Sawan 2021 : श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा होती है पुण्य फलदायी

Sawan : Lord Shiva Is Pleased Worship in saavn

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Sawan

— ज्योर्तिविद् श्री विमल जैन

Saavn : भारतीय संस्कृति में भगवान शिवजी की महिमा अपरम्पार है। पृथ्वी के हर कण-कण व हर जीव में शिव विद्यमान हैं। भगवान् शिव की असीम कृपा की प्राप्ति के लिए श्रावण मास में देवाधिदेव महादेव की भक्तिभाव से की गई पूजा सदैव फलित होती है।

Saavn भगवान शिवजी की पूजा का विधान

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि श्रद्धालु भक्तों को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान, ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायंकाल प्रदोष काल में भगवान् शिव की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव को प्रिय धतूरा, बेलपत्र, मदार की माला, भांग, ऋतुफल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान्न आदि अॢपत करना चाहिए।

भगवान शिवजी की महिमा, यश व गुणगान में शिव मन्त्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव सहस्रनाम एवं शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

शिवपुराण में वॢणत मन्त्र ‘ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नम: ’ या ‘ नम: शिवाय’ का अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। श्रावण मास में रुद्राभिषेक से समस्त अनिष्टों का शमन होता है तथा मनोकामना की पूॢत होती है।

प्रसिद्ध ज्योतिषी विमल जैन ने बताया कि श्रावण मास में खास वस्तुओं से बने शिवलिंग की पूजा-अर्चना भक्त के मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होता है। भगवान शिवजी की अर्चना के लिए श्रावण मास अतिविशिष्ट माना गया है। मनभावन पावन श्रावण मास का शुभारम्भ 25 जुलाई, रविवार से हो रहा है। इस बार 29 दिन के श्रावण मास में 4 सोमवार पड़ रहा है जिसमें भगवान शिवजी की आराधना विशेष फलित होती है।

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेश—त्रिदेव में शिव सम्पूर्ण सृष्टि के पालनहार एवं मृत्यु हरने वाले देवता माने गए हैं। तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान् शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत है। जिनके दर्शन, पूजन, अर्चना एवं व्रत से जीवन में सर्वसंकटों के निवारण के साथ अभीष्ट की प्राप्ति होती है।

शिवजी की महिमा में मास के सभी सोमवार, त्रयोदशी एवं चतुर्दशी को व्रत उपवास रखकर, रुद्राभिषेक करके विधि विधानपूर्वक पूूजा-अर्चना से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करके, समस्त सुखों की प्राप्ति की जा सकती है।

ऐसी मान्यता है कि शिवपूजा से भक्तों पर आनेवाले अनिष्ट, कष्ट एवं अकाल मृत्यु को भगवान् शिव स्वयं अपनी विशेष कृपा से हर लेते हैं। श्रावण मास में शिवालय में कांवड़ चढ़ाने की मान्यता है। शिवभक्त अपनी परम्परा के अनुसार भगवान शिवजी का अभिषेक करके विशेष पुण्य के भागी होते हैं।

इस बार श्रावण मास के प्रमुख पर्व

(Sawan Somwar Vrat 2021) इस बार श्रावण में चार सोमवार पड़ रहे हैं।

प्रथम सोमवार-26 जुलाई,

द्वितीय सोमवार-2 अगस्त,

तृतीय सोमवार-9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार-16 अगस्त।

नाग पंचमी (मरुधर व बंगाल में)-28 जुलाई, बुधवार।

शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जानेवाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त,

गुरुवार तथा 20 अगस्त शुक्रवार को रखा जाएगा।

मास शिवरात्रि व्रत 6 अगस्त, शुक्रवार; हरियाली अमावस्या 8 अगस्त, रविवार तथा नाग पंचमी (समस्त भारतवर्ष में)-13 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा।

इन दिनों शिवभक्त भगवान शिवजी का विशेष दर्शन-पूजन कर एवं व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर पुण्य फलदायी होंगे। इस मास का प्रमुख पर्व रक्षा बन्धन-22 अगस्त, रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा।

Sawan : Horoscope श्रावण मास में जन्मराशि या नाम राशि के अनुसार कैसे करें पूजा

मेष—भगवान शिव की पूजा गुलाल से करें। ‘ॐ’ ममलेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा लाल वस्त्र, लाल चंदन, गेहूं, गुड़, तांबा, लाल फूल आदि का दान करें।
वृषभ—शिवजी का अभिषेक दूध से करें। ‘ॐ’ नागेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा सफेद फूल, सफेद चंदन, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
मिथुन—शिवजी का अभिषेक गन्ने के रस से करें। ‘ॐ’ भूतेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा मूंग, कस्तूरी, कांसा, हरा वस्त्र, पन्ना, सोना, मूंगा, घी का दान करें।
कर्क—शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें। महादेव जी के द्वादश नाम का स्मरण करें तथा सफेद फूल, सफेद वस्त्र, चावल, चीनी, चांदी, मोती, दही का दान करें।

सिंह —शिवजी का अभिषेक शहद से करें। ‘ॐ’ नम: शिवाय’ मन्त्र का जप करें तथा लाल फूल, लाल वस्त्र, माणिक्य, केशर, तांबा, घी, गेहूँ, गुड़ आदि का दान करें।
कन्या—शिवजी का अभिषेक गंगाजल या शुद्धजल से करें। श्रीशिव चालीसा का पाठ करें तथा हरा फूल, कस्तूरी, कांसा, मूंग, हरा वस्त्र, घी, हरा फल का दान करें।
तुला—शिवजी का अभिषेक दही से करें। श्रीशिवाष्टक का पाठ करें तथा सुगंध, सफेद चंदन, सफेद फूल, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
वृश्चिक—शिवजी का अभिषेक दूध व घी से करें। ‘ॐ’ अंगारेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा गेहूँ, गुड़, तांबा, मूंगा, लाल वस्त्र, लाल चंदन, मसूर का दान करें।
धनु—शिवजी का अभिषेक दूध से करें। ‘ॐ;’ रामेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा पीला वस्त्र, चने की दाल, हल्दी, पीला फल, फूल, सोना, देशी घी का दान करें।
मकर—शिवजी का अभिषेक अनार के रस से करें। श्रीशिवसहस्रनाम का पाठ करें तथा उड़द, काला तिल, तेल, काले वस्त्र, लोहा, कस्तूरी, कुलथी आदि का दान करें।
कुम्भ—शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें। ‘ॐ’ नम: शिवाय’ मन्त्र का जप करें तथा काले वस्त्र, काला तिल, उड़द, तिल का तेल, छाता आदि का दान करें।
मीन—शिवजी का अभिषेक ऋतुफल से करें। ‘ॐ’ भौमेश्वराय नम:’ मन्त्र का जप करें तथा चने की दाल, पीला वस्त्र, हल्दी, फूल, पीला फल, सोना आदि का दान करें।

 

(विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुण्डली विश्ल़ेषक पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर (राजस्थान) Ph.- 9460872809)

 

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