भारत की स्वास्थ्य सेवाओं में कारगर साबित होंगी स्मार्ट और कनेक्टेड डिवाइस

Smart and connected devices will prove effective in India health services

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Smart and connected devices will prove effective in India health services

जयपुर। स्मार्ट और कनेक्टेड डिवाइस का उपयोग भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को नया रूप दे रहा है, खासकर समय पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने की चुनौतियों को दूर करने में। स्वास्थ्य सेवा नवाचार के क्षेत्र में विशेषज्ञ, मनीष कोठारी ने हाल ही में 5जी, एलओटी और एआई जैसी तकनीकों के स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभाव पर चर्चा की, खासकर देश के कम नेटवर्क क्षेत्रों में।

कोठारी ने बताया कि रिमोट पेशेंट मॉनिटरिंग (आरपीएम) और रियल – टाइम डेटा विश्लेषण से स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा बदल रहा है, जो पहले प्रतिक्रिया आधारित था और अब सक्रिय देखभाल पर जोर दे रहा है।

उन्होंने कहा, “भारत जैसे देश में, जहां दिल की बीमारी, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी बीमारियों का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है, इन तकनीकों की मदद से डॉक्टर मरीजों की लगातार निगरानी कर सकते हैं और सही निर्णय ले सकते हैं, जिससे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत कम हो और परिणाम बेहतर हों।”

स्मार्ट डिवाइस की मदद से भारत में डॉक्टरों और नर्सों की कमी को पूरा करने में भी मदद मिल रही है। भारत में लगभग 6 लाख डॉक्टरों और 20 लाख नर्सों की कमी है। कोठारी ने बताया कि एआई-आधारित डायग्नोस्टिक टूल्स और वर्चुअल हेल्थ असिस्टेंट्स की मदद से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से पहुंचाई जा सकती हैं। “इन तकनीकों से मरीजों को डॉक्टर के पास जाने की जरूरत कम होगी, समय और संसाधन बचेंगे और लोगों को सही समय पर इलाज मिल पाएगा।”

हालांकि इन तकनीकों की क्षमता बहुत बड़ी है पर इनके व्यापक उपयोग में आने वाली चुनौतियों की भी कोठरी ने चर्चा की। डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि ये डिवाइस संवेदनशील स्वास्थ्य डेटा इकट्ठा करते और भेजते हैं।

कोठारी ने कहा कि साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और डिवाइस के बीच सहभागिता बढ़ाने की जरूरत है ताकि डेटा का सही तरीके से आदान – प्रदान हो सके। साथ ही, इन तकनीकों का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढांचे की लागत भी एक बड़ी चुनौती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

भारत हालांकि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (पीडीपी) 2019 और प्रस्तावित डिजिटल सूचना सुरक्षा स्वास्थ्य सेवा अधिनियम (दिशा) जैसे कानूनों के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान कर रहा है।

कोठारी ने स्वास्थ्य सेवाओं में एआई की बढ़ती भूमिका पर भी प्रकाश डालते हुए बताया कि एआई आधारित डायग्नोस्टिक टूल्स से निदान की सटीकता बढ़ाता है और मरीजों के परिणामों की भविष्यवाणी अधिक प्रभावी तरीके से करता है।

“एआई से हम बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करा सकते हैं, जिससे ऐसी चीज़ें पता चलें जो इंसान की नज़र से छूट सकता है। इससे न केवल निदान की गुणवत्ता बढ़ती है, बल्कि एआई – पावर्ड वर्चुअल असिस्टेंट्स से व्यक्तिगत देखभाल भी मिलती है।”

फ्यूचर को देखते हुए, स्मार्ट और कनेक्टेड डिवाइस द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति की उम्मीद की जा सकती है। “सरकार, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और टेक कंपनियों के सहयोग से मुझे ऐसा भविष्य दिखता है जहां हर जगह लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से मिल सकें। इन तकनीकों के केवल शुरुआत दौर में हैं और मुझे विश्वास है कि ये स्वास्थ्य सेवाएं अधिक सुलभ, सस्ती और प्रभावी बनेंगी।”

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