शोध एंव डिजिटल अभिलेखागार को लेकर राज्य अभिलेखागार व गंगासिंह विश्वविद्यालय शोध के क्षेत्र में रचेंगे इतिहास

बीकानेर। राजस्थान राज्य अभिलेखागार के रियासतकालीन दस्तावेज सहित अन्य पब्लिकेशन अब रिसर्च करने वाले विद्यार्थियो के साथ 350 से अधिक महाविद्यालयों में आसानी से उपलब्ध होंगे। इसके लिए (Maharaja Ganga Singh University) महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय (Rajasthan State Archives Bikaner)राज्य अभिलेखागार के साथ कई प्रकार के एमओयू करेगा। राजस्थान राज्य अभिलेखागार द्वारा 2020 तक 1 करोड़ 25 लाख से अधिक भूतपूर्व रियासतों के एतिहासिक व प्रशासनिक दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन व माइक्रोफिल्म का कार्य पूरा हो चुका है और शीघ्र ही दो करोड़ ओर दस्तावेजों के डिजिटाइजेशन व माइक्रोफिल्म का कार्य शुरु होने वाला है। इसकी जानकारी अभिलेखागार के निदेशक ने दी।

राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डा.महेंद्र खड़गावत ने पीटीआई भषा से बातचीत में बताया कि महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने अभिलेखागार का अवलोकन किया। डिजिटल अभिलेखागार, अभिलेख संग्रहालय तथा अभिलेख प्रबंध को देखकर कुलपति ने कई प्रकार के एम.ओ.यू. करने की सहमति जताई।

उन्होने बताया कि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय से संबद्व 350 से अधिक महाविद्यालयों में राज्य अभिलेखागार के रियासतकालीन दस्तावेजों के पब्लिकेशन रखे जायेंगे। इसके साथ ही राज्य अभिलेखागार के रिसर्च प्रोग्राम, आगामी रिसर्च प्रोजेक्ट पर विश्वविद्यालय संयुक्त रुप से अपनी भागाीदारी निभाएगा।

इसके लिए विश्वविद्यालय अपने स्तर पर देश विदेश से आने वाले शोधार्थियों के लिए आवास की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे शोधार्थी लंबे समय तक यंहा रहकर शोध कर सकेंगे। विश्वविद्यालय की वेबसाईट के साथ अभिलेखागार की वेबसाइट को भी लिंक करेगा, ताकि रियासतकालीन दस्तावेजों का आनलाइन अध्ययन सहित अन्य जानकारियों को अधिक लोगेां तक पहुंचाया जा सकेगा।

डा.खड़गावत बतातें है कि अभिलेखागार में चल रहे डिजिटाईजेशन कार्य, पुस्तकालय में उपलब्ध दुर्लभ पुस्तकों, भूतपूर्व रियासतों के एतिहासकि व प्रशासनिक दस्तावेज, शोधार्थियों के पंजीकरण तथा शोध कार्य से संबंधित प्रक्रिया, माईक्रोफिल्मिग कक्ष, विभागीय रिकॉर्ड किपिंग सिस्टम व उनके रखरखाव संबंधी जानकारी शोधार्थियो के लिए मील का पत्थर साबित होंगी और आने वाली पीढ़ी को आजादी से पहले की एतिहासिक जानकारियां मिल सकेंगी।

राज्य अभिलेगार के साथ विभिन्न विषयों पर कार्य करने के लिए कई प्रकार के एमओयू के प्रस्ताव देश विदेश से मिल रहे है। जिसमें आईआईटी खड़गपुर डिजिटल डाटा को लेकर एमओयू, सेप्ट यूनिवसिर्टी अहमदाबाद मेप्स, एक्जीटर विश्वविद्यालय यूके विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को लेकर एमओयू, इसके लिए अंर्तराष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम हो चुका है। वहीं कैग नई दिल्ली डिजिटाइजेशन को लेकर विभाग के साथ कार्य करने के प्रस्ताव मिल चुके है।

जर्मनी का इरफर्ट विश्वविद्यालय काटोग्राफी को लेकर एमओयू करने की इच्छा जताई है।

उन्होने बताया कि अभिलेख संग्रहालय में बनी विभिन्न दीर्घाओं में शिवाजी महाराज दीर्घा, महाराणा प्रताप दीर्घा, टेस्सीटोरी दीर्घा, स्वतंत्रता सेनानी दीर्घा, 1857 के क्रांतिकारियों की प्रदर्शनी दीर्घा एवं ताम्र-पत्र दीर्घा के बारे में कई तरह के शोध में और अधिक जानकारियां आमजन को मिल सकेंगी इससे बीकानेर सहित राजस्थान में पर्यटकों की डिजिटल अभिलेखागार व अभिलेख संग्राहालय बनने से राजस्थान राज्य अभिलेखागार विश्व में पर्यटन एवं शोध का बड़ा केंद्र बन गया है।

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