विश्व अस्थमा दिवस : कैसे रहे अस्थमा रोग से सुरक्षित, जानिए इस रोग के कारण निदान व उपचार

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-डॉ. गुंजन सोनी

दुनिया भर में विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) हर साल मई के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। इस वर्ष 2 मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज बीकानेर के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक तथा श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गुंजन सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में भारत में 3 करोड़ 43 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित है, दुनिया भर में अस्थमा से होने वाली मृत्यु में भारत के 42 प्रतिशत लोग शामिल है।

Dr.Gunjan Soni

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बीकानेर जिले में करीब 4 लाख लोग अस्थमा रोग से ग्रसित : डॉ. गुंजन सोनी

राजस्थान में 26 प्रतिशत लोग वर्तमान में अस्थमा से पीड़ीत है जिसमें बीकानेर जिले में करीब 4 लाख लोग अस्थमा रोग से ग्रसित है।

प्राचार्य सोनी के अनुसार एसपी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध पीबीएम अस्पताल के श्वसन रोग विभाग की ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों में हर चौथे व्यक्ति को अस्थमा की शिकायत है।
इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस 2023 की थीम ’अस्थमा केयर फॉर ऑल’ है। इस थीम का भारत सहित दुनिया भर के अन्य देशों में अस्थमा के बारे में वैश्विक जागरूकता करना है।

पढ़िए सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज बीकानेर के प्राचार्य एवं नियंत्रक, वरिष्ठ आचार्य व श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गुंजन सोनी के अनुसार अस्थमा मरीजों एवं उनके परिजनों हेतु यह विशेष आलेख

अस्थमा क्या है, कितने प्रकार का होता है, इसके लक्षण, कारण और इलाज : Asthma Symptoms and Causes Asthma Symptoms and Causes symptoms diagnosis and treatment 

अस्थमा फेफड़ों के एयरवेज से जुड़ी सूजन संबंधी बीमारी है. इसमें व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है, साथ ही कुछ तरह की शारीरिक गतिविधिया करना मुश्किल और लगभग नामुमकिन हो सकता है. अस्थमा के मरीजों के वायुमार्ग की परत में सूजन आ जाती है और आसपास की मांसपेशियों में तनाव आ जाता है. जिससे बलगम इन वायुमार्गों में भर जाता है, साथ ही यहां से गुजरने वाली हवा की मात्रा कम हो जाने से अस्थमा का अटैक आता है, जिसकी वजह से खांसी और छाती में जकड़न महसूस होती है.

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अस्थमा के लक्षण : Asthma Symptoms 

अस्थमा का सबसे आम लक्षण घरघराहट है. यह एक तरह की कर्कश या सीटी जैसी आवाज होती है, जो सांस लेने पर निकलती है. खांसी, विशेषतौर पर रात में, हंसते समय या व्यायाम के दौरान आती है। सीने में जकड़न, सांस लेने में कठिनाई, बात करने में दिक्कत, बैचेनी या घबराहट, छाती में दर्द, तेज श्वास लिया जाना, लम्बे समय तक जुकाम रहना व छींके आना आदि भी अस्थमा होने के प्रमुख लक्षण है।

क्यों होता है अस्थमा : What is Asthma

अस्थमा के लिए जिम्मेदार किसी एक कारण की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. बल्कि शोधकर्ताओं के अनुसार यह विभिन्न कारकों के कारण होता है. इसमें निम्न कारक शामिल हैं :

जेनेटिक – अगर आपके माता-पिता या भाई-बहन किसी को अस्थमा है तो आपको भी अस्थमा हो सकता है. इस तरह के अस्थमा को जेनेटिक या आनुवंशिक कहा जाता है.
वायरल इंफेक्शन : जिन लोगों को बचपन में रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस इंफेक्शन जैसे गंभीर वायरल इंफेक्शन होता है उनमें अस्थमा के लक्षण विकसित होने की संभावना अधिक होती है.
हाइजीन हाइपोथिसिस – इस सिद्धांत के अनुसार जो बच्चे अपने शुरुआती दिनों या वर्षों में पर्याप्त इंफेक्शन के संपर्क नहीं आते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अस्थमा और अन्य एलर्जिक स्थितियों से लड़ने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं होती.

अन्य कारक : इसमें मोटापा, बदलता मौसम, एलर्जी, अति भावुकता, नमी, धुंआ, धूल मिट्टी, डस्ट माइट, ठंड, एस्पिरिन या नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स सहित कुछ अन्य दवाएं अस्थमा को बढ़ावा देने के कारक है।

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अस्थमा बढ़ने के कारण : Causes symptoms of Asthma

प्राचार्य सोनी ने बताया कि बीकानेर जिले में अस्थमा बढ़ने की वजह डस्ट माइट, बढ़ता प्रदूषण प्रमुख कारण हैं। इस रोग के वर्तमान में बढ़ने के मुख्य कारण निम्न है :

