गहलोत सरकार में नगर निकाय एवं पंचायतीराज संस्थाओं का गिरता स्तर चिंताजनक- रवि शेखर मेघवाल

बीकानेर (Bikaner News)। सांसद सेवा केन्द्र बीकानेर से भारतीय जनता पार्टी (BJP)के नेता (Ravi Shekhar Meghwal) रवि शेखर मेघवाल ने कहा कि वर्तमान में राजस्थान (Rajasthan) की (Ashok Gehlot) अशोक गहलोत सरकार जिस तरह से नगर निकाय व पंचायतीराज संस्थाओं को राजनैतिक भेंट चढा चुका है वह लोकतांत्रिक व्यवस्था के चिंताजनक है। देश कि ग्राम पंचायतों के गठन व शक्तियां प्रदान करने का संवैधानिक दर्जा 73वें संवैधानिक संशोधन 1992 से दिया गया है। देश में 73वें संविधान संशोधन द्वारा 24 अपे्रल 1993 को इस संवेधानिक पंचायतीराज दर्जे को सम्पूर्ण भारत में लागू किया गया है।

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हमारे यहां 24 अप्रेल को पंचायतीराज दिवस मनाया जाता है लेनिक में समझता हूँ कि वर्तमान समय में जो हालात और परिस्थितियां राजस्थान की गहलोत सरकार ने बना रखी है वो अपने आप में लोकतंत्र में पंचायतीराज की हत्या है।

भाजपा नेता ने कहा कि जहां एक तरफ अशोक गहलोत रजीव गांधी की तस्वीर लगाकर उनकों अपना आदर्श बताते हैं वहीं दुसरी तरफ उन्ही के पंचायतीराज संस्थाओं के स्वपन को राजनीति की भेंट चढा रहे है। आज राजस्थान की गहलोत सरकार ने नगर निकाय व पंचायतीराज व्यवस्था को पूर्ण रूप से ध्वस्त कर दिया है। राजस्थान में नगर निकाय व पंचायतीराज चुनाव में शुरू से देरी का कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि नगर निकाय व पंचायतीराज व्यवस्थाओं में चुने हुये प्रतिनिधियों की बजाय यह संस्थायें अफसरों के हवाले रहे।

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वर्तमान समय में गहलोत सरकार के नेताओं और अधिकारियों के गठजोड ने प्रदेश की पंचायती व्यवस्था को खत्म कर दिया है और इस तरह का माहौल तैयार किया गया है जिससे की आम जनता में डर और सत्ता संरक्षण से अपराधियों का लगातार मनोबल बढता जा रहा है। रवि शेखर मेघवाल ने कहा कि देश को पंचायतीराज देने वाला राजस्थान आज खुद बेबस सा है जो कि अपने आप में लोकतंत्र के लिये अच्छे संकेत नहीं है।

रवि शेखर मेघवाल ने कहा कि दुनिया पर आये इस संकट की घड़ी में कोरोना महामारी के समय हमारे देश की केन्द्र सरकार ने मोदी जी के नेतृत्व में दुनिया के सामने एक अग्रणी रक्षक के रूप में भूमिका निभाई और समाज के विभिन्न वर्गों की मदद के लिये कई ऐसे कदम उठाये जो कि इन्सानियत के नाते मानव कल्याण हेतु बडे कदम साबित हुये वहीं दुसरी तरफ राजस्थान की गहलोत सरकार आपसी लड़ाई में लगातार आम जनता के बीच केवल नकारात्मक भूमिका निभाई।

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कोरोना महामारी में भी जिस तरह से राजस्थान की सरकार आलिशान होटलों में आनन्द ले रही थी उसको देखकर लगता नहीं कि राजस्थान की गहलोत सरकार नगर निकाय एवं पंचायतीराज चुनावों को कराने में किसी भी तरह की रूचि रखते हो।

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