सूर्य का राशि परिवर्तन : कर्क, सिंह, धनु एवं मीन राशि वालों की खुलेगी किस्मत

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सूर्य का राशि परिवर्तन (Surya rashi parivartan) : 15 मई, सोमवार से 15 जून, गुरुवार
सूर्य के राशि परिवर्तन का दिखेगा व्यापक असर
॥ सूर्य का अपने उच्च राशि मेष से वृषभ राशि में प्रवेश

— ज्योतिषविद् विमल जैन

नवग्रहों में सूर्यग्रह की महिमा अपरम्पार है। सूर्यग्रह प्रत्येक माह मेष से मीन राशि तक संचरण करते हैं। प्रख्यात ज्योतिॢवद् विमल जैन ने बताया कि इस बार सूर्यग्रह मेष से वृषभ राशि में 15 मई, सोमवार को दिन में 11 बजकर 45 मिनट पर प्रवेश कर गए हैं, जो कि इसी राशि में 15 जून, गुरुवार को सायं 6 बजकर 16 मिनट तक रहेंगे।

इस एक माह की अवधि वृषभ संक्रान्ति के नाम से जानी जाएगी। संक्रान्ति का विशेष पुण्यकाल 15 मई, सोमवार को प्रात: 5 बजकर 21 मिनट से संक्रान्ति काल तक तत्पश्चात सामान्य पुण्यकाल संक्रान्ति काल से सायं 6 बजकर 9 मिनट तक का समय फलदायी रहेगा। इस संक्रान्ति काल में स्नान-दान, देवदर्शन पुण्य फलदायी माना गया है।

विश्व क्षितिज पर अनेकानेक अप्रत्याशित घटनाएँ देखने को मिलेंगी

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि ग्रहों के योग के फलस्वरूप विश्व क्षितिज पर अनेकानेक अप्रत्याशित घटनाएँ देखने को मिलेंगी। सूर्य, बुध, गुरु, राहु-मेष राशि में, चन्द्रमा-मीन राशि में, मंगल-कर्क राशि में, शुक्र-मिथुन राशि में, शनि-कुम्भ राशि में तथा केतु-तुला राशि में विराजमान रहेंगे।

विशेष—10 मई से 30 जून तक मंगल और शनि ग्रह का षडाष्टक योग तत्पश्चात मंगल-शनि का समसप्तक योग बनेगा जो कि विश्ïवपटल पर अनेकानेक अप्रत्याशित घटनाएँ देखने को मिलेगी। मंगल-शनि का षडाष्टक योग विश्व में शासक वर्ग के लिए विशेष कठिनाइयों को दर्शाता है। केन्द्र व राज्य सरकार भी इससे अछूती नहीं रहेगी। मेष राशि में चतुर्ग्रही योग बनने से अनेकानेक अकल्पित घटनाएँ भी जनमानस को प्रभावित करेंगी। राजनैतिक उथल-पुथल, पक्ष-विपक्ष में मतैक्य का अभाव।

दैविक प्राकृतिक विपदा, मौसम में अजीबोगरीब परिवर्तन, आँधी-तूफान, बरसात, अग्निकाण्ड, सीमावर्ती इलाकों में तनाव, शेयर, वायदा व वित्तीय बाजार में विशेष हलचल, धातु बाजार में घटा-बढ़ी के साथ अचानक भयंकर उतार-चढ़ाव के साथ तेजी-मंदी का संकेत, वायुयान, जलपरिवहन, सड़क दुर्घटना, कहीं-कहीं पर वर्षा से भू-स्खलन की सम्भावना रहेगी।

देश-विदेश में सत्ता व विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति रहेगी। विश्व में कहीं-कहीं पर सत्ता परिवर्तन व छत्रभंग की स्थिति देखने को मिलेगी। किसी मुद्दे को लेकर जन आन्दोलन या प्रशासन के समक्ष नई समस्यायें उत्पन्न होंगी। धाॢमक गतिविधियाँ भी प्रभावी रहेंगी।

