-गिफ्ट सिटी ने भारतीय वित्त कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए द्वार खोला
जयपुर। गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंशियल टेक (गिफ्ट) सिटी में इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) में विदेशी मुद्रा पर भारतीय कंपनियों की सीधी लिस्टिंग जल्द हो सकती है।पीएमओ की मंजूरी का इंतजार है और अधिसूचना जल्द ही जारी हो सकती है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय रिजर्व बैंक;आरबीआईद्ध के साथ समन्वय करने वाले कार्य समूह की सिफारिशें भी अगले 10.15 दिनों में जारी की जाएंगी।
गिफ्ट सिटी में व्यापार करने का स्पष्ट लाभ है क्योंकि सभी व्यापार डॉलर-मूल्यवर्ग में होते हैं। इससे विदेशी निवेशकों को मुद्रा रूपांतरण और हेजिंग से संबंधित अतिरिक्त लागत से छुटकारा मिलता है।
अंतर्राष्ट्रीय विस्तार
सितंबर 2023 में IFSC अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंजों पर मासिक कारोबार $67.3 बिलियन था। IFSC में स्थापित ।प्थ् के माध्यम से किए गए निवेश से आय मुक्त हैए जिससे निवेशकों को करों से बचाया जा सकता है। जब विदेशी मुद्रा में वित्तीय सेवाएं प्रदान करने की बात आती तो आईएफएससी को एक ऐसा क्षेत्राधिकार माना जाता है जो शेष भारत से अलग है।
एबांस ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष का कहना हैं किए मुझे लगता है कि गिफ्त सिटी में भारतीय वित्तीय सेवा उद्योग को आगे बढ़ाने की क्षमता है। गिफ्ट सिटी अच्छी स्थिति में है और इसके नियम उद्यमियों के लिये पर्याप्त लचीलापन प्रदान करते हैं। इस उद्देश्य से हमने गिफ्ट सिटी में एक श्रेणी III एआईएफ की स्थापना की है जिसका वर्तमान में एयूएम लगभग 20 मिलियन अमरीकी डालर है।
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एआईएफ द्वारा जुटाए गए धन को एफपीआई के रूप में भारतीय बाजार में निवेश किया जाता है। हमने गिफ्ट सिटी में एक एनबीएफसी स्थापित करने के लिए आरबीआई के पास भी आवेदन किया हैए जो हमें वैश्विक संस्थाओं ऋण प्रदान करके की अनुमति देगा।
उन्होंने कहा किए हम एक ऐसे धन प्रबंधक की तलाश में हैं जो हमारे ग्राहकों के जोखिमों को समझता है और उनके लिए जोखिम-भारित लाभ उत्पन्न कर सकता है। एबांस तेजी से बढ़ते हुए घरेलू और वैश्विक ग्राहक आधार को पूरा कर रहा हैए इसलिए हम मजबूत विकास का अनुभव कर रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए आईएफएससी-गिफ्ट सिटी का यह प्रयास महत्वपूर्ण है। इस कारोबारी माहौल में यहां कई उद्यमियों और स्टार्टअप्स अपने लक्ष्य और आकांक्षाओं को हासिल कर सकते हैं। विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लगातार 7.8 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ाने का संभावना बना दिया है।
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