Achala Apara Ekadashi 2023 : भगवान श्रीहरि विष्णु की आराधना से मिलेगा मोक्ष

Achala Apara Ekadashi 2023 : know here date shubh muhurat significance importance puja vidhi of Achala Ekadashi

Achala Ekadashi 2023, Apara Ekadashi 2023 ,Hindu festival, Jyeshta ekadashi 2023, When is Apara Ekadashi, Achala Ekadashi 2023 muhurat, Apara Ekadashi significance, Apara Ekadashi puja vidhi, Apara Ekadashi katha, Apara Ekadashi upay,,अपरा एकादशी 2023, ज्येष्ठ एकादशी 2023, अपरा एकादशी 2023 डेट, अपरा एकादशी 2023 मुहूर्त, अपरा एकादशी महत्व, अपरा एकादशी कथा,

Achala Apara Ekadashi 2023 : know here date shubh muhurat significance importance puja vidhi of Achala Ekadashi

Achala Apara Ekadashi 2023 : अचला एकादशी : 15 मई, सोमवार

– ज्योर्तिविद् विमल जैन

भारतीय संस्कृति के हिन्दू धर्मशास्त्रों में प्रत्येक माह की तिथियों में अपना खास महत्व है। मास व तिथि के संयोग होने पर ही पर्व मनाया जाता है। तिथि विशेष पर भगवान श्रीहरि विष्णुजी की पूजा-अर्चना करके सर्वमंगल की कामना की जाती है। ज्येष्ठ कृष्णपक्ष की (Apara Ekadashi ) एकादशी तिथि की अपनी खास पहचान है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार (Achala Apara Ekadashi ) अचला (अपरा) एकादशी के दिन, भक्त भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना कर पुण्यलाभ उठाते हैं।

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन जी ने बताया कि ज्येष्ठ कृृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि अचला (अपरा) एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस बार ज्येष्ठ कृृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 14 मई, रविवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 2 बजकर 47 मिनट पर लगेगी जो कि 15 मई, सोमवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात्् 1 बजकर 04 मिनट तक रहेगी। जिसके फलस्वरूप 15 मई, सोमवार को यह व्रत रखा जाएगा।

यह भी पढ़ें – Best Loan Apps : आसान लोन लेने के लिए ये हैं बेस्ट ऐप्स, मिलेगा 5 से 10 लाख रुपये का लोन

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि महाभारत काल में युधिष्ठिर के आग्रह करने पर श्रीकृष्ण भगवान ने अचला (अपरा) एकादशी व्रत के महत्व के बारे में पांडवों को बताया था। इस एकादशी के व्रत के प्रभाव स्वरूप पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीत लिया। मान्यता है किे अपरा एकादशी व्रत रखने से अपार धन की प्राप्ति होती है।

Achala Apara Ekadashi Vrat : व्रत का विधान

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर गंगा-स्नानादि करना चाहिए। गंगा-स्नान यदि सम्भव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल से स्नान करना चाहिए। अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् अचला एकादशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन व्रत उपवास रखकर जल आदि कुुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। विशेष परिस्थितियों में दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है। आज के दिन सम्पूर्ण दिन निराहार रहना चाहिए, चावल तथा अन्न ग्रहण करने करना निषेध है।

भगवान् श्रीविष्णु की विशेष अनुकम्पा-प्राप्ति एवं उनकी प्रसन्नता के लिए भगवान् श्रीविष्णु जी के मन्त्र ú नमो नारायण या ú नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का नियमित रूप से अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। आज के दिन ब्राह्मण के यथा सामर्थ्य दक्षिणा का साथ दान कापे कस लाभ उठाना चाहिए। अपने जीवन में मन-वचन कर्म से नियमित संयमित रहते हुए यह व्रत करना विशेष फलदायी रहता है। भगवान् श्रीविष्णु जी की श्रद्धा, आस्था भक्तिभाव के साथ आराधना का पुण्य अर्जित करना चाहिए, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य व सौभाग्य में अभिवृद्धि बनी रहे।

यह भी पढ़ें : ज्योतिष के ये उपाय दिलाते है प्रतियोगी परीक्षा और नौकरी में सफलता

Achala Apara Ekadashi Katha : अचला एकादशी की प्रचलित कथा

प्राचीनकाल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही कू्रर अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा। एक दिन अचानक धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे।

उन्होंने प्रेत का देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ऋषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत के पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया। दयालु ऋषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अचला (अपरा) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने के उसके पुण्य प्रेत का अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। वह ऋषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया।

अत: अचला एकादशी की कथा पढने अथवा सुनने मात्र से मनुष्य के सब पापों का शमन हो जाता है। इस विशेष दिन पर दान और पुण्य के विभिन्न कार्य करने से, भक्त अपने पूर्वजों और देवताओं के दिव्य आशीर्वाद से धन्य हो जाते हैं।

यह भी पढ़ें : Personal Loan : जल्दी करें 5 मिनट में ये बैंक दे रहा 10 लाख रुपये का पर्सनल लोन

(हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न -परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिसी एंव वास्तुविद् , एस.2/1-76 ए, द्वितीय तल, वरदान भवन, टगोर टाउन एक्सटेंशन, भोजूबीर, वाराणसी) 

Tags : Achala Ekadashi 2023, Apara Ekadashi 2023 ,

Read Hindi News, Like Facebook Page : Follow On Twitter:

Exit mobile version