Sawan 2021 : शिवजी को समर्पित है-श्रावण मास, रखें व्रत, करें दर्शन-पूजन

Sawan 2021 : Saavan Month Date, Significance And All You Need To Know Savan

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श्रावण मास : 25 जुलाई, रविवार से 22 अगस्त, रविवार तक

@ज्योतिर्विद् विमल जैन

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में भगवान शिवजी की विशेष महिमा है। तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैं। श्रावण मास भगवान शिवजी को समर्पित है।

शिवालय सर्वत्र प्रतिष्ठित हैं, जिनके दर्शनमात्र से अलौकिक शान्ति की प्राप्ति होती है। भगवान शिवजी की अर्चना के लिए श्रावण मास अतिविशिष्ट माना गया है। मनभावन पावन श्रावण मास का शुभारम्भ 25 जुलाई, रविवार से हो रहा है। इस बार 29 दिन के श्रावण मास में 4 सोमवार पड़ रहा है जिसमें भगवान शिव की आराधना विशेष फलित होती है।

प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि धर्मशास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेशकृत्रिदेव में शिव सम्पूर्ण सृष्टि के पालनहार एवं मृत्यु हरने वाले देवता माने गए हैं। तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान् शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत है। जिनके दर्शन, पूजन, अर्चना एवं व्रत से जीवन में सर्वसंकटों के निवारण के साथ अभीष्ट की प्राप्ति होती है।

शिवजी की महिमा में मास के सभी सोमवार, त्रयोदशी एवं चतुर्दशी को व्रत उपवास रखकर, रुद्राभिषेक करके विधि विधानपूर्वक पूजा-अर्चना से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करके, समस्त सुखों की प्राप्ति की जा सकती है। ऐसी मान्यता है कि शिवपूजा से भक्तों पर आनेवाले अनिष्ट, कष्ट एवं अकाल मृत्यु को भगवान् शिव स्वयं अपनी विशेष कृपा से हर लेते हैं।

श्रावण मास में शिवालय में कांवड़ चढ़ाने की मान्यता है। शिवभक्त अपनी परम्परा के अनुसार भगवान शिवजी का अभिषेक करके विशेष पुण्य के भागी होते हैं।

ऐसे बरसेगी भगवान शिव की कृपा

ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि श्रद्धालु भक्तों को शिवकृपा प्राप्त करने के लिए प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान, ध्यान से निवृत्त होने के पश्चातड्ढ् व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायंकाल प्रदोष काल में भगवान् शिव की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए।

भगवान शिवजी को प्रिय धतूरा, बेलपत्र, मदार की माला, भांग, ऋतुफल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान्न आदि अर्पित करना चाहिए। भगवान शिवजी की महिमा, यश व गुणगान में शिव मन्त्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव सहस्रनाम एवं शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शिवपुराण में वर्णित मन्त्र का जप भी विशेष फलदायी माना गया है।

ॐ’ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नमः ‘’ या ‘ॐ’ नमः शिवाय’ का अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। श्रावण मास में शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए नित्य प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि विधानपूर्वक उनकी पूजा करनी चाहिए।

विशिष्ट कामनाओं की पूर्ति के लिए पूजा का विधान

ज्योतिषविद् विमल जैन के अनुसार भगवान शिवजी विशिष्ट कामनाओं को शीघ्र पूर्ति करते हैं। शिवभक्ति की कामना के लिए गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए।

जिन्हें जन्मकुण्डली के मुताबिक शनिग्रह की महादशा, अन्तरदशा और प्रत्यन्तर दशा चल रही हो, जिन्हें शनिग्रह की साढ़ेसाती या अढ़ैया हो, उन्हें श्रावण मास में विधि विधानपूर्वक व्रत उपवास रखकर भगवान शिव की पूजा अवश्य करना चाहिए।

श्रावण मास के मुख्य व्रत त्यौहार

इस बार श्रावण में चार सोमवार पड़ रहे हैं।

प्रथम सोमवार-26 जुलाई,

द्वितीय सोमवार-2 अगस्त,

तृतीय सोमवार-9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार-16 अगस्त।

संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी

व्रत-27 जुलाई, मंगलवार; नाग पंचमी (मरुधर व बंगाल में)-28 जुलाई, बुधवार; कामदा एकादशी व्रत-4 अगस्त, बुधवार। शिव की प्रसन्नता के लिए किए जानेवाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त, गुरुवार तथा 20 अगस्त, शुक्रवार को रखा जाएगा। मास शिवरात्रि भी इस बार 6 अगस्त, शुक्रवार को पड़ रही है। इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या 8 अगस्त, रविवार को है।

इन दिनों शिवभक्त भगवान शिवजी का विशेष दर्शन-पूजन कर एवं व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर पुण्य फलदायी होंगे।

नाग पंचमी (समस्त भारतवर्ष में)-13 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जायेगा तथा इस मास का प्रमुख पर्व रक्षा बन्धन-22 अगस्त, रविवार को हर्षोल्लास के संग मनाया जायेगा।

 

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