Shani Amavasya 2023 : शनिश्चरी अमावस्या की पूजा से बदलने वाली है आपकी किस्मत, जाने कैसे

Shani Amavasya 2023 : Pitru Amavasya Date Time Shani Sade Sati And Dhaiya Upay

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Shani Amavasya 2023 : शनिश्चरी अमावस्या : 14 अक्टूबर 2023, शनिवार

1. शनैश्चरी अमावस्या से दिखेगी प्राकृतिक व दैविक आपदाओं की भरमार 2. मौसम में दिखेगा अजीबो-गरीब परिवर्तन
3. राजनेताओं में रहेगी आपसी खींचतान एवं मतैक्य का अभाव 4. काल सर्प दोष, शनिग्रहदोष व पितृदोष निवारण का है सर्वश्रेष्ठ दिन

-ज्योर्तिवद् विमल जैन

सृष्टि के संचालक प्रत्यक्षदेव भगवान् सूर्यदेव के सुपुत्र श्रीशनिदेव की आराधना का विशेष महत्व है। वैसे तो शनिदेव की पूजा प्रत्येक शनिवार को विधि-विधानपूर्वक की जाती है। यदि शनिवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग मिल जाए तो पूजा अधिक पुण्य फलदायी होती है।

प्रख्यात ज्योर्तिवद् विमल जैन ने बताया कि इस बार अमावस्या शनिवार, 14 अक्टूबर को पड़ रही है। अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शुक्रवार, 13 अक्टूबर को रात्रि 9 बजकर 52 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन शनिवार, 14 अक्टूबर को रात्रि 11 बजकर 25 मिनट तक रहेगी।

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शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिग्रह की विधि-विधानपूर्वक की गई पूजा सुख, समृद्धिकारक होती है, साथ ही शनिग्रहजनित दोषों से मुक्ति भी मिलती है। पितृदोष की शान्ति के लिए भी अमावस्या तिथि श्रेयस्कर मानी गई है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिग्रह की विधि-विधान से की गई पूजा सुख, समृद्धिकारक होती है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनैश्चरी अमावस्या कठिन व विषम प्रभाव दिखानेवाली होती है। शनैश्चरी अमावस्या से प्राकृतिक एवं दैविक आपदाएँ अधिक आती हैं। विश्व के प्रशासकों को शासन चलाने में मुश्किलें आ सकती हैं। इससे छत्रभंग की आशंका भी रहती है। राजनेताओं में आपसी मतैक्य का अभाव बना रहेगा। सम्भव है कि राजनीति में नये समीकरण सामने आएँ। शेयर मार्केट, वायदा व धातु बाजार में विशेष उथल-पुथल देखने को मिलेगी।

राशि के अनुसार

वर्तमान समय में कर्क एवं वृश्चिक राशि पर शनिग्रह की अढ़ैया तथा मकर, कुम्भ एवं मीन राशि पर शनिग्रह की साढ़ेसाती रहेगी।

ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न

ज्योर्तिवद् विमल जैन ने बताया कि आस्थावान व्रतकर्ता को प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। तत्पश्चात अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के बाद शनिव्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहकर सायंकाल पुन: स्नान करके शनिदेव की विधि-विधान से पूजा करने के पश्चात् उनको काले रंग की वस्तुएँ जैसे—काला वस्त्र, काला साबूत उड़द, काला तिल, सरसों का तेल या तिल का तेल, काला छाता, लोहे का बर्तन एवं अन्य काले रंग की वस्तुएँ अर्पित करना लाभकारी रहता है।

इस दिन शनिदेव के मंदिर में सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करना तथा तेल की अखण्ड ज्योति जलाना उत्तम फलदायी माना गया है। सायंकाल शनिदेव के मन्दिर में पूजा करके दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।

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शनिग्रह के मन्त्रों का जप इस तरह से करें रहेगा लाभदायक

1. ॐ शं शनैश्चराय नम:।
2. ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:।
3. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सं शनैश्चराय नम:।
4. ॐ नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नम:।
5. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नम:।

शनि भगवान् से सम्बन्धित राजा दशरथ कृत शनिस्तोत्र, शनि चालीसा का पाठ व शनिदेव की आरती करनी चाहिए। इस दिन काले उड़द के दाल की खिचड़ी गरीबों में अवश्य वितरित करनी चाहिए। साथ ही काले रंग की वस्तुओं का दान भी करना चाहिए। शनिग्रहजनित दोषों के शमन के लिए आज अमावस्या तिथि के दिन शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना करके गरीबों में काले रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

दान का विधान

शनिग्रह से सम्बन्धित काले रंग की वस्तुओं का दान सायंकाल किया जाता है। दानकर्ता को अपना मुख पश्चिम दिशा की ओर रखना चाहिए। दान करने से शनिदेव प्रसन्न होकर भक्त को मंगल कल्याण के आशीर्वाद से अभिभूत करते हैं। जन्मकुण्डली में शनिग्रह की उत्तम स्थिति ऐश्वर्य एवं वैभव प्रदाता होती है। व्यक्ति को समस्त भौतिक सुख मिलते हैं।

जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार शनिग्रह प्रतिकूल हों या शनिग्रह की महादशा का अनुकूल फल न मिल रहा हो, उन्हें शनिवार या शनि अमावस्या के दिन अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् शनिदेव की पूजा का संकल्प लेकर व्रत उपवास रखकर शनिदेव की आराधना अवश्य करनी चाहिए। जिससे उसका जीवन सुखमय होता है।

इस दिन पीपल के वृक्ष के पूजा एवं पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करने का विधान है। भगवान् शिव व श्रीविष्णु की पूजा-अर्चना करने से आरोग्य व सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि का सुयोग बनता है।

(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी)

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