जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा, अंतिम सांस तक सनातन के लिए संघर्ष जारी

Jagadguru Swami Rambhadracharya Maharaj said, the struggle for Sanatan continues till his last breath

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बीकानेर में गूंज रही हवन मंत्रों और रामचरित मानस चौपाइयां

संसार वालों का मोक्ष भगवान की प्राप्ति और रामजी का मोक्ष भक्तों की प्राप्ति : जगद्गुरु रामभद्राचार्यजी महाराज

राम लक्ष्मण जानकी चले वनमार्ग, केवट ने चरण पखारे

बीकानेर। छह दिनों से बीकानेर में सुबह आठ बजे हवन मंत्रों और रामचरित मानस की चौपाइयों की गूंज चहुंओर सुनाई दे रही है। अब तक लाखों श्रद्धालुओं ने गंगाशहर-भीनासर-सुजानदेसर गौचर भूमि में अस्थाई रूप से बसे सियाराम नगर में चल रहे 108 कुंडीय रामचरित मानस महायज्ञ की परिक्रमा लगाकर पुण्य कमा लिया है।

रामझरोखा कैलाशधाम के श्रीसरजूदासजी महाराज ने बताया कि बीकानेरवासियों का सौभाग्य है कि उन्हें जगद्गुरु पद्मविभूषित स्वामी रामभद्राचार्यजी महाराज के श्रीमुख श्रीराम कथा सुनने का अवसर मिल रहा है। मात्र दर्शनलाभ हेतु रोजाना हजारों श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है।

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जगद्गुरु पद्मविभूषित स्वामी रामभद्राचार्यजी महाराज ने कहा कि मैं अपनी अंतिम श्वांस रहेगा तब तक मैं सनातन के लिए संघर्ष करता रहुंगा। बीकानेरवासियों पर स्नेह वर्षा करते हुए जगद्गुरु ने कहा- रहेगा न चंदा न तारे रहेंगे, पर बीकानेर वालों हम तुम्हारे रहेंगे। छठे सत्र की कथा सुनाते हुए जगद्गुरु नक हा कि कैकयी ने पहला वरदान भरतजी को राज्याभिषेक और रामजी को चौदह वर्ष तक वनवास मांगा। इसमें भी बहुत विशेष हो गया। वनवासी, आदिवासियों और पिछड़ेवर्गों से मिलने के लिए भी रामजी का वनवास जाना जरूरी था। रामजी ने राज्य इसलिए छोड़ा ताकि वे संतों को प्रेमामृत दे सके। राम नाम ही प्रेम अमृत है।

मुनियों और गणों का मिलन, पिता की आज्ञा का पालन, कैकयी की सम्मति और भरत को राज्य सब कार्य पूर्ण हो इसलिए रामजी का वनवास जाना जरुरी था। रामजी कहते हैं कि संसार वालों का मोक्ष है भगवान की प्राप्ति और मेरा मोक्ष है भक्तों की प्राप्ति।

जगद्गुरु ने बताया कि परम स्नेही रामसुखदासजी महाराज का कहते थे, यदि रामचरित मानस को ठीक से पढ़ लोगे तो सनातन धर्म के सारे सिद्धांत समझ में आ जाएंगे और सनातन धर्म सुरक्षित रहेगा। रामजी ने सीताजी से वनवास नहीं चलने के लिए, घर में ही रहो तुम राजकुमारी हो, तुम मार्ग में संकट कैसे झेलोगी। सीताजी ने कहा कि मैं धरती से पैदा हुई हूं, मुझे कष्ट नहीं होगा।

सीताजी ने कहा परछाई शरीर को छोड़ नही सकती, सूर्यनारायण को प्रभा और चंद्रमा को चाँदनी नहीं छोड़ सकती वैसे ही तीनों काल में रामजी को सीताजी नहीं छोड़ सकती। जगद्गुरु ने वनवास जाने और मार्ग केवट संवाद भी सुनाया। केवट ने कहा आपके चरणरज छूकर पत्थर की शिला नारी बन गई तो मेरी नाव भी पत्थर से कोमल है वह सुंदर नारी बन जाएगी और मेरी जीविका चली जाएगी। आपको जाना मेरी ही नाव से लेकिन मैं आपको जब ले जाऊंगा जब आप मुझे चरण पखारने दें भगवान ने भी विचार कर उसे चरण पखारने की आज्ञा दी और देवों ने पुष्पवर्षा की।

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कार्यक्रम संयोजक अशोक मोदी ने बताया कि शुक्रवार को प्रभुदयाल, श्रीलता मोदी, लोकेश मोदी, सेवाराम मोदी, डॉ. वर्षला, विष्णु स्वामी, अशोक अग्रवाल, रमेश शर्मा, अर्जुन, भोमराज भाटी, सुरेन्द्र अग्रवाल, रामप्यारी मोदी, बालकृष्ण, गौरीशंकर, अशोक गहलोत, अमित डागा, सुनील बांठिया, राहुल सांखला, अंशुल गहलोत, अशोक बिट्ठू, राकेश, लाल सिंह ने माल्यार्पण कर जगद्गुरु का स्वागत किया। बीकानेर विश्वविद्यालय के कुलपति एवं जगद्गुरु के दीक्षित शिष्य प्रो. मनोज दीक्षित ने भी उद्बोधन दिया।

सचिव श्रीभगवान अग्रवाल ने बताया कि शोभा देवी मोदी, प्रवीण मोदी, अनुराधा अरोड़ा, अंशु सेठ, डॉ. एलके कपिल, लक्ष्मीनारायण चांडक, दिनेश, कपिल, सीताराम, मोहित, अनिता, निकिता, सुरेश, मोनिका, गुंजन ने आरती की।

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