पद्म भूषण पुरस्कार पाने वाले देश के पहले पैरा खिलाड़ी होंगे झाझड़िया

Devendra Jhajharia get Padma Bhushan on 26th Republic Day 2022

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Devendra Jhajharia get Padma Bhushan on 26th Republic Day 2022

Devendra Jhajharia get Padma Bhushan : पद्म भूषण पुरस्कार पाने वाले देश के पहले पैरा खिलाड़ी होंगे झाझड़िया, टोक्यो पैरालिंपिक में तीसरा ओलंपिक मेडल जीतकर रचा था इतिहास, एथेंस और रियो ओलंपिक में देश के लिए जीत चुके हैं स्वर्णपदक, बीस साल से अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में देश के खेल रहे हैं देवेंद्र :-

चूरू। तीन पैरालिंपिक मेडल (Indian Paralympic javelin thrower ) जीतने वाले भारत के जेवलिन स्टार (Devendra Jhajharia) देवेंद्र झाझड़िया को पद्मभूषण पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से जारी सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों की घोषणा के अनुसार, देवेंद्र को खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए पद्मभूषण दिया जाएगा।

यह पुरस्कार पाने वाले झाझड़िया देश के पहले पैरा  खिलाड़ी होंगे। झाझड़िया राजस्थान के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्हें यह अवार्ड दिया जा रहा है। घोषणा के बाद देवेंद्र झाझड़िया के प्रशंसकों में जश्न का माहौल है।

Devendra Jhajharia get Padma Bhushan on 26th Republic Day 2022

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष टोक्यो पैरालिंपिक में सिल्वर मेडल (Silver Medal) जीतने वाले देवेंद्र झाझड़िया एथेंस 2004 व रियो 2016 के पैरा ओलंपिक खेलों में देश के लिए स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। देवेंद्र को पद्मभूषण दिए जाने की खबर के साथ ही जिले की राजगढ़ तहसील में स्थित उनके गांव झाझड़ियों की ढाणी सहित पूरे जिले में हर्ष की लहर दौड़ गई। उनके चाहने वालों में जश्न का माहौल बन गया।

झाझड़ियों की ढाणी में यह खबर मिलते ही उनके चाचा, भाइयों एवं गांववालों ने पटाखे फोड़े तथा एक दूसरे को लड्डू खिलाकर खुशी का इजहार किया। महिलाओं ने मंगलगीत गाए और लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी।

पद्मभूषण पुरस्कार की घोषणा पर भावुक देवेंद्र ने प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने इसका श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों, कोच और प्रशंसकों को दिया और कहा कि जीवन में उन्होंने खेल के अलावा कुछ नहीं सोचा, बस खेल को दिया है। इसके लिए बहुत सारी चीजों को छोड़ना पड़ा है तो छोड़ा है। ऐसे में खेल ने हमेशा उन्हें सम्मानित महसूस करवाया है।

आज भी बेहद अच्छा लग रहा है और मेरे लिए यह बहुत भावुक कर देने वाला पल है। झाझड़िया ने कहा कि मुझे बेहद ख़ुशी है कि मुझे भारत सरकार नें पद्म भूषण पुरस्कार देने की घोषणा की है ।

इस अवार्ड के साथ मेरी जिम्मेदारी देश के प्रति ओर बढ़ जायेगी ओर देश के पैरा स्पोर्ट्स को एक बल मिलेगा। मैं प्रधानमंत्री मोदी जी को धन्यवाद देना चाहूँगा की पैरा स्पोर्ट्स को देश में एक नया आयाम ओर पहचान देने के लिए उन्हें सदैव पहल की हैं।

जीता था देश के लिए पहला ओलिंपिक स्वर्ण

उल्लेखनीय है कि एथेंस पैरा ओलंपिक 2004 में स्वर्ण पदक जीतकर किसी भी एकल स्पर्धा में भारत के लिए पहला पैरा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले चूरू के जेवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझड़िया को वर्ष 2004 व वर्ष 2016 में पैरा ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद देवेंद्र को विभिन्न अवार्ड व पुरस्कार मिल चुके हैं। भारत सरकार द्वारा खेल उपलब्धियों के लिए देवेंद्र को खेल जगत का सर्वोच्च राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया। इससे पूर्व उन्हें पद्मश्री पुरस्कार, स्पेशल स्पोर्ट्स अवार्ड 2004, अर्जुन अवार्ड 2005, राजस्थान खेल रत्न, महाराणा प्रताप पुरस्कार 2005, मेवाड़ फाउंडेशन के प्रतिष्ठित अरावली सम्मान 2009 सहित अनेक इनाम-इकराम मिल चुके हैं तथा वे खेलों से जुड़ी विभिन्न समितियों के सदस्य रह चुके हैं।

