बढ़ी हुई प्रोस्टेट से पेशाब की समस्याएं, मूत्र रुकने के अलावा किडनी भी हो सकती है फेल : तत्काल लें इलाज : डॉ. जे.पी.स्वामी

problems urinating from an enlarged prostate

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बीकानेर। बीपीएच (BPH) या बेनाईन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (Benign prostatic hyperplasia) बढ़ी हुई प्रोस्टेट का चिकित्सीय नाम है। यह उम्र बढऩे के साथ हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है।

बीपीएच सौम्य होता है। इसका मतलब है कि यह कैंसर नहीं है। यह कैंसर का कारण भी नहीं हैं।

हालांकि, बीपीएच और कैंसर (Cancer) एक साथ हो सकते हैं। बीपीएच के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं और यह बढऩे के साथ लक्षण अलग-अलग भी हो सकते हैं। बढ़ी हुई प्रोस्टेट से जुड़ी परेशानियां या जटिलताएं अनेक समस्याएं उत्पन्न कर सकती है, जो समय के साथ विकसित होती हैं।

बीपीएच का जोखिम तीन चीजों से बढ़ जाता है जिनमें बढ़ती उम्र, परिवार में इतिहास (यदि किसी पूर्वज को बीपीएच रहा हो, तो आपको यह बीमारी होने की संभावना ज्यादा है) और (Medical Research) मेडिकल स्थिति शोध से पता चलता है कि कुछ चीजें, जैसे मोटापा बीपीएच के बढऩे में मददगार हो सकती हैं।

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बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज (Sarder Patel Medical College) के असिस्टेंट प्रोफेसर यूरोलोजी डिपार्टमेंट, डॉ जे पी स्वामी ने इस सम्बन्ध में शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि ज्यादा गंभीर मामलों में प्रोस्टेट बढऩे से मूत्र रुक सकती है, जिससे और ज्यादा गंभीर समस्याएं, जैसे किडनी फेल हो सकती है।

इसका इलाज फौरन करना पड़ता है। इसलिए यदि कोई भी लक्षण दिखता हो, तो उसका निदान कराएं और जानें कि उसके इलाज के लिए आप क्या कर सकते हैं। ‘

बीपीएच और प्रोस्टेट कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं, लेकिन आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को कुछ लक्षणों पर गौर करना जरूरी है। पुरुष अक्सर, लक्षणों के अनुरूप अपनी दैनिक दिनचर्या को संशोधित कर लेते हैं और उन लक्षणों को दूर करने के तरीके नहीं तलाशते। डॉ. स्वामी ने बताया कि यह स्थिति बहुत आम है।

50 से 60 साल की उम्र के बीच लगभग आधे पुरुषों को यह समस्या हो सकती है और 80 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते, लगभग 90 प्रतिशत लोगों को बीपीएच हो जाता है। इतने विस्तृत स्तर पर मौजूद होने के बाद भी मरीजों को इस स्थिति का अनुमान नहीं होता और वो इसे बढ़ती उम्र का हिस्सा मानते हैं।

अधिकांश लोग समस्या को तब पहचानते हैं, जब वॉशरूम में जाने की जरूरत धीरे-धीरे न बढ़कर अचानक बहुत तेजी से बढ़ती है। ज्यादातर लोगों के लिए पहले लक्षण की शुरुआत ऐसे ही होती है।

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जीवनशैली का प्रबंधन करने की सरल विधियों से भी किया जा सकता है लक्षणों का इलाज….

चुस्त रहें-शिथिल जीवन से ब्लैडर पूरी तरह से खाली न हो पाने की समस्या हो सकती है।

बाथरूम जाने पर अपना ब्लैडर पूरी तरह से खाली करने की कोशिश करें।

हर रोज एक दिनचर्या के अनुरूप पेशाब करने की कोशिश करें, फिर चाहे आपकी पेशाब करने की इच्छा हो रही हो या नहीं।

रात में 8 बजे के बाद कोई भी तरल पदार्थ न पिएं, ताकि आपको रात में पेशाब न आए।

अल्कोहल पीना सीमित कर दें।

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