बीकानेर। राजकीय डूंगर महाविद्यालय (Government Dungar College)में सोमवार को विकिरण विषयक अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार सम्पन्न हुआ।
प्राचार्य डॉ. शिशिर शर्मा ने बताया कि मुख्य अतिथि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने अपने विशेषाधिकारी डॉ. जयभारत सिंह के माध्यम से भेजे संदेश में वर्तमान समय में विकिरणों द्वारा कोरोना का उपचार विषयक वेबिनार को समाज के लिये अति महत्वपूर्ण बताया। भाटी ने बीकानेर की आचार्य तुलसी कैन्सर अस्पताल की जिक्र करते हुए कहा कि रेडियोथैरेपी की सुविधा बीकानेर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की है एवं डूंगर कॉलेज में चल रहे विकिरण जैविकी के शोध कार्य निश्चित रूप से डूंगर कॉलेज को गौरान्वित करते हैं।
रक्षा अनुसंधान संस्थान, हल्दवानी की निदेशक डॉ. मधुबाला ने वेबिनार की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए सभी से कोरोना संबंधी सरकारी एडवाइजरी की पालना की महती आवश्यकता जताई। विशिष्ट अतिथि सहायक निदेशक डॉ. राकेश हर्ष ने कहा कि विकिरण के उपचार के साथ साथ औषधिय पादपों के उपयोग की आवश्यकता बताई।
संयोजक डॉ. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि इस वेबिनार में एम्स नई दिल्ली के डॉ. डी.एन.शर्मा ने कम क्षमता के विकिरणों द्वारा कोविड-19 के उपचार के बारे में विस्तृता जानकारी दी। डॉ. शर्मा ने बताया कि एन्टीबायोटिक के विकास से पूर्व भी उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में विकिरणों द्वारा बीमारियों का इलाज किया जाता था। मायो केन्सर सेन्टर फ्लोरिडा, अमेरिका के डॉ. सुनील कृष्णनन ने भी वर्तमान कोरोना काल में विकिरणों के उपचार की विभिन्न विधियों के बारे में बताया। एसएमएस अस्पताल, जयपुर के डॉ. अरूण चोगले ने रेडियोथैरेपी के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा यदि केन्सर का निदान समय पर हो जावे तो उसका उपचार सम्भव हो सकता है।
विभागाध्यक्ष डॉ. मीरा श्रीवास्तव ने कहा कि 12 से 14 अक्टूबर को होने वाले विकिरण जैविकी पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन को कोरोना की वजह से स्थगित कर दिया था। इसके कारण ही सोमवार 12 अक्टूबर को विकिरण जैविकी का सफलतम आयोजन किया गया है।
आयोजन सचिव डॉ. अरूणा चक्रवर्ती ने बताया कि वेबिनार में शिक्षाविदों, वैज्ञानिकांे सहित लगभग 700 प्रतिभागियों ने सहभागिता की जो उल्लेखनीय है। डॉ. चक्रवर्ती ने कहा कि वेबिनार में व्याख्यान देने वाले वैज्ञानिकों ने जो जानकारी प्रस्तुत की है वह विद्यार्थियों के लिये बेहद उपयोगी साबित होगी। उन्होनें डॉ. नरेन्द्र भोजक, डॉ. हेमेन्द्र भण्डारी एवं डॉ.एस.के. वर्मा के योगदान की सराहना की। वेबिनार में डॉ. रविन्द्र मंगल, डॉ. जी.पी.सिंह, डॉ. प्रताप सिंह सहित महाविद्यालय के बड़ी संख्या में संकाय सदस्यों एवं शोधार्थियों की भूमिका रही।