काशी में भी विराजते हैं द्वादश ज्योतिर्लिंग

Dvadash Jyotirlinga Darshan is just together

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Dvadash Jyotirlinga Darshan is just together

ज्योर्तिविद् श्री विमल जैन

Dvadash Jyotirlinga Darshan 

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म एवं तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैं। श्रावण मास भगवान शिवजी को समर्पित है। भगवान शिव की अर्चना के लिए श्रावण मास अतिविशिष्ट माना गया है।

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प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि श्रावण मास का शुभारम्भ 25 जुलाई, रविवार से हो रहा है। इस बार 29 दिन के श्रावण मास में 4 सोमवार पड़ रहा है जिसमें भगवान शिवजी की आराधना विशेष फलित होगी। शिवालय सर्वत्र प्रतिष्ठित हैं, जिनके दर्शनमात्र से अलौकिक शान्ति की प्राप्ति होती है।

Sawan Month : इस बार श्रावण मास के प्रमुख पर्व

इस बार श्रावण में चार सोमवार पड़ रहे हैं। प्रथम सोमवार-26 जुलाई, द्वितीय सोमवार-2 अगस्त, तृतीय सोमवार-9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार-16 अगस्त। नाग पंचमी (मरुधर व बंगाल में)-28 जुलाई, बुधवार।

शिव की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त, गुरुवार तथा 20 अगस्त, शुक्रवार को रखा जाएगा।

इन दिनों शिवभक्त भगवान शिवजी का विशेष दर्शन-पूजन कर एवं व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर पुण्य फलदायी होंगे। इस मास का प्रमुख पर्व रक्षा बन्धन-22 अगस्त, रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा।

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Dvadash Jyotirlinga Darshan : काशी में शिवभक्त द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन से लाभान्वित होते हैं। काशी में द्वादश ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं—

1.सोमनाथ (मानमन्दिर),

2.मल्लिकार्जुन (सिगरा),

3.महाकालेश्वर (दारानगर),

4.केदारनाथ (केदारघाट),

5.भीमशंकर (नेपाली खपड़ा),

6.विश्वेश्वर (विश्वनाथ गली),

7.त्र्यम्बकेश्वर (हौजकटोरा, बाँसफाटक),

8.वैद्यनाथ (बैजनत्था),

9.नागेश्वर (पठानी टोला),

10.रामेश्वरम् (रामकुण्ड),

11.घुश्मेश्वर (कमच्छा),

12.ओंकारेश्वर (छित्तनपुरा) में स्थित है।

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काशी (वाराणसी) के प्रसिद्ध शिव मन्दिर

1.ओंकारेश्वर (ए. 33/23, पठानी टोला),

2.त्रिलोचनेश्वर (ए. 2/80, त्रिलोचन),

3.आदि महादेव (त्रिलोचन महादेव के पीछे),

4.कृतिवासेश्वर (के. 46/23, हरतीरथ)

5.रत्ïनेश्वर (के. 53/40, वृद्धकाल),

6.चन्देश्वर (के. 7/124, सिद्धेश्वरी),

7.केदारेश्वर (डी. 6/102, केदारघाट),

8.धर्मेश्वर (डी. 2/281, धर्मकूप, मीरघाट),

9.वीरेश्वर (सीके. 7/158, सिन्धियाघाट के ऊपर),

10.कामेश्वर (ए. 2/9, त्रिलोचन के उत्तर),

11.विश्वकर्मेश्वर (ए. 34/306, गोलगड्डा),

12.मणिकर्णेश्वर (सीके. 8/12, गोमठ आश्रम),

13.अविमुक्तेश्वर (अ-ज्ञानवापी में गुप्त, ब-म.नं. 30/1, राधाकृष्ण धर्मशाला, स-विश्वनाथ मन्दिर परिक्षेत्र सीके. 35/11, द-मणिकर्णिका मन्दिर),

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14.विश्वेश्वर (प्रसिद्ध विश्वनाथ मन्दिर),

15.अमृतेश्वर (सीके. 33/28, नीलकण्ठ),

16.तारकेश्वर (ज्ञानवापी के पूर्व गौरीशंकर मढ़ी के नीचे),

17.ज्ञानेश्वर (डी. 1/32, लाहौरी टोला),

18.करुणेश्वर (सीके. 34/10, ललिताघाट के ऊपर),

19-मोक्षद्वारेश्वर (करुणेश्वर के समीप),

20.स्वर्गद्वारेश्वर (सीके. 10/16, ब्रह्मनाल),

21.ब्रह्मेश्वर (डी. 33/66, खालिसपुरा, बंगाली टोला),

22.लांगलीश्वर (के. 28/4, खोआ बाजार),

23.वृद्धकालेश्वर (महामृत्यंजय परिसर, दारानगर),

24.वृषेश्वर (के. 58/78, गोरखनाथ टीला, मैदागिन),

25.चण्डीश्वर (वरुणा किनारे, इमिलिया घाट, चंडी देवी के समीप, सदर बाजार),

26.नन्दिकेश्वर (ज्ञानवापी पर-लुप्त),

27.महेश्वर (मणिकर्णिका कुंड के पूर्वी तट पर मढ़ी में),

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28.ज्योतिरूपेश्वर (सीके. 8/90, गोमठ),

29.शैलेश्वर (ए. 40/11, मढिय़ाघाट, शैलपुत्री),

30.संगमेश्वर (47/51, आदिकेशव, वरुणा में),

31.स्वर्लीनेश्वर (ए. 11/30, नया महादेव, प्रहलाद घाट),

32.मध्यमेश्वर (के. 53/63, मध्यमेश्वर, दारानगर),

33.हिरण्यगर्भेश्वर (त्रिलोचनघाट मढ़ी में),

34.ईशानेश्वर (सी. 37/43, बाँसफाटक),

35.गोप्रेक्षेश्वर (4/24, लालघाट),

36.वृषभश्वजेश्वर (कपिलधारा),

37-उपशान्तेश्वर (2/4, पठानी टोला),

38-ज्येष्ठेश्वर (के. 62/144, काशीपुरा),

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39.निवासेश्वर (के. 62/22, भूतभैरव के पास, काशीपुरा),

40.शुक्रेश्वर (डी. 8/30, कालिका गली),

41.व्याघ्रेश्वर (के. 63/16, भूतभैरव के पास),

42.जम्बुकेश्वर (के. 58/108, बड़ागणेश),

43.महामृत्युंजय (मध्यमेश्वर, दारानगर),

44.नये विश्वनाथ (मीरघाट),

45.नये विश्वनाथ (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर),

46.वैद्यनाथ (बैजनत्था), 47-जंगम……. (जंगमबाड़ी मठ),

  1. मल्लिकार्जुन (सिगरा),

49.भीमशंकर (नेपाली खपड़ा),

50.त्र्यम्बकेश्वर (हौजकटोरा, बाँसफाटक),

51-नागेश्वर (पठानी टोला),

52.रामेश्वरम् (रामकुण्ड),

53.घुश्मेश्वर (कमच्छा),

54.ओंकारेश्वर (छित्तनपुरा),

पंचक्रोशी मार्ग में पडऩे वाले अनेक शिवमंदिर।

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(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी) 

 

 

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