अधिक मास का पहला सोमवार बन रहा अद्भुत संयोग, राशि के अनुसार करें मन्त्रों का जप एवं दान

Sawan Somwar 2023 : First Monday of Adhikamas, Know More Horoscope

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Sawan Somwar 2023 : First Monday of Adhikamas, Know More Horoscope

Sawan Somwar 2023 : -प्रथम (अधिक) श्रावण का तृतीय सोमवार : 24 जुलाई 2023

-श्रावण सोमवार पर भगवान आशुतोष की कृपा से मिलेगा सुख-समृद्धि का वरदान

ज्योर्तिवद् विमल जैन

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिवजी को देवाधिदेव महादेव माना गया है। श्रावण मास में भगवान शिवजी के दर्शन-पूजन एवं व्रत की विशेष महिमा है। भगवान भोलेनाथ मात्र गंगाजल एवं बेल पत्र अर्पित करने से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

सोमवार इनका विशेष दिन माना गया है। अधिक मास में सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है। भगवान शिवजी की विशेष कृपा-प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है, जिसमें श्रावण मास के सोमवार का व्रत प्रमुख हैं। श्रावण मास के सभी सोमवार को व्रत रखा जाता है।

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प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार प्रथम (अधिक) श्रावण मास का तृतीय सोमवार 24 जुलाई को पड़ रहा है। श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। पार्थिव शिवलिंग स्वच्छ मिट्टी, गंगालजल से निर्माण करके विधि-विधानपूर्वक पूजा किया जाता है।

श्रावण मास में शिवभक्त काँवड़ यात्रा करके भगवान शिवजी को जल अर्पित कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे भगवान शिवजी प्रसन्न होकर भक्तों को सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं।

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शिवजी ऐसे होंगे प्रसन्न

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि अपने दैनिक जीवन में पूर्ण शुचिता के साथ भगवान शिवजी की अर्चना करनी चाहिए। शिवभक्त व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होना चाहिए। तत्पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर विधि-विधानपूर्वक व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुन: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पूजा करनी चाहिए। भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें विविध वस्तुएँ जैसे—वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि जो भी सुलभ हो, अर्पित करके शृंगार करना चाहिए।

तत्पश्चात् धूप-दीप प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए। पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। धार्मिक परम्परा के अनुसार जगत जननी माता पार्वतीजी की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती है।

भगवान् शिवजी की महिमा में सोमवार व्रत कथा, श्री शिव चालीसा एवं भगवान शिवजी से सम्बन्धित मन्त्रों का जप एवं पाठ करना चाहिए साथ ही व्रत से सम्बन्धित कथाएँ भी सुननी चाहिए। व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। अपनी दिनचर्या को नियमित संयमित रखते हुए व्रत को विधि-विधानपूर्वक करना लाभकारी रहता है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को दान करने के साथ ही गरीबों, असहायों की सेवा व सहायता करनी चाहिए। श्रावण मास के सोमवार का व्रत-पूजन करने से जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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राशि के अनुसार मन्त्रों का जप एवं दान

मेष -ॐ ममलेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा लाल वस्त्र, लाल चंदन, गेहूं, गुड़, तांबा, लाल फूल आदि का दान करें।
वृषभ-ॐ नागेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा सफेद फूल, सफेद चंदन, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
मिथुन-ॐ भूतेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा मूंग, कस्तूरी, कांसा, हरा वस्त्र, पन्ना, सोना, मूंगा, घी का दान करें।
कर्क-महादेव जी के द्वादश नाम का स्मरण करें तथा सफेद फूल, सफेद वस्त्र, चावल, चीनी, चांदी, मोती, दही का दान करें।
सिंह -ॐ नम: शिवाय’ मन्त्र का जप करें तथा लाल फूल, लाल वस्त्र, माणिक्य, केशर, तांबा, घी, गेहूँ, गुड़ आदि का दान करें।
कन्या-श्रीशिव चालीसा का पाठ करें तथा हरा फूल, कस्तूरी, कांसा, मूंग, हरा वस्त्र, घी, हरा फल का दान करें।
तुला-श्रीशिवाष्टक का पाठ करें तथा सुगंध, सफेद चंदन, सफेद फूल, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
वृश्चिक-ॐ अंगारेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा गेहूँ, गुड़, तांबा, मूंगा, लाल वस्त्र, लाल चंदन, मसूर का दान करें।
धनु-ॐ रामेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा पीला वस्त्र, चने की दाल, हल्दी, पीला फल, फूल, सोना, देशी घी का दान करें।
मकर-श्रीशिवसहस्रनाम का पाठ करें तथा उड़द, काला तिल, तेल, काले वस्त्र, लोहा, कस्तूरी, कुलथी आदि का दान करें।
कुम्भ-ॐ नम: शिवाय’ मन्त्र का जप करें तथा काले वस्त्र, काला तिल, उड़द, तिल का तेल, छाता आदि का दान करें।
मीन-ॐ भौमेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा चने की दाल, पीला वस्त्र, हल्दी, फूल, पीला फल, सोना आदि का दान करें।

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(हस्तरेखा विषेशज्ञ, रत्न-परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद्, एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टैगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी -221002)

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