बचपन बचाओ आंदोलन ने एएचटीयू और स्‍थानीय पुलिस के सहयोग से 16 बच्‍चों को कराया मुक्‍त

3 ट्रैफिकर और 2 ड्राइवर हिरासत में

जयपुर। बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) की टीम ने मानव दुर्व्‍यापार विरोधी ईकाई (एएचटीयू)और स्‍थानीय पुलिस के सहयोग से एक छापामार कार्रवाई के जरिए ट्रैफिकिंग के शिकार 16 बच्‍चों को मुक्‍त कराया है। अधिकांश बच्‍चों की उम्र 12-16 के बीच है। बच्‍चों को बिहार के गया से ट्रैफिकिंगकरके बसों से जयपुर ले जाया जा रहा था। बच्चों को बस नंबर RJ13 PA 4629 से जयपुर ले जाया जा रहा था, जो बाद में जांच के बाद नकली नंबर निकला। तहकीकात करने पर पता चला कि ड्राइवर ने बस की नंबर प्लेट पर काला टेप लगा दिया था, जिससे कि सही नंबर छुप गया था। बस ड्राइवर का सही नंबर को छुपाने का यह इरादा स्‍पष्‍ट रूप से उसका ट्रैफिकिंग माफियाओं से गठजोड़ की ओर इशारा करता है। सोमवार को हुईछापामार कार्रवाई के दौरान 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें 3 ट्रैफिकर्स और 2 बस ड्राइवर हैं। बच्चों को ले जा रही बस को भी जब्त कर लिया गया है।पुलिस ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कर ली है।

लॉकडाउन की शुरुआत से अभी तक बीबीए ने बिहार से प्राप्‍त सूचनाओं के आधार पर 1000 से अधिक बच्‍चों को बाल श्रम के दलदल में धंसने से पहले ही मुक्‍त करा लिया है। इसके लिए बीबीए कार्यकर्ता शहरों के उन प्रवेश और निकास द्वारोंपर तो तैनात हैं ही, जहां से बसों की आवाजाही होती है। साथ ही वे बच्चों की ट्रैफिकिंग के स्रोत और गंतव्य क्षेत्रों के प्रमुख स्टेशनों और बस डिपो के आसपास भी घूम रहे हैं। साथ ही बच्चों की ट्रैफिकिंग के बारे में इसके मुख्य स्रोत राज्य बिहार के लोगों को जागरुक करने के लिए बीबीए ने मुक्ति कारवां की लांचिक की है। मुक्ति कारवां एक सचल दस्ता है जिसका नेतृत्व पूर्व बाल मजदूर करते हैं। वे गांव-गांव घूम कर लोगों को बाल श्रम और ट्रैफिकिंग के बारे में लोगों को जागरुक कर रहे हैं और दलालों और ट्रैफिकिंग की सूचना अन्य लोगों से साझा कर रहे हैं। जिसके आधार परछापामार कार्रवाई की रणनीति को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाकर त्‍वरित सूचनाओं के आधार पर अंजाम दिया जा रहा है। बच्‍चों की ट्रैफिकिंग किए जाने की जानकारी बीबीए की गया टीम ने जयपुर टीम से साझा की थी। जयपुर टीम ने एक शिकायत दर्ज की और एएचटीयू और स्थानीय पुलिस के सहयोग से बच्‍चों को मुक्‍त कराने की योजना बनाई।

बच्‍चों का दुर्व्‍यापार करके जयपुर की भट्टा बस्ती ले जाया जा रहा था, जहां के चूड़ी कारखाने बाल श्रम के लिए बदनाम हैं। पिछले कई वर्षों में बीबीए ने इन चूड़ी कारखानों से कई बच्चों को मुक्‍त कराया है और यहां से ट्रैफिकर्स और मालिकों की भी गिरफ्तारी हुई है। गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी ने छोटे व्‍यवसायों को बुरी तरह अपनी चपेट में लिया है, जिसके परिणामस्‍वरूप भारी संख्‍या में प्रवासी मजदूरों की अपने गांवों में वापसी हुई। दूसरी ओर कई बच्चे कारखानों में बिना किसी सहायता के फंसे रह गए। बीबीए ने अपने जमीनी अनुभव के आधार पर पहले ही यह भविष्‍यवाणी की थी कि जैसे ही लॉकडाउन में ढील दी जाएगी, बाल दुर्व्‍यापार के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी होगी। जो आए दिनदेखने में भी आ रहा है। इस महामारी की मार उन गरीब परिवारों पर सबसे ज्‍यादा पड़ी है जिनके पास कोई रोजगार नहीं है और खाने के लाले हैं। अपनी समस्‍याओं का समाधान करने के लिए उन्‍होंने दुर्व्‍यापारियों की नाजायज मांगों को स्‍वीकार करना मंजूर किया है और अपने बच्‍चों को बाल श्रम के दलदल में धंसाने को मजबूर हुए हैं।

जिन बच्‍चों को मुक्‍त कराया गया है वे देश के सबसे गरीब जिले गया, बिहार से हैं। बच्‍चों को मुक्‍त कराने के बाद उन्‍हें क्‍वारेंटाइन सेंटर भेजा गया, जहां उनकी कोविड-19 से संबंधित जांच कर ली गई हैं। पुलिस द्वारा आईपीसी धारा 370 (5), 120-बी, 34, जेजेअधिनियम 2015 की धारा 75 और एमवीअधिनियम की धारा 39/192 के तहत एक एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

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