भारतीय ज्योतिष (Astrological) में सिद्वान्त संहीता होरा के सही आंकलन के द्वारा प्रति वर्ष पंचाग के माध्यम से तिथि वार नक्षत्र योग करण के द्वारा सृष्टि पर प्रकृति का प्रभाव, वायु का रुख कैसा रहेगा इन सब बातो ध्यान में रखते हुए आमजन के सामने हमारे विद्वान देवज्ञ सम्पूर्ण जानकारी देते हैं जिसमें वायु, वर्षा, आॅधी, भूकम्प, महामारी, व्याधि, उत्साह, उग्रता, पाप (epidemics, diseases, natural disaster) आदि अनेक जानकारी आमजन को बताते हैं। सृष्टि में अनेेक शक्तिया कार्य कर रही हैं जिसका प्रभाव भूमण्डल और भू वासियों पर पड रहा हैं वायु मण्डल में भिन्न भिन्न प्रभाव पडने से ओले गिरते हैं बिजली चमकती हैं अधिक वृष्टि से जन धन की हानि होती है मनुष्यों में जुकाम, बुखार, हैजा, मलेरिया समय समय पर होता हैं ज्योतिष सिंद्वान्त में सम्वतसर में देश भेद का विवाद उत्पन्न होता हैं यह विवाद जब घटनाओ का सही फलाफल आॅखो के सामने घटता हैं तब यह विश्वास होता हैं कि वास्तव में किस सिद्वांत के मान से संवतसर की गणना करे कि आम जन के मन मे विश्वास बना रहे।
सम्वत 2077 सन् 2020 में एक पंचाग मे तो आनंदी नामकीय संवत्सर 48 बताया गया तो दूसरे पंचागो में प्रमादी 47 संवत्सर बताया गया । लेकिन फला फल प्रमादी का मिला न की आनंदी का । दुनिया मे जब कोरोना महामारी फेली तब फलाफल प्रमादी का मिला आनंदी का नही मिला । इस वर्ष सम्वत 2078 में राक्षस नाम का वर्ष है जिसका स्वामी शुक्र हैं जो दिनांक 18/04/2021 को अश्विनी नक्षत्र देवगण में उदय हो रहा हैं शुक्र जलतत्व वाला जलीय ग्रह हैं शरीर में यह गुप्त रोग, मधुमेह, प्रदर, कफ, वायु विकार, नेत्र, जुकाम आदि रोग में वृद्वि हो सकती है।
मेघ महोदय में लिखा हैं:-
भृगुसुतः कुरुते अभ्युदयं यदा,सुरगर्णक्षगतः खलु सिन्धुषु।
सकल गुर्जर कर्बटमण्डले,भवति सस्यविनाशमहारुजे ।।
यदि शुक्र का उदय देवगण के नक्षत्र मे हो तो गुजरात कर्वट सिंधु देशो में खेती का नाश ओर महारोग होगा । चैत्र मास में धूल भरी आंधी, बैशाख -ज्येष्ठ मास में तेल में तेजी रहेगी कार्तिक में रोग से व्याकुलता रहेगी 20/04/20021 को शुक्र भरणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा, जिससे सौराष्ट्र में विग्रह मारवाड में दुर्भिक्ष होगा। इस बार चैत्र सुदी एकम के दिन मंगलवार होने से इस वर्ष टीडी,चूहो का अधिक उपद्रव होगा। चैत्र शुक्ला अष्टमी मंगल वार होने से इस वर्ष वर्षा की कमी रहेगी आषाढ के प्रथम पक्ष की दूज शनिवार के दिन की होने से निश्चय ही दुष्काल पडेगा श्रावण बदी अमावस को पुष्य नक्षत्र होने से इस वर्ष जल कम बरसेगा।
ज्योतिष दोहावली में लिखा हैं –
कर्क मकर संक्रान्ति दो, बैठे एक ही वार।
या धरती का धर पडे,देशो पडे दुकार।।
अर्थात कर्क और मकर संक्रान्ति दोनो का प्राम्भिक एक ही वार को हो तब पृथ्वी पर विप्लव,अकाल अथवा राजभंग होने की सम्भावना होती हैंै । यह योग इस वर्ष बने हुवे हैं ।
सोम मंगल शिवरात्रि,पश्चिम वायु दिन रात ।
टीडी, घोड़ा,युद्व मचे, काल पडे महाघात ।।
फाल्गुन मास में शिवरात्रि पर्व यदि सोमवार या मंगल वार को हो और पश्चिम दिशा की वायु चले तों टिडी,पशुओं और चूहों का उपद्रव होता हैं युद्व के ताण्डव और अकाल के कारण जन मानस ़त्रस्त होता हैं । इस बार महा शिवरात्रि मंगल वार दिनांक 1 मार्च 2022 को हैं।
भादवा सुदी पंचमी को स्वाति नक्षत्र इस वर्ष होने से इस बात को संकेत प्रतीत होता है की आसोज मास में गर्मी प्रबल रहेगी क्योकि तृतीया तिथी शनिवार को हैं आश्विन शुक्ला एकादशी शनिवार होने से पृथ्वी पर छत्र भंग होगा, नगर गाव का भग होगा अर्थात युद्व की सम्भावना से भी इन्कार नही किया जा सकता हैं कार्तिक बदी पंचमी को आद्र्रा नक्षत्र होने से पशुचारा का अभाव रहेगा। माध सुदी पचमी सप्तमी सोमवार को होने से बडा दुर्भिक्ष पडेगा राजनीति में आपसी तनाव व युद्व की सम्भावना रहेगी। इस वर्ष वर्ष प्रवेश लग्न मकर होने से उतर में बडा उत्पात, अकाल की सम्भवना हैं।
ज्योतिष के आधार पर देखे तो हमें दुध, दही, छाछ, चटपटे व्यंजन, मिठाई एवं तरल पेय पदार्थो से दूरी बनायें रखना उचित रहेगा। सरकारी गाईडलाइन की पालना करें।
– पं.बृजेश्वर लाल व्यास
कीकाणी व्यासो का चैक, बीकानेर।
मों. – 9461244520
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