पशुधन उत्पादन को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाया जाएगाः कुलपति प्रो. गहलोत

राजुवास अनुसंधान परिषद् की बैठक

वेटरनरी विश्वविद्यालय में स्वचालित मौसम स्टेशन होंगे स्थापित

बीकानेर। वेटरनरी विश्वविद्यालय राज्य में स्थित 8 पशुधन अनुसंधान केन्द्रों पर स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित करके जलवायु परिवर्तन के कारण पशुधन उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभावों पर अपनी रणनीति तैयार करेगा। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय की अनुसंधान परिषद् की तीसरी बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. गहलोत ने कहा कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन से पशुधन के उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा वैज्ञानिक इस केन्द्र में जलवायु परिवर्तन के आंकडों का विश्लेषण करके पशुओं में होने वाले शारीरिक क्रियात्मक मापदंडों के आधार पर पशुधन उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करके अपनी रणनीति बनाएंगे। इस अवसर पर कुलपति प्रो. गहलोत ने कहा कि राजुवास के अनुसंधान और उच्च तकनीकी कार्यों से राज्य में बहुत अपेक्षाएं हैं। यहां संस्थागत अनुसंधान की 50 विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। महाविद्यालय के विभागों में भी उपयोगी शोध कार्य हो रहा है। उन्होंने शोध वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे अपने अनुसंधान नतीजों को प्रसार शिक्षा से सांमजस्य बैठाकर तथा पशुओं में रोगों की रोकथाम और पशु कल्याण कार्यक्रमों को पशुपालक और कृषकों तक पहुँचाएं। इसमें युवा वैज्ञानिकों की विशेष जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसरण में ऊंटों के दूध पर 20 करोड़ रू. लागत की एक अनुसंधान परियोजना की मंजूरी मिली है। इसके लिए राज्य सरकार व राष्ट्रीय पशु जैव तकनीक संस्थान द्वारा ऊंट आनुवांशिकी तथा इम्यूनोलॉजी पर केन्द्रित शोध के परियोजना प्रस्ताव तैयार किये जायेंगे। भारत सरकार के जैव तकनीकी विभाग के सहयोग से राजुवास में परियोजना शुरू की जाएगी। कुलपति प्रो. गहलोत ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा अपने रिवाल्विंग फंड से पशुधन अनुसंधान केन्द्रों की 6 अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसके तहत चांदन फॉर्म पर चारा व बीज उत्पादन तथा मारवाड़ी बकरियों की अनुसंधान परियोजना, बोजून्दा फॉर्म पर आय बढ़ाने के लिए कृषि कार्यों की स्वीकृति दी गई है। वेटरनरी कॉलेज, नवानियां में पशु शरीर क्रिया विज्ञान विभाग में शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने व बछडों में ऑरल रिहाइडेªशन तथा वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत के रूप में बायोगैस उत्पादन की परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक प्रो. राकेश राव ने बताया कि वर्तमान में 19 अनुसंधान परियोजनाएं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में तथा 16 स्टेट प्लान के तहत संचालित की जा रही हैं। 6 परियोजना रिवाल्विंग फंड में तथा एक परियोजना विश्व बैंक की राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्द्धात्मक परियोजना में चल रही हैं। बैठक में विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं के प्रमुख अन्वेषकों ने अपने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत कर अनुसंधान कार्यों की जानकारी दी। प्रसार परिषद् के सदस्य श्रीगोपाल उपाध्याय, प्रगतिशील पशुपालक आज्ञाराम सिंह, एस.के.आर.ए.यू. के अनुसंधान निदेशक प्रो. गोविन्द सिंह ने भी विचार रखे। बैठक में कुलसचिव बी.आर. मीणा, वित्त नियंत्रक अरविन्द बिश्नोई, पीजी.आईवी.ई.आर. और वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर, नवानियां के अधिष्ठातागणों, डीन-डायरेक्टर और पशुधन अनुसंधान केन्द्रों के प्रभारियों व आरसी.डी.एफ. से डॉ. भारती उपनेजा और पशुपालन विभाग के डॉ. अशोक विज ने भी भाग लिया।

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