माघ पू​​र्णिमा पर विशेष : भगवान श्रीहरि विष्णु एवं श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना से मिलेगा सुख-सौभाग्य

Magh Purnima 2023 : Magh Purnima Shubh Muhurat Know More Purnima

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Magh Purnima 2023 : माघी पू​​र्णिमा : 5 फरवरी 2023 

ज्योतिर्विद् विमल जैन
भारतीय सनातन परम्परा में हिन्दू धर्मग्रन्थों में हर माह के विशिष्ट तिथि की विशेष महिमा है। चान्द्रमास के सभी तिथियों का किसी न किसी देवी-देवता की पूजा-अर्चना से सम्बन्ध है। तिथि विशेष पर की गई पूजा-अर्चना से सर्वमनोकामना की पूर्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। पू​​र्णिमा तिथि पर स्नान-दान-देवदर्शन विशेष पुण्यफलदायी माना गया है। इस दिन व्रत उपवास करके पूजा करने का विधान है।

वर्षभर की पू​​र्णिमा—चैत्र शुक्लपक्ष की पू​​र्णिमा तिथि को हनुमान जयन्ती, वैशाख पू​​र्णिमा को बुद्ध जयन्ती, ज्येष्ठ मास की पू​​र्णिमा को वटसावित्री व्रत, आषाढ़ मास की पू​​र्णिमा को गुरु पू​​र्णिमा, श्रावण के शुक्लपक्ष की पू​​र्णिमा को रक्षाबन्धन, आश्ïिवन शुक्लपक्ष की पू​​र्णिमा तिथि को शरद पूॢणमा, कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की पू​​र्णिमा को गुरुनानक जयन्ती, मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष की पू​​र्णिमा को दत्तात्रेय जयन्ती, पौष शुक्लपक्ष की पू​​र्णिमा तिथि को शाकम्बरी जयन्ती, माघ शुक्लपक्ष की पू​​र्णिमा तिथि को संत श्रीरविदास जयन्ती, श्रीभैरव जयन्ती, श्रीललिता जयन्ती मनाने की पौराणिक व धार्मिक मान्यता है।

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प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार स्नान-दान एवं व्रतादि की पू​​र्णिमा 5 फरवरी, रविवार को मनाया जाएगा। माघ शुक्ल पक्ष की पू​​र्णिमा तिथि 4 फरवरी, शनिवार को रात्रि 9 बजकर 31 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 5 फरवरी, रविवार की रात्रि 11 बजकर 59 मिनट तक रहेगी।

आज पू​​र्णिमा तिथि पर पुष्य नक्षत्र 4 फरवरी, शनिवार को प्रात: 9 बजकर 17 मिनट से 5 फरवरी, रविवार को दिन में 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। आज के दिन पू​​र्णिमा तिथि पर गंगा स्नान-दान विशेष पुण्य फलदायी रहेगा। 7 जनवरी, शनिवार से प्रारम्भ हुए माघ मास के नियम-संयम की समाप्ति भी आज हो जाएगी।

माघ मास को अत्यन्त पवित्र मास माना गया है। माघ मास की पू​​र्णिमा तिथि पर तिल के दान का विशेष महत्व बतलाया गया है। धर्मग्रन्थों एवं पुराणों के अनुसार सतयुग से लेकर कलयुग तक सभी युगों में माघ मास की पू​​र्णिमा का बड़ा ही महत्व है। माघ मास में श्रीहरि जल में निवास करते हैं। माघ मास की पू​​र्णिमा के दिन देवलोक से देवता भी पृथ्वी पर आकर पवित्र नदियों और संगम में स्नान करते हैं। इस दिन चन्द्रमा पूर्ण अवस्था में होता है। इस दिन सूर्योदय के समय स्नान करने से रोग और पाप दोनों से मुक्ति मिलती है। पू​​र्णिमा तिथि चन्द्रमा को अतिप्रिय है।

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पू​​र्णिमा तिथि के दिन चन्द्रमा की पूजा करने पर सुख-सौभाग्य और अभीष्ट का योग बना रहता है। आज के दिन श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना, व्रतादि एवं कथा का आयोजन करने का विधान है। जिनको चन्द्रमा की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा विपरीत हो, उन्हें आज के दिन व्रत-उपवास रखकर चन्द्रमा की विशेष पूजा-अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए।

पू​​र्णिमा पर ऐसे करें पूजा—प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्म मूहूर्त में समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् माघ पू​​र्णिमा के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

आज के दिन गंगा नदी या सरोवर में स्नान करके अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के साथ भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा पूर्ण श्रद्धा और आस्था के साथ करनी चाहिए। गोदान का विशेष महत्व है। गरीबों, असहायों और अनाथों को दैनिक प्रयोजन में आने वाली वस्तुओं का दान करना चाहिए तथा ब्राह्मण को यथाशक्ति भोजन करवा कर पुण्य लाभ प्राप्त करना चाहिए। आज के दिन व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए।

अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखनी चाहिए। अपने कुलपुरोहित को भी यथासार्मथ्य दान-दक्षिणा आदि देकर पुण्य लाभ प्राप्त करना चाहिए।

पौराणिक मान्यता—माघी पू​​र्णिमा का महत्व त्रेता युग में भी ऐसा था कि राम को वनवास भेजने से नाराज भरतजी ने अपनी माता कैकेयी को शाप दिया था कि उन्हें माघी पू​​र्णिमा के स्नान-दान का भी पुण्य प्राप्त नहीं होगा। पुराणों में वर्णन मिलता है कि जो व्यक्ति पूरे माघ महीने में प्रात: स्नान नहीं कर पाते वह विशेषकर पूॢणमा तिथि को प्रात: स्वच्छ जल, सरोवर या गंगा स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें तो भी उन्हें माघ स्नान का फल मिल जाता है।

माघ पू​​र्णिमा के दिन संत श्री रविदास की जयन्ती का पर्व हर्ष-उमंग व उल्लास के साथ मनाने की परम्परा है। संत रविदास जी का जन्म भी माघ की पू​​र्णिमा तिथि को हुआ था। संत रविदास जी ने दुनिया को समझाया कि मन में आस्था हो तो सर्वत्र भगवान विराजमान हैं, इसी प्रसंग में उनका कथन आता है कि ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’। यानि जिनका मन छल-कपट से रहित हो, अपने समस्त ईमानदारी से करते हों, वह गंगा में डुबकी नहीं भी लगाये और घर में गंगा माँ का स्मरण करके स्नान करे तो वहाँ भी उन्हें गंगा स्नान का पुण्यफल मिल जाता है।

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(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी) 

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