Guru Purnima 2023 – गुरु की विशेष आराधना का पर्व है : गुरु पूर्णिमा

Guru Purnima 2023 Date Time Shubh Muhurat and Significance

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Guru Purnima 2023 Date Time Shubh Muhurat and Significance

 -ज्योर्तिविद् विमल जैन

भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। गुरु की महिमा अनन्त है। भारतवर्ष में (Guru Purnima) गुरु पूर्णिमा का पर्व अति उमंग व हर्ष उल्लास के साथ मनाने की परम्परा चली आ रही है। गुरु का शाब्दिक अर्थ है। ‘गु’ अन्धकार, रु प्रकाश। अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता है। गुरु के मार्गदर्शन से ही जीवन आलोकित होता है।

Guru Purnima 2023 : पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व

ज्योतिषविद् विमल जैन बताया कि हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। तिथि विशेष पर गुरु की आराधना करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। जिससे जीवन आलोकित होकर सुख-समृद्धि, सौभाग्य के पथ पर अग्रसित होता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई, सोमवार को पड़ रहा है।

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इस बार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 2 जुलाई, रविवार को रात्रि 8 बजकर 22 मिनट पर लग रही है, जो कि 3 जुलाई, सोमवार को सायं 5 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। जिसके फलस्वरूप गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व 3 जुलाई, सोमवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर कोकिला पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन महर्षि वेद व्यास की भी पूजा-अर्चना करने की विशेष महिमा है।

पूर्णिमा तिथि के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करने के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। तत्पश्चात् ध्यानादि करके गुरु पूर्णिमा के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। अपनी दिनचर्या नियमित संयमित रखते हुए शुचिता के साथ मन-वचन-कर्म पर ध्यान देते हुए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाना चाहिए।

Guru Purnima 2023 : गुरु पूजा का विधान

काष्ठ की नवीन चौकी पर श्वेत वस्त्र पर पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण 12-12 रेखाएँ बनाकर व्यासपीठ बनाने का विधान है तथा दशों दिशाओं में अक्षत छोड़कर दिग् बन्धन किया जाता है। ब्रह्म, ब्रह्मा, परावर शक्ति, व्यास, शुकदेव, गोड़पाद, गोविन्द स्वामी और शंकराचार्य के नाममन्त्र से आवाहन करके पूजा करते हैं। अपने दीक्षा गुरु तथा माता-पिता, पितामह, भ्राता आदि की भी पूजा करने का विधान है।

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इस दिन अपने गुरु को भक्ति भाव श्रद्धा के साथ नवीन वस्त्र, नकद द्रव्य, ऋतुफल एवं मिष्ठान्न आदि भेंट स्वरूप अर्पित करके चरण स्पर्श करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि गुरु का आशीर्वाद ही जीवन में कल्याण करने के साथ ही सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि अपनी पारिवारिक परम्परा के अनुसार अपने गुरु की श्रद्धा भक्ति व आस्था के साथ पूजा-अर्चना करके उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। गुरु की कृपा से समस्त कष्ट व अनिष्टों का निवारण होता है। जीवन में सुख समृद्धि खुशहाली आती है पूर्णिमा तिथि के दिन देव दर्शन के पश्चात् ब्राह्मण व जरूरतमन्दों की सेवा व सहायता कर यथाशक्ति दान-पुण्य कर पुण्य लाभ अर्जित करना चाहिए।

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(विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुण्डली विश्ल़ेषक पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर (राजस्थान) Ph.- 9460872809) 

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