बीकानेर। पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट निस्तारण तकनीकी केंद्र, राजुवास, बीकानेर द्वारा पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर के विभिन्न विभागों में अध्ययनरत स्नातकोत्तर एवं विद्या वाचस्पति के 32 विद्यार्थियों को पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित प्रबंधन और निस्तारण विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शनिवार को प्रदान किया गया।
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कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि वर्तमान समय में पशु उत्पादों में दवा अवशेष एवं प्रतिजैविक प्रतिरोधकता एक विकट समस्या है जो कि ना केवल मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालता है बल्कि वातावरण को भी दूषित करता है। हमें एकल स्वास्थ्य मिशन को ध्यान में रखते हुए जैविक पशु उत्पादों के उचित निष्पादन को बहुत अच्छे से करना चाहिए। ताकि संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोक सके।
कुलपति प्रो. गर्ग ने कहा की वेटरनरी विश्वविद्यालय में पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट प्रबन्धन एवं निस्तारण केन्द्र द्वारा विद्यार्थियों, चिकित्सकों एवं पैरा क्लिनिकल स्टाफ को जैव अपशिष्ट निष्पादन के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, यह बहुत ही सराहनीय एवं आवश्यक कार्य है।
प्रो. आर.के. धूड़िया कार्यवाहक निदेशक अनुसंधान ने पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट निस्तारण तकनीकी केंद्र के उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी प्रदान की और बताया कि जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट का विभिन्न विभागों से उत्सर्जन होता है लेकिन उसका उचित निस्तारण होना अतिआवश्यक है इसके लिए जागरूकता एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
प्रो. प्रवीण बिश्नोई, निदेशक क्लीनिक्स, राजुवास ने कहा कि अध्ययनरत विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के उचित निस्तारण का संपूर्ण ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है, ताकि विद्यार्थी ना केवल संक्रामक रोगों को फैलने से रोक सके अपितु स्वयं को एवं आमजन को भी संक्रमण से बचा सके।
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पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट निस्तारण तकनीकी केन्द्र की प्रमुख अन्वेषक डॉ. दीपिका धूडिया ने बताया कि विद्यार्थियों को जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट का निस्तारण पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए तथा दूसरो को भी इसके बारे में जागरूक करना चाहिए।
प्रशिक्षण में प्रो. प्रवीण बिश्नोई, डॉ. दीपिका धूड़िया व डॉ. मनोहर सेन ने व्याख्यान दिये तथा डॉ. देवेन्द्र चौधरी, डॉ. रेखा लोहिया व डॉ. चाँदनी जावा ने प्रयोगिक प्रशिक्षण प्रदान किये।
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इस अवसर पर पशु जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट के फोल्डर का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के अन्त में विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए। मंच का संचालन डॉ. मनोहर सेन ने किया।
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