मथुरा। राजस्थान(rajasthan) के बहुचर्चित और भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह हत्याकांड(Raja Man singh Bharatpur) में 11 पुलिसकर्मी दोषी करार (Verdict) दिए गए हैं। इस मामले में सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह फैसला 35 साल बाद और इसमें तीन लोगों को बरी किया गया है।
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ये है दोषी
21 जुलाई को जिनको दोषी ठहराया गया था उनमें आरोपी डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, सुखराम, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, एसआइ रवि शेखर का नाम शामिल है। इन सभी को धारा 148, 149, 302 के तहत दोषी माना गया है। सभी को कस्टडी में ले लिया गया था, वहीं पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी पर आरोप साबित नहीं हुए, लिहाजा अदालत ने बरी कर दिया गया।
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दरअसल में मथुरा जिला कोर्ट (Mathura Court) ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। भरतपुर के राजा मानसिंह व दो अन्य लोगों की 21 फरवरी, 1985 को पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु हो गई थी। इससे एक दिन पहले राजा ने 20 फरवरी,1985 को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की डीग में सभा मंच व उनके हेलीकॉप्टर को जोगा की टक्कर से क्षतिग्रस्त कर दिया था।
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22 फरवरी को राजा की अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। जिनमें पुलिस के इस एनकाउंटर को लेकर बड़ी नाराजगी थी। इस मामले से सियासी बवाल भी बहुत हुआ. ऐसे में राज्य सरकार ने मामले की जांच ब्ठप् को सौंप दी।
जयपुर CBI कोर्ट में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। वादी की और से सुप्रीम कोर्ट की शरण लेकर मुकदमे को राजस्थान से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की गई. 1 जनवरी, 1990 को सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा जिला एवं सत्र न्यायाधीश मथुरा स्थानांतरित कर दिया। इस मामले की पिछली सुनवाई मथुरा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर की अदालत में 9 जुलाई को हुई थी, तब 21 जुलाई फैसले पर सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई थी, और 22 जुलाई को सजा सुनाई गई।
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राजा मान सिंह के बारे में
भरतपुर रियासत के महाराज किशन सिंह के घर राजा मान सिंह का जन्म 5 दिसंबर, 1921 को हुआ था। जिन्होंने इंग्लैंड में वर्ष 1928 से 1942 तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। दीपा उर्फ कृष्णेंद्र कौर जो कि राजस्थान की मंत्री भी रहीं उनकी तीन बेटियों में सबसे बड़ी बेटी हैं। मानसिंह 1946-1947 भरतपुर रियासत के मंत्री रहे थे। वर्ष 1947 में उन्होंने रियासत का झंडा उतारने का विरोध किया। 1952 में विधानसभा का पहला निर्दलीय चुनाव जीता, और इसके बाद लगातार वह 7 बार निर्दलीय विधायक चुने गए थे।
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