Surya rashi parivartane Effect on Horoscope : ग्रहों के योग के फलस्वरूप प्रभावित होंगी द्वादश राशियाँ 

मेष—अभिलाषा की पूर्ति में बाधा। समय असन्तोषजनक। मित्रों से मतभेद। आर्थिक लेन-देन में जोखिम से हानि। नेत्र विकार।
वृषभ—ग्रहस्थिति आशा के विपरीत। भौतिक सुख सुविधा में कमी। प्रतिष्ठा पर आघात। लाभ में कमी। यात्रा निष्फल।
मिथुन—भौतिक सुख में कमी। व्यय की अधिकता। कार्यों में निराशा। पारिवारिक मतभेद। आत्मबल में कमी। यात्रा असफल।
कर्क—कार्यसिद्धि में सफलता। कठिनाइयों में कमी। परिवार में मंगल आयोजन सम्पन्न। धर्म-आध्यात्म में रूचि।
सिंह—नवयोजना का श्रीगणेश। धन संचय में प्रवृत्ति। व्यक्तिगत कठिनाइयों में कमी। आत्मीयजनों से अपेक्षित सहयोग।
कन्या—योजना अधूरी। कार्यों के प्रति उदासीनता। शंका कुशंका प्रभावी। सन्तान पक्ष से कष्ट। यात्रा में निराशा।
तुला—उन्नति का प्रयास निष्फल। सफलता में अड़चने। धन-हानि की आशंका। वाहन से चोट-चपेट संभव।
वृश्चिक—कार्यसिद्धि में बाधा। स्वास्थ्य में शिथिलता। वाद-विवाद सम्भव। विश्वासघात की आशंका। दाम्पत्य जीवन में असन्तोष।
धनु—नवीन योजना फलीभूत। शारीरिक कष्ट में कमी। धनागम का सुयोग। आत्मबल में वृद्धि। व्यक्तिगत समस्याएँ हल। यात्रा सुखद।
मकर—सोचे हुए कार्य अपूर्ण। असमंजस की स्थिति। लाभ में कमी। वाद-विवाद की आशंका। लापरवाही से नुकसान। हानि संभव।
कुंभ—पारिवारिक कष्टï। मानसिक तनाव। आॢथक पक्ष में निराशा। क्रोध की अधिकता। नेत्र विकार। प्रतिष्ठा पर आघात।
मीन—ग्रहस्थिति भाग्य के पक्ष में। नवयोजना का शुभारम्भ। उपहार या सम्मान का लाभ। राजकीय पक्ष से लाभान्वित। आनन्द की अनुभूति।
जिन्हें शनिग्रह की अढ़ैया या साढ़ेसाती का प्रभाव हो तथा अन्य ग्रहों का उत्तम फल न मिल पा रहा हो, उन्हें अपने हर कार्यों में सजगता बरतनी चाहिए तथा जोखिम के हर कार्यों से बचते हुए चलना चाहिए।

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सूर्यग्रह को ऐसे करें प्रसन्न

अपने कुल (पारिवारिक) एवं इष्ट देवी-देवता की आराधना के साथ सूर्यग्रह की भी अर्चना नियमित रूप से करनी चाहिए। प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्ïत्र धारण करके नियमित पूजा-अर्चना के पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में रोली, अक्षत, लाल फूल एवं गुड़ डालकर अघ्र्य अर्पित करना चाहिए। साथ ही सूर्यमन्त्र का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए।

रविवार के दिन व्रत या उपवास रखकर दिन में 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार ग्रहण करना चाहिए।

रविवार के दिन सुयोग्य ब्राह्मण को यथासामथ्र्य लाल रंग की वस्तुएँ जैसे—लाल वस्त्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन, अनार आदि दान करना चाहिए। नगद दक्षिणा सहित संकल्प के साथ करना चाहिए।

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