उदयपुर में जनजाति संत समाज ने संस्कृति-समाज बचाने के लिए बीटीपी के खिलाफ दिया ज्ञापन

उदयपुर। उदयपुर संभाग (Udaipur division) के बांसवाड़ जिले में हनुमान मन्दिर करजी (बागीदौरा) में बीटीपी समर्थकों द्वारा मन्दिर की धर्म पताका हटाकर अराजकता फैलाने वाले नारे लगाए गए थे और 27 अगस्त 2020 को कसारवाड़ी सज्जनगढ़ बांसवाड़ा में बीटीपी समर्थकों द्वारा गणपति की मूर्ति को तोड़ कर उत्पात मचाया गया। जिसमें दर्ज मामले में तीन बीटीपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी हुई है। 30 अगस्त 2020 को सोनार माता मन्दिर, सलूम्बर उदयपुर में भी इसी प्रकार के धर्म विरोधी तत्वों, बीटीपी के कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों द्वारा एकत्र होकर धर्म ध्वजा को हटाकर उसके स्थान पर बीटीपी को झंडा लगाया गया तथा पुजारी एवं भक्तों के साथ मारपीट कर हिंसा फैलाई गई। इसके लिए जनजाति समाज की संस्कृति-परम्पराओं के खिलाफ दुष्प्रचार करने और समाजों में वैमनस्यता पैदा करने वाली गतिविधियों के लिप्तता के आरोप लगाते हुए गुरुवार को (Tribal Sant Samaj) जनजाति संत समाज की ओर से बीटीपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

इससे पूर्व सर्व संत समाज मास्क लगाए निर्धारित दूरी की पालना करते हुए रैली के रूप में उदयपुर जिला कलक्ट्रेट पहुंचा और वहां बीटीपी द्वारा की जा रही अराजक गतिविधियों के प्रति रोष जाहिर किया गया। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि 12 अगस्त 2020 को नन्दिन माता मन्दिर बड़ोदिया जिला बांसवाड़ा में बीटीपी के 100 से अधिक समर्थकों द्वारा जय जौहार, लाल सलाम के नारे लगाते हुए मन्दिर की धर्म पताका हटाकर पुजारी एवं भक्तों को डराया-धमकाया गया।

संत समाज ने कहा कि उदयपुर संभाग के जनजाति क्षेत्र में बीटीपी के नाम से एकत्र हुए धर्म विरोधी असामाजिक तत्वों द्वारा हिन्दू धर्म एवं जनजाति संस्कृति पर निरन्तर आक्रमण किए जा रहे हैं, जिसके माध्यम से धार्मिक विद्वेष एवं जातिगत वैमनस्य फैलाकर हिंसक घटनाएं कारित करने की योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जनसंचार के विभिन्न सामाजिक माध्यमों के द्वारा सामाजिक सौहार्द बिगाडने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके कारण अशांत वातावरण निर्मित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल द्वारा धर्म एवं जाति को आधार बनाकर ऐसी गतिविधियां न केवल समाज विरोधी हैं, अपितु संविधान विरोधी भी हैं। बीटीपी द्वारा ऐसी गतिविधियॉ जनजाति समाज पर जौहार सलाम के अभिवादन का प्रयोग करने के लिए समाज पर दबाव ही नहीं अपितु डरा-धमका कर और जान से मारने की भी धमकी दी जा रही है। ज्ञापन देने वालों में जनजाति समाज के संत, मेट, कोतवाल व धर्म प्रेमी जन शामिल थे। उन्होंने सख्त कानूनी कार्यवाही की मांग की है।

Read Hindi News, Like Facebook Page : Follow On Twitter:

Exit mobile version