सोनू ने कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मदद करने के अपने अनुभव को याद करते हुए एक किताब लिखी है। किताब का टाइटल है आई एम नो मसीहा।
सोनू ने पुस्तक लिखने पर आईएएनएस को बताया, यह बहुत खास हो गया है, क्योंकि मुझे कभी भी यह महसूस नहीं हुआ कि एक दिन, मैं कुछ करूंगा, जिस पर एक किताब मुझ पर लिखी जाएगी, जहां मैं अपने अनुभवों को साझा कर सकता हूं, उन सभी क्षणों को साझा कर सकता हूं, जहां मैं दुनिया भर में लाखों लोगों से जुड़ा।
उन्होंने कहा, अब मैं सबकुछ कागज के पन्ने पर उतार रहा हूं। मेरी मां, जो एक प्रोफेसर थीं, उन्होंने हमेशा मुझे अपने अनुभवों के बारे में लिखने को कहा है। उनका कहना था कि जब भी आपको कुछ विशेष लगे लिखना चाहिए, क्योंकि वह हमेशा आपके साथ रहेंगी। बहुत सारी चीजें होने के साथ, आप उन अनुभवों को भूल जाते हैं, लेकिन आप हमेशा उन पन्नों के माध्यम से खुद को तरोताजा कर सकते हैं।
–आईएएनएस
एवाईवी/एएनएम