Akshay Navami 2022 : अक्षय नवमी पर भगवान श्रीहरि की पूजा से मिलेगी सुख-समृद्धि और खुशहाली

Akshay Navami 2022 : Akshay Navami Subh Muhurat puja time

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Akshay Navami 2022 : Akshay Navami Subh Muhurat puja time

@ ज्योतिर्विद् विमल जैन

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में अक्षय पुण्य फल की कामना के संग मनाया जाने वाला  (Akshay Navami 2022) पर्व अक्षय नवमी कार्तिक शुक्ल पक्ष  (Akshay Navami) की नवमी तिथि के दिन हर्ष, उमंग एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। अक्षय नवमी को आँवला नवमी (Akshay Amla Navami) या कुष्माण्ड नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

Akshay Navami : अक्षय नवमी का व्रत-उपवास एवं पूजा करने से अभीष्ट की प्राप्ति

अक्षय नवमी जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि इस दिन किए गए पुण्य और पाप, शुभ-अशुभ समस्त कार्यों का फल अक्षय (स्थायी) हो जाता है। तीन वर्ष तक लगातार अक्षय नवमी का व्रत-उपवास एवं पूजा करने से अभीष्ट की प्राप्ति बतलाई गई है।

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Akshay Navami Kab Hai : अक्षय नवमी कब है

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार यह पर्व 2 नवम्बर, बुधवार को मनाया जायेगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 01 नवम्बर, मंगलवार को रात्रि 11 बजकर 05 मिनट पर लगेगी। जो कि अगले दिन 2 नवम्बर, बुधवार को रात्रि 9 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। अक्षय नवमी का व्रत 2 नवम्बर, बुधवार को रखा जायेगा।

अक्षय नवमी (Akshay Navami) के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण-श्रीविष्णु की पूजा अर्चना तथा आँवले के वृक्ष के समीप या नीचे बैठकर भोजन करने की पौराणिक व धार्मिक मान्यता है। पूजा करने वाले का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। व्रतकर्ता को अपने दैनिक नित्य कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान ध्यान के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र पहनकर अक्षय नवमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा की जाती है। आज के दिन भगवान श्रीविष्णु का प्रिय मंत्र ‘‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’’ का जप अधिकतम संख्या में करने पर भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर भक्त को उसकी मनोकामना पूर्ति का वरदान देते हैं।

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Akshay Navami Puja Vidhi : अक्षय नवमी पर पूजा का विधान

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पर्व पर आँवले के वृक्ष की पूजा से अक्षय फल (कभी न खत्म होनेवाले पुण्यफल) की प्राप्ति होती है। साथ ही सौभाग्य में अभिवृद्धि होती है। इस पर्व पर आँवले के वृक्ष की पूजा पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से की जाती है। पूजन करने के पश्चात् वृक्ष की आरती करके परिक्रमा करनी चाहिए।

कुष्माण्ड (कोहड़ा) का दान भी किया जाता है, जिसमें अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोना, चाँदी व नगद द्रव्य रखकर भूदेव कर्मनिष्ठ ब्राह्मण को दान देने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। आँवले के वृक्ष के समीप या नीचे ब्राह्मण को सात्विक भोजन कराकर दान-दक्षिणा देकर पुण्य अर्जित करना चाहिए।

इसके अलावा अन्न, घी एवं अन्य जरूरी वस्तुओं का दान देना भी अक्षय फल की प्राप्ति कराता है। आज के दिन गोदान करने की विशेष महिमा है।

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Akshay Navami : धार्मिक-पौराणिक मान्यता

अक्षय नवमी के दिन किए गए दान से जीवन में जाने-अनजाने में हुए समस्त पापों का शमन हो जाता है। इस दिन पितृ लोक में विराजित पितरों को शीत (ठण्ड) से बचाने के लिए संकल्प करके भूदेव (ब्राह्मण) को ऊनी वस्त्र, कम्बल देने की शास्त्रीय मान्यता है।

ज्योर्तिविद् विमल जैन के अनुसार आँवले के पूजन के लिए यदि आँवले का वृक्ष उपलब्ध न हो तो मिट्टी के नए गमले में आँवले का पौधा लगाकर उसकी विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए जिससे जीवन में कल्याण होता रहे। आँवले के पूजन से सुहागिन महिलाओं का सौभाग्य अखण्ड रहता है। आँवले के वृक्ष के पूजन से सन्तान की प्राप्ति भी बतलाई गई है।

Akshay Navami Vrat : व्रतकर्ता के लिए विशेष

आँवला नवमी पर्व पर तन-मन-धन से पूर्णतया शुचिता के साथ व्रत आदि करना चाहिए। यदि तीन वर्ष तक लगातार व्रत करें तो मनोकामना की पूर्ति के साथ अभीष्ट की प्राप्ति भी होती है। व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। परअन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। व्यर्थ की वार्तालाप से बचना चाहिए। साथ ही मन-वचन-कर्म से शुभ कृत्यों की ओर अग्रसर रहना चाहिए।

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(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी) 

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