जयपुर को ग्राउंडवाटर रिचार्ज और आजीविका सुदृढ़ीकरण के रूप में मिल रहा है झालाना वन और वन्यजीव संरक्षण का लाभ

Jaipur is getting the benefit of Jhalana forest and wildlife conservation in the form of groundwater recharge and livelihood strengthening

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जयपुर। वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन-बल प्रमुख) और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने रविवार को अपनी टीम के साथ (Jhalana leopard safari) झालाना लेपर्ड सफारी का निरीक्षण किया। इस दौरान प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने वन विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन-बल प्रमुख) डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने रविवार को प्रातः अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर, मुख्य वन संरक्षक आकांक्षा चौधरी, उप वन संरक्षक अजय चितौड़ा तथा झालाना की पूरी टीम के साथ क्षेत्र का निरीक्षण किया।

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इस दौरान डॉ. पाण्डेय ने कहा कि (Jhalana leopard safari) झालाना लेपर्ड सफारी के कारण लोगों की आजीविका में बेहतरी के साथ-साथ जयपुर जैसे शहर के पड़ोस में ग्राउंड वाटर रिचार्ज जो हरियाली के कारण हो रहा है, वह भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस क्षेत्र को संरक्षण दिए जाने के कारण राजस्थान में ट्रॉपिकल ड्राई फॉरेस्ट्स में मिलने वाली दुर्लभ प्रजातियों का प्राकृतिक पुनरुत्पादन भी बहुत बढ़िया हो रहा है। इसे निरंतरता देना आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि निचले क्षेत्र के धरातल में जहां-जहां खुले स्थान हैं, उनमें राजस्थान की स्थानीय घास प्रजातियों को बढ़ावा देना भी आवश्यक है। इससे हर्बीवोर पॉपुलेशन में इजाफा होगा। लेपड्र्स की बढ़ती हुई संख्या को दृष्टिगत रखते हुए शाकाहारी जीवों की संख्या बढ़ाना आवश्यक है।

डॉ. पाण्डेय ने कहा कि इको (Tourism) टूरिज्म के माध्यम से लोगों की आजीविका, पर्यावरण संरक्षण तथा विश्व के संकटापन्न उष्ण कटिबंधीय वनों के संरक्षण की दृष्टि से भी झालाना का महत्व है। इसलिए इस क्षेत्र का यथासंभव विस्तार होना भी आवश्यक है।

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निरीक्षण के दौरान डॉ. पाण्डेय ने कहा कि झालाना के संरक्षण का सबसे बड़ा लाभ जो जयपुर को मिल रहा है, वह (groundwater recharge) ग्राउंडवाटर रिचार्ज के रूप में है। इतनी बड़ी हरियाली अरबों लीटर पानी धरती के अंदर ले जा रही है। दूसरी सबसे बड़ी बात है कि जयपुर शहर की प्रदूषित हवा को साफ करने में झालाना का अद्वितीय योगदान है।

तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों की दुर्लभ वृक्ष, झाड़ी और शाक प्रजातियां इस क्षेत्र में संरक्षित हो रही हैं। कुल मिलाकर यह एक अद्भुत संसाधन है। उन्होंने कहा कि जयपुर के लोगों के स्वास्थ्य और आजीविका दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

वन और वन्य जीव संरक्षण का काम भी झालाना बेहतर तरीके से कर ही रहा है। इसलिये वन्यजीव के बीच सहअस्तित्व की दिशा में प्रयत्न करना भी आवश्यक है।

मौके पर ही विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए डॉ. पाण्डेय ने कहा कि छोटी-मोटी जो भी समस्याएं हैं, उनका समुचित हल किया जाए ताकि स्टॉफ का मनोबल बढ़ा रहे और वे बढ़-चढ़कर वन एवं वन्य जीव संरक्षण में कार्य करते रहें।

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