राजस्थान में ‘घर-घर औषधि योजना‘ वनों के विस्तार के लिए जल्द लाएंगे नई वन नीति : मुख्यमंत्री

Rajasthan Government launch Ghar Ghar Aushadhi Yojana 2021

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Ghar Aushadhi Yojana 2021: जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रकृति के सन्तुलन और पर्यावरण संरक्षण (Save Environment) के लिए वनों (Forest) का बड़ा महत्व है। साथ ही हमारी संस्कृति एवं चिकित्सा पद्धतियों में औषधीय पौधों  का विशेष स्थान है।

उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों की स्वास्थ्य रक्षा(Protect Health)  तथा औषधीय पौधों के संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से राज्य सरकार ने घर-घर औषधि जैसी अभिनव योजना का शुभारम्भ किया है। राजस्थान संभवतः पहला प्रदेश है, जिसने औषधीय पौधों के प्रति जन चेतना जागृत करने के लिए वृहद स्तर पर ऎसी अनूठी योजना लागू की है। यह हमारी भावी पीढ़ी की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम होगा।

श्री गहलोत रविवार को मुख्यमंत्री निवास से वर्चुअल रूप से आयोजित 72वें वन महोत्सव एवं ‘घर-घर औषधि योजना‘ (Ghar Aushadhi Yojana 2021) के शुभारम्भ समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री निवास पर उन्होंने गिलोय का औषधीय पौधा लगाकर योजना की शुरूआत की।

साथ ही 72वें वन महोत्सव के तहत जयपुर के ग्राम बिलौंची में लगाने के लिए पीपल का पौधा और अन्य पौधों के वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर औषधीय पौधों की पहली किट वन राज्यमंत्री ने मुख्यमंत्री को भेंट की।

श्री गहलोत ने ‘घर-घर औषधि योजना‘ के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए तैयार किए गए पोस्टर, ब्रोशर एवं बुकलेट का विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति का सन्तुलन बिगड़ने के कारण ग्लोबल वॉर्मिंग, (Global Warming) अनावृष्टि-अतिवृष्टि, बाढ़, सूखा, भू-स्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। इन आपदाओं से बचाव के लिए वनों का विस्तार जरूरी है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए राज्य सरकार जल्द ही नई वन नीति (Forest Policy) लाएगी।

योजना को देंगे जन आंदोलन का रूप

श्री गहलोत ने कहा कि कोविड महामारी के इस दौर में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का महत्व फिर से साबित हुआ है। इसके साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों ने औषधीय पौधों का लाभ लिया है। निरोगी राजस्थान के संकल्प को साकार करने के लिए भावी पीढ़ी को भी इन औषधीय पौधों के महत्व और उपयोग की जानकारी मिलना आवश्यक है। इ

सी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2021-22 के बजट में ‘घर-घर औषधीय योजना‘ प्रारम्भ करने की घोषणा की गई थी। जिसे आज मूर्त रूप दिया गया है। हमारा प्रयास है कि सभी के सहयोग से यह योजना जन आंदोलन का रूप ले।

प्रत्येक परिवार औषधीय पौधे लगाए

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि योजना के तहत दिए जाने वाले पौधों को वे अपने घरों या अन्य किसी उचित स्थान पर लगाएं और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि मैंने प्रदेश के सभी सांसदों एवं विधायकों को योजना में भागीदारी निभाने तथा लोगों को जागरूक करने के लिए पत्र लिखा है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने निःशुल्क वितरण के लिए तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा जैसे औषधीय पौधों का चयन किया है जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सर्वाधिक कारगर हैं।

लघु वन उपज बढ़ाने के लिए वन विकास निगम का गठन

श्री गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में वन क्षेत्र में वृद्धि के लिए लगातार प्रयासरत है। जोधपुर में पद्मश्री कैलाश सांखला स्मृति वन विकसित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। लघु वन उपज उत्पादन वृद्धि के लिए राज्य वन विकास निगम का गठन किया गया है। साथ ही ताल छापर अभयारण्य में वन्यजीव प्रबंधन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया जा रहा है।

1.26 करोड़ परिवारों को मिलेंगे निःशुल्क औषधीय पौधे

वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई ने बताया कि योजना के तहत वन विभाग की ओर से आगामी पांच वर्षों में प्रदेश के सभी 1 करोड़ 26 लाख परिवारों को तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा के आठ-आठ औषधीय पौधे तीन बार निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। यह पौधे वन विभाग अपनी पौधशालाओं में तैयार करेगा। राज्य सरकार इस योजना पर 210 करोड़ रूपए व्यय करेगी।

प्रमुख सचिव एवं वन पर्यावरण श्रेया गुहा ने बताया कि कुल 1 करोड़ 26 लाख परिवारों को आने वाले पांच सालों में 30 करोड़ से अधिक पौधे वितरित किए जाएंगे। इसके लिए विभाग ने जिलावार लक्ष्य निर्धारित किए हैं। योजना के क्रियान्वयन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) की अध्यक्षता में क्रियान्वयन समिति तथा जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) डीएन पाण्डे ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि निरोगी राजस्थान की दिशा में मुख्यमंत्री का यह महत्वपूर्ण कदम है। वन विभाग के सभी कार्मिक निचले स्तर तक योजना को सफल बनाने के लिए समर्पण भाव से काम करेंगे। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (फोरेस्ट सेटलमेंट एवं कार्य योजना) राजीव गोयल ने स्वागत उद्बोधन दिया।

राज्यमंत्री परिषद के सदस्य, विभिन्न सांसद, विधायक, अन्य जनप्रतिनिधि, मुख्य सचिव निरंजन आर्य, पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी, संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, टास्क फोर्स के सदस्य एवं वन विभाग के अधिकारी एवं कार्मिक भी कार्यक्रम से जुड़े।

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