Makar Sankranti : मकर संक्रांति का वाहन बाघ और उप वाहन अश्व होने से मिलेगी तरक्की और सुख

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Makar Sankranti : शुक्रवार 14 जनवरी को मनाई जायेगी मकर सक्रांति
14 जनवरी को मकर राशि में आएगा सूर्य
दान-पुण्य करने का महापर्व है मकर संक्रांति

शुक्रवार 14 जनवरी को सूर्य राशि बदलकर मकर में आ जाएगा। इस दिन पौष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी। इसलिए इस दिन सूर्य के साथ भगवान विष्णु की भी विशेष पूजा की जाएगी। 14 जनवरी को सूर्य का राशि परिवर्तन दोपहर में होने से इसी दिन सूर्योदय से शाम तक पुण्यकाल रहेगा। इस दौरान तीर्थ स्नान, सूर्य पूजा और दान करने का कई गुना शुभ फल मिलेगा। मकर संक्रांति के दिन सूर्य का राशि परिवर्तन हो रहा है।

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि (Makar Sankranti ) मकर संक्रांति के दिन शुक्रवार और रोहिणी नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन शाम 8.18 बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। रोहिणी नक्षत्र को काफी शुभ माना जाता है। इस दौरान स्नान और दान-पुण्य करना शुभ होता है।

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Makar Sankranti Brahmyog : मकर संक्रांति के दिन आनंदादि और ब्रह्म योग

इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन आनंदादि और ब्रह्म योग बनने जा रहा है। सूर्य देव 14 जनवरी 2022 को दोपहर 2:28 मिनट पर अपने पुत्र शनि की स्वामित्व वाली मकर राशि में आ रहे हैं। वहीं शनि देव पहले से ही मकर राशि में है। बुध ने पिछले साल दिसंबर 2021 को मकर राशि में गोचर किया था। ऐसे में एक साथ शनि, बुध और सूर्य का मौजूदगी से मकर राशि में त्रिग्रही योग बन रहा है।

Makar Sankranti Rashifal :

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर शनि की राशि है। वह कर्मफल दाता को सूर्य का पुत्र माना गया है। सूर्य जब मकर राशि में आते हैं, तब महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होती है। मकर संक्रांति धार्मिक दृष्टि से काफी शुभ है। सूर्य के मकर राशि में गोचर करते की खरमास समाप्त होगा। फिर शुभ कार्य आरंभ होंगे।

ज्योतिष के अनुसार जब ग्रह राशि परिवर्तन करता है। तब इसका सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ता है। इसका संबंध खगोल से भी है, ज्योतिष से भी, मौसम से भी और धर्म से भी। मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है, क्योंकि इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है और मकर राशि में प्रवेश करता है।

वेदों में, भगवान सूर्य को ‘पिता’ के रूप में जाना जाता है और उनका मार्ग हमारे जीवन के चरणों और ऋतुओं के परिवर्तन को निर्धारित करता है। ऐसा माना जाता है, यदि आप एक नया व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं, कार्यालय में एक नया पद ग्रहण कर रहे हैं, आदि तो यह शुभ दिन है।

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Makar Sankranti :मिलेगी तरक्की और सुख

ज्योतिषाचार्य शुबेश शर्मन ने बताया कि शुक्रवार के अधिपति भृगु हैं। शुक्र के अधिपत्य में आने वाले कपड़े, ज्वेलरी, ग्लैमर और सुख-सुविधा की चीजों का कारोबार करने वाले लोगों के लिए ये समय शुभ रहेगा। संक्रांति के शुभ फल से अन्न और धान बढ़ेगा। महिलाओं को तरक्की मिलेगी और सुख बढ़ेगा।

देश के लिए मकर संक्रांति शुभ

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा, नदियों में स्नान, देव दर्शन और दान से विशेष पुण्य फल मिलेगा।

इस संक्रांति का वाहन बाघ और उप वाहन घोड़ा होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का पराक्रम बढ़ेगा। दूसरे देशों से संबंध मजबूत होंगे। विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए ये संक्रांति शुभ रहेगी। लेकिन अन्य कुछ लोगों में डर बढ़ सकता है। अनाज बढ़ेगा और महंगाई पर नियंत्रण भी रहेगा। चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी।

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Makar Sankranti Puja :माता गायत्री की आराधना

ज्योतिषाचार्य शुबेश शर्मन ने बताया कि मकर संक्रांति को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और देवताओं का प्रात:काल भी शुरू होता है।

सत्यव्रत भीष्म ने भी बाणों की शैय्या पर रहकर मृत्यु के लिए मकर संक्रांति की प्रतीक्षा की थी। मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में मृत्यु होने के बाद मोक्ष मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसी दिन से प्रयाग में कल्पवास भी शुरू होता है। धर्म ग्रंथों में माता गायत्री की उपासना के लिए इससे अच्छा और कोई समय नहीं बताया है।

Makar Sankranti donate these prosperity : दान करने से शुभ फल की प्राप्ति

विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार संक्रांति देवी के हाथ में कंगन, जटी फूल, गदा और खीर रहेगी। ये भोग की अवस्था में रहेगी।

इससे संकेत मिलता है कि देवी आराधना से फायदा होगा। इस साल राजनीतिक हलचल तेज होगी। तिल, गुड़ और कपड़ों का दान करने से अशुभ ग्रहों का बुरा असर कम होगा। गरीब और असहाय लोगों को गर्म कपड़े का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह में लाल और पीले रंग के वस्त्र धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है।

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माह के रविवार के दिन तांबे के बर्तन में जल भर कर उसमें गुड़, लाल चंदन से सूर्य को अर्ध्य देने से पद सम्मान में वृद्धि होने के साथ शरीर में सकारात्मक शक्तियों का विकास होता है। साथ ही आध्यात्मिक शक्तियों का भी विकास होता है।

Surya Puja on Makar Sankranti : सूर्य की आराधना मंगलकारी

ज्योतिषाचार्य शुबेश शर्मन ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह का अपना महत्व रहा है। पौष माह हिंदू पंचांग के अनुसार 10वां महीना होता है। इसी माह में मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जाता है।

ज्योतिष के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है जिसके कारण ठंड अधिक बढऩे के साथ इस मास को पौष अर्थात पूस माह भी कहा जाता है।

यही माह भगवान सूर्य और विष्णु की उपासना के लिए श्रेयकर होता है। पौष माह में भगवान सूर्य की उपासना करने से आयु व ओज में वृद्धि होने के साथ स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। सूर्य की उपासना का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

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Makar Sankranti Subh Muhurat : मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त

दिनांक: शुक्रवार 14 जनवरी,
मकर संक्रांति पुण्य काल – दोपहर 02:43 से शाम 05:45 बजे तक
मकर संक्रांति महा पुण्य काल – दोपहर 02:43 से 04:28 तक

Makar Sankranti : भगवान सूर्य की आराधना का है विशेष पर्व मकर संक्रान्ति

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