साधारण किसान दंपत्ति की संतान हैं देवेंद्र

एक साधारण किसान दंपती रामसिंह और जीवणी देवी के आंगन में 10 जून 1981 को जन्मे देवेंद्र की जिंदगी में एकबारगी अंधेरा-सा छा गया, जब एक विद्युत हादसे ने उनका हाथ छीन लिया। खुशहाल जिंदगी के सुनहरे स्वप्न देखने की उम्र में बालक देवेंद्र के लिए यह हादसा कोई कम नहीं था।

दूसरा कोई होता तो इस दुनिया की दया, सहानुभूति तथा किसी सहायता के इंतजार और उपेक्षाओं के बीच अपनी जिंदगी के दिन काटता लेकिन हादसे के बाद एक लंबा वक्त बिस्तर पर गुजारने के बाद जब देवेंद्र उठा तो उसके मन में एक और ही संकल्प था और उसके बचे हुए दूसरे हाथ में उस संकल्प की शक्ति देखने लायक थी।

देवेंद्र ने अपनी लाचारी और मजबूरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, उल्टा कुदरत के इस अन्याय को ही अपना संबल मानकर हाथ में भाला थाम लिया और वर्ष 2004 में एथेेंस पैराओलंपिक में भालाफेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत कर करिश्मा कर दिखाया।

लकड़ी के भाले से हुई शुरुआत

सुविधाहीन परिवेश और विपरीत परिस्थितियों को देवेेंद्र ने कभी अपने मार्ग की बाधा स्वीकार नहीं किया। गांव के जोहड में एकलव्य की तरह लक्ष्य को समर्पित देवेंद्र ने लकड़ी का भाला बनाकर खुद ही अभ्यास शुरू कर दिया।

विधिवत शुरुआत हुई 1995 में स्कूली प्रतियोगिता से। कॉलेज में पढ़ते वक्त बंगलौर में राष्ट्रीय खेलों में जैवलिन थ्रो और शॉट पुट में पदक जीतने के बाद तो देवेंद्र ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1999 में राष्ट्रीय स्तर पर जैवलिन थ्रो में सामान्य वर्ग के साथ कड़े मुकाबले के बावजूद स्वर्ण पदक जीतना देवेंद्र के लिए बड़ी उपलब्धि थी।

बुसान से हुई थी ओलंपिक स्वप्न की शुरुआत

इस तरह उपलब्धियों का सिलसिला चल पड़ा पर वास्तव में देवेेंद्र के ओलंपिक स्वप्न की शुरुआत हुई 2002 के बुसान एशियाड में स्वर्ण पदक जीतने के साथ। वर्ष 2003 के ब्रिटिश ओपन खेलों में देवेंद्र ने जैवलिन थ्रो, शॉट पुट और ट्रिपल जंप तीनों स्पर्धाओं में सोने के पदक अपनी झोली में डाले।

देश के खेल इतिहास में देवेंद्र का नाम उस दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा गया, जब उन्होंने 2004 के एथेेंस पैरा ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। इन खेलों में देवेंद्र द्वारा 62.15 मीटर दूर तक भाला फेंक कर बनाया गया विश्व रिकॉर्ड स्वयं देवेंद्र ने ही रियो में 63.97 मीटर भाला फेंककर तोड़ा।

बाद में देवेंद्र ने वर्ष 2006 में मलेशिया पैरा एशियन गेम में स्वर्ण पदक जीता, वर्ष 2007 में ताईवान में अयोजित पैरा वर्ल्ड गेम में स्वर्ण पदक जीता और वर्ष 2013 में लियोन (फ्रांस) में हुई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक देश की झोली में डाला।

अनुशासन व समर्पण से मिली सफलता

अपनी मां जीवणी देवी और डॉ एपीजे कलाम को अपना आदर्श मानने वाले देवेंद्र कहते हैं कि मैंने अपने आपको सदैव एक अनुशासन में रखा है। जल्दी सोना और जल्दी उठना मेरी दिनचर्या का हिस्सा है।

हमेशा सकारात्मक रहने की कोशिश करता हूं। इससे मेरा एनर्जी लेवल हमेशा बना रहता है। पॉजिटिविटी आपके दिमाग को और शरीर को स्वस्थ बनाए रखती है और बहुत ताकत देती है। उम्र कितनी भी हो, कितने भी मेडल हों, कितने भी रिकॉर्ड तोड़े हों, जब भी एक मेडल लेकर आता हूं तो आकर सोचता हूं कि वह कौनसा बिंदू है, जहां और काम करने की जरूरत है। नई चीजों, तकनीक को समझने का प्रयास करता हूं।

और कभी खुद को महसूस नहीं होने देता कि चालीस का हो गया हूं। उम्र बस एक आंकड़ा है। एनर्जी उन शुभचिंतकों से भी मिलती है जो मेरे हर मेडल पर वाहवाही करते  हैं, मेरा हौसला बढाते हैं।

मैं ही नहीं, पूरी इंडिया टीम अब तक का बेहतरीन करेगी : देवेंद्र झाझड़िया

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