकता है। गंगा शब्द का उच्चारण करने मात्र से पवित्रता की अनुभूति होती है लेकिन हमारी सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ी यह गंगा सिर्फ नदी नहीं है। जबकि कहते हैं कि इसमें डूबकी लगाने मात्र से हमारे द्वारा किए गए लगभग सभी पाप धुल जाते हैं लेकिन गंदगी और मैल को गंगा में प्रवाहित करना क्या उचित है? गंगा की शुद्धिकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए। पश्चिम बंगाल में खासकर गंगा के साथ यात्रा को यादगार बनाने, गंगा की पवित्रता, पुण्यता व महानता बतलाने तथा दुनिया के नक्शे पर गंगा को अहम् स्थान दिलाने के उद्देश्य से दस वर्ष पूर्व कोलकाता से वाराणसी (Kolkata to Varanasi) तक इग्जॉटिक हैरिटेज ग्रुप की ओर से रॉयल क्रूज सेवा(royal cruise service) शुरु की गयी थी। इससे पहले भी वे कोलकाता से बनारस व ढाका तक गंगा में क्रूज सेवा शुरु कर चुके हैं। पर्यटन की दृष्टि से देखें तो इसमें काफी संभावनाएं देखी जा सकती है। उनके क्रूज में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, साइलेंसर, सीवरेज प्लांट भी लगे हैं जिससे गंगा प्रदूषण मुक्त रहती है साथ ही साथ शोर की ध्वनि भी नहीं होने का दावा उन्होंने किया। उन्होंने बताया कि बीते दिनों भी उन्होंने गंगा की लहरों पर क्रूज सेवा पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कोलकाता में किया जिसमें भारत सरकार के पर्यटन निदेशालय की अतिरिक्त महानिदेशक रुपिंदर बरार, राजस्थान पर्यटन विकास निगम कोलकाता के प्रभारी अधिकारी हिंगलाज दान रतनू, प्रवासी राजस्थानी उद्योगपति संजय बरडिय़ा समेत पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी नेहा चटर्जी, सुमाना पॉल भी मौजूद थे। प्रवासी राजस्थानी उद्योगपति राजसिंह ने यह भी बताया कि वर्ष-2019 में भारत-बांग्लादेश के बीच क्रूज सेवा बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण था। दोनों देशों के लिए जल मार्ग पहली दफा खोला गया।

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