नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास करेगा सहयोग: राज्य स्तरीय समिति हुई गठित

जयपुर। भारत में 34 वर्षों बाद जारी की गई नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की बैठक संपन्न हुई। राजस्थान क्षेत्र की बैठक में अनेक शिक्षाविदों , पूर्व कुलपतियों तथा तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा सहभागिता व्यक्त की गई । शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रिय सचिव अतुल भाई कोठारी के मार्गदर्शन में यह बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में नीति के क्रियान्वयन हेतु राज्य, जिला, विश्वविद्यालय व महाविद्यालय स्तर पर क्रियान्वयन समिति को लेकर गहन विचार विमर्श किया गया। वेब तकनीक के सहयोग से आयोजित इस बैठक में अपने संबोधन में अतुल भाई कोठारी जी ने कहा कि 34 साल बाद बनाई गई शिक्षा नीति की आज देश भर में चर्चा चल रही है लेकिन इसकी सबसे बड़ी समस्या क्रियान्वित पक्ष की है। नीति की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय रख दिया गया है।

उन्होने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा इस नई शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने हेतु राज्य सरकारें भी समितियां गठित करें यह निर्देश जारी करें, ऐसा आग्रह व मांग न्यास द्वारा की गई है । न्यास की सभी विश्वविद्यालय प्रशासन से यह आग्रह है कि इस नवीन शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु विश्वविद्यालय स्तर पर भी समितियों का गठन करें तथा राज्य सरकार भी जिला स्तर पर विभिन्न समितियों का गठन करें ।

उन्होंने कार्यकर्ताओं व शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि हम शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले कार्यकर्ता इसके क्रियान्वयन में कहां दिक्कत आ रही है इस दृष्टि से सहयोगी की भूमिका का निर्वहन करें । नीति के अनुरूप आचार्य व शिक्षक के मन में भाव तैयार नहीं होंगे तो नीति को लागू करना कठिन है । जिस प्रकार से झारखंड आदि 2 राज्यों में वैदिक गणित पाठ्यक्रम को समावेशित करने का निर्णय 15वर्ष पूर्व लिया गया लेकिन उसकी क्रियान्विति नहीं हो पाई वेसा इस शिक्षा निती के साथ ना हो । उन्होंने कार्यकर्ताओं के समक्ष अनेक जिज्ञासा व प्रश्न रखते हुए कहा कि शोध कार्य प्रथम वर्ष से ही हो सकता है क्या , अपनी भाषाओं में शोध को प्रोत्साहन देने की क्या व्यवस्था हो सकती है , शोध के साथ साथ व्यवहारिक शोध को किस प्रकार से लागू किया जा सकता है , आत्मनिर्भरता के लिए अलग से समिति होनी चाहिए क्या इन सभी विषयों पर राजस्थान क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को देशभर के अन्य प्रदेशों के समान विचार करना चाहिए ।

बैठक में डीआरडीओ के पूर्व निदेशक हनुमान प्रसाद व्यास , बीकानेर को कौशल विकास से शिक्षा को जोड़ने का आग्रह करते हुए इस संबंध में स्वयं सक्रिय दायित्व निर्वाहन करने का आश्वासन दिया । राज्य लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य व कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ परमेंद्र कुमार दशोरा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों की बहुमुखी प्रतिभा को विकसित करने के लिए चोइस बेस सिस्टम लागू करना सही सराहनीय पहल है लेकिन जहां कॉलेजों में पहले से ही प्राध्यापक कम हो वहां इसे क्रियान्वित करना किस प्रकार संभव हो सकेगा इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है । बैठक में अजमेर विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति डॉक्टर पी एल चतुर्वेदी ने बैठक को शिक्षाविद व कार्यकर्ताओं के लिए सराहनीय पहल बताया । उन्होंने कहा कि कोठारी आयोग ने शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए के संकल्पना दी वहीं 2020 की शिक्षा नीति का उद्देश्य सेवा का भाव रखने वाले सभी क्षेत्रों में हो तथा समग्रता से व्यक्ति के साथ राष्ट्र का विकास हो सके इस पर बल दिया गया है। बस्ते का बोझ कम करने तथा प्रकृति , वृक्ष , परिवार आदि से भी ज्ञान प्राप्त करके क्रियात्मक व रचनात्मक विकास से समाज विकसित हो इस पर जोर दिया गया है ।

बैठक में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डॉ विमल प्रसाद अग्रवाल , विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री डॉ भरतराम कुम्हार , संगठन मंत्री शिवप्रसाद , राजस्थान शिक्षक संघ: राष्ट्रीय: के पदाधिकारी प्रहलाद शर्मा , रुक्टा: राष्ट्रीय: के पदाधिकारी डॉ राजीव सक्सेना , बीकानेर वेटेनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ ए. के. गहलोत , डॉ . दिनेश कुमार , डॉ. नरपत सिंह शेखावत जोधपुर , डॉ शीला राय ,एच. डी. चारण , कुलपति डॉ ओमप्रकाश छंगाणी , डॉ . पवन कुमार शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए । डॉक्टर बीआर छिंपा ने कहा कि शिक्षा नीति के संबंध में लोगों के बीच में भ्रम , जानकारी का अभाव है । इसलिए यह शिक्षा नीति क्या है , इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी , इसका उद्देश्य क्या है , 21वीं सदी में इसका क्या योगदान हो सकता है ? इस संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु समिति के करणीय कार्य पर विचार आवश्यक है ।

क्रियान्वयन समिति में माध्यमिक व महाविद्यालय दोनों स्तरों का संतुलन बने व संतुलन व समन्वय हो इसका प्रयास भी करना चाहिए । बैठक का समापन डॉ. चंद्रशेखर कच्छावा द्वारा आभार ज्ञापित तथा शांति पाठ से किया गया । न्यास के राजस्थान क्षेत्रीय संरक्षक प्रोफेसर दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने बैठक का संचालन किया । न्यास के जयपुर प्रांत संयोजक नितिन कासलीवाल ने बताया कि बैठक का समापन करते हुए न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए अभियान , जन जागरण क्रियान्वयन समिति के लिए अपेक्षित कार्य है । साथ ही विभिन्न सुझाव राज्य सरकार को भेजें जाने चाहिए । उन्होंने कार्यकर्ताओं से नीति का गंभीरता से अध्यन करके इसकी विस्तृत रूप से जानकारी जनमानस को देने और इसके क्रियांवयन का गंभीर प्रयास करने का आह्वान किया । न्यास के राष्ट्रीय सचिव द्वारा राजस्थान क्षेत्र की क्रियान्वयन समिति के गठन की घोषणा की गई । इसके तहत समिति के संरक्षक डॉ पी एल चतुर्वेदी , हनुमान प्रसाद व्यास व डा. प्रमेन्द्रकुमार दशोरा होंगे तथा अध्यक्ष पद का दायित्व डॉ. बी. आर. छिंपा एवं सचिव का दायित्व डॉ. दिनेशकुमार, सरदार शहर को दिया गया।

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