मरीज इन्हेलर का उपयोग करने से कतराते हैं

इन्हेलर को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियां

अस्थमा का पूरा इलाज नहीं लेते हैं। लोगों का मानना है कि अस्थमा की दवा एक बार शुरू हो गई तो उम्रभर लेनी पड़ेगी। इन्हेलर का उपयोग करने से अस्थमा बढ़ता है।
इन्हेलर से दवा लेने का प्रशिक्षित नहीं होने से दवा कब, कितनी और कैसे लेनी है, इसका ज्ञान नहीं होने से बीमारी बढ़ती है। दवा कम और ज्यादा नहीं करते हैं।
अस्थमा में आराम मिलते ही मरीज इन्हेलर से दवा लेना बंद कर देते हैं।
अस्थमा के मरीज को सर्वाधिक तकलीफ अक्सर सुबह चार से छह बजे के बीच होती है।

अस्थमा के प्रकार : Types of Asthma

एलर्जिक अस्थमा : सबसे आम तरह के अस्थमा में एलर्जिक अस्थमा है, जो लगभग 60 फीसदी मरीजों को होता है ।
नॉन एलर्जिकः नॉन एलर्जिक अस्थमा ऐसे कारकों से होता है, जो हवा में मौजूद होते हैं, लेकिन उनके बारे में आपको जानकारी नहीं होती या आपको उनसे एलर्जी नहीं होती.
ओक्यूपेशनल अस्थमा : जब आप अपनी कार्यस्थितियों के कारण अस्थमा से पीड़ित हो जाते हैं तो उसे ओक्यूपेशनल अस्थमा कहते हैं.
एक्सरसाइज इंड्यूश्ड ब्रोकोकोन्सट्रिक्शन – इस तरह के अस्थमा के लक्षण आमतौर पर व्यायाम शुरू करने के तुरंत बाद नजर आते हैं.
एस्पिरिन इंड्यूश्ड अस्थमा – एस्पिरिन या अन्य दवा लेने के बाद जब अस्थमा के लक्षण उभरते हैं तो उसे एस्पिरिन इंड्यूश्ड अस्थमा कहते हैं. कफ वैरिएंट अस्थमा.
अस्थमा का निदान : अस्थमा मरीजों को अपने बेहरत उपचार के लिए सबसे पहले श्वास लेने के प्रक्रिया की जांच करवानी चाहिए इसमें क्लिनिकल एग्जामिनेशन, ब्रीदिंग टैस्ट (स्पाइरोमिट्री), एक्सरे, खून जांच (इओसिनोफिल काउंट) जांचे प्रमुख है।

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अस्थमा का इलाज क्या है ? : Treatment of Asthma

अस्थमा के लक्षण किस प्रकार के हैं, उसी के अनुसार इसका इलाज तय होता है. इंटरमीटेंट अस्थमा व्यक्ति की दैनिक दिनचर्या को प्रभावित नहीं करता है. इसमें लक्षण बहुत हल्के होते हैं और आमतौर पर हफ्ते में या महीने में 2 दिन तक परेशान करते हैं. जबकि माइल्ड अस्थमा के लक्षण हफ्ते में दो दिन से ज्यादा महसूस होते हैं, लेकिन रोज नहीं. इसमें लक्षण महीने में चार दिन तक रह सकते हैं. इसमें व्यक्ति की दिनचर्या पर हल्का असर पड़ता है. सीवियर अस्थमा के लक्षण हर दिन और लगभग हर रात परेशान करते हैं. इसमें व्यक्ति की दिनचर्या बुरी तरह से प्रभावित होती है.

अस्थमा का इलाज दो बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है

सबसे पहले डॉक्टर आपकी उम्र, अस्थमा अटैक के कारण और स्थिति के आधार पर कोई एक इलाज या कई उपायों को मिलाकर इलाज करते हैं. कुछ त्वरित राहत देने वाले उपायों को सिर्फ अस्थमा अटैक आने पर ही इस्तेमाल किया जाता है. यह सांस लेने में होने वाली दिक्कत में तुरंत राहत पहुंचाते हैं.

ब्रोंकियोडायलेटर्स का इस्तेमाल करने पर इन लक्षणों से तुरंत राहत मिलती है. आमतौर पर ब्रोंकियोडायलेटर्स को इंहेलर या नेबुलाइजर के जरिए दिया जाता है. इसके अलावा अस्थमा के इलाज के रूप में लंबे समय तक दवाएं लेनी होती हैं, जो बार-बार आने वाले अस्थमा अटैक की संख्या को कम करने के साथ ही गंभीर लक्षणों से राहत देती हैं. इसमें इंहेलर की मदद से कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं दी जाती हैं जो एयरवेज की सूजन कम करने, बलगम बनने की रफ्तार पर कम करने और श्वास लेने में मदद करती हैं.

एंटीकोलिनर्जिक्स दवाएं एयरवेज के आसपास की मांसपेशियों को टाइट होने से रोकती हैं। इन दवाओं को एंटीइंफ्लेमेटरी दवाओं के साथ रोज लिया जाता है।

दुसरा इसमें सिवियर अस्थाम के मरीजों को तुरंत राहत और लंबे समय में अस्थमा के लक्षणों से छुटकारा दिलाने हेतु उपरोक्त उपचार के साथ इंजेक्शन या इंफ्यूजन के माध्यम से बायोलॉजिकल थैरेपी दी जाती है।

(श्वसन रोग विशेषज्ञ व प्राचार्य, पीबीएम अस्पताल, बीकानेर, राजस्थान)

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