गुलशन ने आईएएनएस को बताया, डिप्रेशन को एक बीमारी के तौर पर स्वीकार करने में समस्या है क्योंकि ज्यादातर लोग सोचते हैं कि यह केवल मन की एक अवस्था है या यह एक भावना है। जैसे – अगर मैंने एक लड़की को प्रस्ताव दिया और उसने मुझे ठुकरा दिया और मैं कहता हूं कि मैं उदास हूं। इसे केवल मेरी मन की अवस्था माना जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, डिप्रेशन का उपयोग किसी चीज पर प्रतिक्रिया देने की अभिव्यक्ति के तौर पर होता है। जब किसी मेंटल हेल्थ प्रैक्टिसनर या डॉक्टर द्वारा डिप्रेशन की पहचान की जा रही है तो जाहिर है कि यह एक बीमारी है। इसका किसी बीमारी जैसे कैंसर या टी.बी. की तरह इलाज होना चाहिए।
डिप्रेशन के इलाज को लेकर उन्होंने कहा, ऐसे कई लोग हैं जो इसके इलाज के लिए भारी दवाएं लेते हैं। जबकि इसके इलाज का पहला कदम यह है कि आप यह स्वीकार करें कि यह एक बीमारी है, फिर इसे लेकर आपका ²ष्टिकोण बदल जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, हर कोई सोचता है कि यह मन की अवस्था है और थोड़ी सी फिलासफी (दर्शन) का उपयोग इसमें कारगर होगा। ऐसा नहीं है आपको पहले इसे बीमारी के तौर पर स्वीकार करना होगा।
गुलशन देवैया शैतान, गोलियां की रासलीला राम-लीला, हंटर, ए डेथ इन द गंज और मर्द को दर्द नहीं होता जैसी फिल्मों में दिखाई दे चुके हैं।
–आईएएनएस
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